मनन चक्रवर्ती

लेखक

सौरव गांगुली की आत्मकथा में संजय मांजरेकर के साथ अनुभव

सौरव गांगुली, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान, ने अपने 52वें जन्मदिन पर अपनी आत्मकथा 'अ सेंचुरी इज़ नॉट इनफ' में अपने शुरुआती क्रिकेट करियर के संघर्षों का विवरण दिया है। गांगुली ने खासतौर से 1991-92 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे का उल्लेख किया है, जहाँ उन्हें काफी आलोचनाओं और अपमानों का सामना करना पड़ा। इनमें से एक प्रमुख आलोचक संजय मांजरेकर थे, जो स्वयं अपने फॉर्म से जूझ रहे थे और अपनी निराशा गांगुली पर निकाल रहे थे।

संजय मांजरेकर के साथ तनावपूर्ण संबंध

गांगुली ने लिखा है कि उस समय टीम में शामिल होना और अपनी पहचान बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। संजय मांजरेकर जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी, जो अपनी खुद की फॉर्म को लेकर दबाव में थे, ने गांगुली के प्रति कठोर और आलोचनात्मक रवैया अपनाया। मांजरेकर ने गांगुली को बार-बार नीचा दिखाने की कोशिश की, जिसके कारण गांगुली कई बार निराश हो गए। इस घटना ने गांगुली को कितना प्रभावित किया, इसका अनुभव उनके शब्दों में ही अद्वितीय है।

हालांकि, इन परिस्थितियों ने गांगुली को अंदर से और मजबूत बना दिया। उन्होंने अपने संघर्षों को अपनी ताकत में बदला और क्रिकेट के मैदान पर अपनी क्षमताओं को साबित करने का संकल्प लिया। उनका नेतृत्व कौशल और खिलाड़ियों को प्रेरित करने की क्षमता ने उन्हें एक सफल कप्तान बना दिया।

गांगुली का कप्तान के रूप में सफर और योगदान

गांगुली की एक कप्तान के रूप में यात्रा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उल्लेखनीय है। अपने आक्रामक नेतृत्व और युवा प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें निखारने की उंकी क्षमता के कारण उन्हें 'दादा' के नाम से जाना जाता है। 2003 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के फाइनल तक पहुंचने वाली भारतीय टीम के पीछे गांगुली की रणनीतियों और नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

गांगुली ने युवराज सिंह, हरभजन सिंह, और जहीर खान जैसे खिलाड़ियों के करियर को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। उनकी प्रेरणादायक कहानियों और संघर्षों ने नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को भी प्रभावित किया।

आज भी याद किया जाता है गांगुली का योगदान

सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। उनकी आत्मकथा 'अ सेंचुरी इज़ नॉट इनफ' एक प्रेरणादायक दस्तावेज है, जो उनके संघर्षों और सफलता की कहानी को बयां करती है। वह आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों से कैसे लड़ना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए।

फेसबुक पर सांझा करें ट्विटर पर पोस्ट करें लिंक्डइन पर पोस्ट करें Reddit पर पोस्ट करें

एक टिप्पणी लिखें

समान पोस्ट