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John David 9 टिप्पणि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वडोदरा में C295 विमान निर्माण संयंत्र का उद्घाटन

28 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वडोदरा में एक महत्वपूर्ण समारोह में हिस्सा लिया और वहां C295 विमान निर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) द्वारा संचालित किया जाएगा, जहां वायु सेना के लिए अत्याधुनिक C295 विमान का उत्पादन किया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद थे, जो इस परियोजना में स्पेन के सहयोग की अहम भूमिका को दिखाता है।

यह भारत में पहला ऐसा विमानों का असेंबली लाइन होगा जिसे निजी क्षेत्र द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय वायु सेना के पुराने अवरो-748 विमानों की जगह आधुनिक और कुशल C295 विमान उपलब्ध कराना है। यह परियोजना टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के बीच सितंबर 2021 में हुए 21,935 करोड़ रुपये के समझौते का हिस्सा है।

एयरबस डिलीवरी और उत्पादन क्षमता

सेविया, स्पेन की अंतिम असेंबली लाइन से एयरबस पहले 16 विमान 'फ्लाई-अवे' स्थिति में भेजेगी और यह वितरण सितंबर 2023 से अगस्त 2025 के बीच होगा। इसके बाद की 40 विमानें भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा निर्मित की जाएंगी। इस समझौते के अंतर्गत पहला मेड-इन-इंडिया विमान सितंबर 2026 में तैयार होगा, जबकि बाकी 39 विमानें अगस्त 2031 तक निर्मित होंगी।

इस परियोजना के पूरे होने के बाद, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में निर्मित विमान नागरिक विमानों के ऑपरेटरों को बेचने और उन देशों को निर्यात करने की अनुमति होगी जिन्हें भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी गई हो।

C295 विमान की विशेषताएँ और क्षमताएँ

C295MW एक परिवहन विमान है जिसका वजन वहन करने की क्षमता 5 से 10 टन तक है और इसकी अधिकतम गति 480 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस विमान में पिछले हिस्से में एक रैंप दरवाजा है जो सैनिकों और सामान की तेजी से गिरा देने में सहायक है। यह विमान अत्यंत अल्प समय में अर्ध-सज्जित सतहों से उड़ान भरने और लैंडिंग की विशेषता रखता है। इसके कक्ष का माप 12.7 मीटर या 41 फीट आठ इंच का है और यह 71 सीटों को समायोजित कर सकता है।

यह विमान अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक भार वहन करने की क्षमता रखता है और सीधे पिछले रैंप के माध्यम से उतार सकता है। सभी 56 विमानों को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित एक स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध किट के साथ लैस किया जाएगा।

स्वदेशी निर्माण के प्रयास और वैश्विक उपयोग

पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार के अनुसार, इस विमान में भारतीयकरण की मात्रा पहले से कहीं अधिक होगी और एयरबस द्वारा स्पेन में किए जाने वाले 96 प्रतिशत कार्य वडोदरा के निर्माण इकाई में किए जाएंगे।

C295 विमान विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में संचालन करने में सक्षम है। इसमें ब्राजीलियन जंगलों और कोलंबियाई पहाड़ियों से लेकर अल्जीरिया और जोर्डन की रेगिस्तान तक का संचालन शामिल है। यह विमान पोलैंड और फिनलैंड के ठंडे मौसम और चाड, इराक, और अफगानिस्तान में हुए सैन्य अभियानों में भी उड़ान भर चुका है।

C295 विभिन्न भूमिकाएं निभा सकता है जैसे कि सैनिकों और आपूर्ति का मुख्य हवाई अड्डों से अग्रिम संचालन क्षेत्रों में परिवहन। यह अल्प तैयार उड़ान पट्टियों पर काम कर सकता है और सामरिक मिशनों के लिए निम्न स्तरीय कार्य कर सकता है। इसका उपयोग घायलों या चिकित्सीय निकासी, विशेष मिशनों, आपदा प्रतिक्रिया और समुद्री गश्ती कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।

टिप्पणि

  • Sara Khan M

    अक्तूबर 29, 2024 AT 20:01

    Sara Khan M

    नया C295 प्लांट है तो भी सवाल ठीक है कि क्या ये वास्तव में भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करेगा 😒। निजी कंपनियों का एयरोस्पेस में प्रवेश एक अच्छा संकेत लगता है 🤔। लेकिन प्रोजेक्ट की डिलीवरी टाइमलाइन अभी भी बहुत धुंधली लगती है 😊। आशा है कि उत्पादन में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं होगी।

  • shubham ingale

    नवंबर 11, 2024 AT 13:34

    shubham ingale

    वडोदरा में नया प्लांट भारत की उड़ान को तेज़ करेगा 🚀

  • Ajay Ram

    नवंबर 24, 2024 AT 07:08

    Ajay Ram

    वडोदरा में स्थापित C295 विमान निर्माण संयंत्र भारत के एयरोस्पेस परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है। इस पहल ने न केवल राष्ट्रीय स्वावलंबन को सुदृढ़ किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के नए आयाम भी खोले हैं। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और एयरबस के बीच की साझेदारी तकनीकी हस्तांतरण को गति देती है, जिससे स्थानीय इंजीनियरिंग क्षमताएँ विकसित होंगी। स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध किट का एकीकरण इस परियोजना को रणनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। यह विमान 5 से 10 टन तक का भार ले जा सकता है, जिससे मानवीय सहायता और सैन्य लॉजिस्टिक्स दोनों में सुधार की संभावनाएँ उत्पन्न होती हैं। रैंप दरवाजा और तेज़ लैंडिंग विशेषताएँ इसको विविध भौगोलिक परिस्थितियों में उपयुक्त बनाती हैं। भारतीय सेना के पुराने ए-748 विमानों की जगह इस नई मॉडल को देखना एक सकारात्मक परिवर्तन है। उत्पादन क्षमता के अनुसार 2026 में पहला मेड‑इन‑इंडिया विमान तैयार होगा, जो उद्योग में नई आशा जगाता है। इससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमता भी बढ़ेगी, क्योंकि भविष्य में विदेशी ग्राहकों को भी ये विमान उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इस सब के बीच, स्थानीय रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी, जो सामाजिक लाभ प्रदान करेगा। हालांकि, यह परियोजना बड़ी निवेश और प्रौद्योगिकी अपेक्षाओं के साथ आती है, इसलिए समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना आवश्यक है। नियामक मानकों और गुणवत्ता नियंत्रण की कड़ाई भी इस परियोजना की सफलता के लिये निर्णायक होगी। आगामी वर्षों में इस प्लांट से जुड़े अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों की उम्मीद की जा रही है, जो भारतीय एयरोस्पेस के नवाचार को आगे बढ़ाएंगे। अंततः, यह पहल भारतीय स्वनिर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है, जो हमें विश्व मंच पर बेहतर स्थान दिला सकती है।

  • Dr Nimit Shah

    दिसंबर 7, 2024 AT 00:41

    Dr Nimit Shah

    देश की प्रगति में ऐसे बड़े कदम जरूरी हैं, वडोदरा का यह प्रोजेक्ट हमारे राष्ट्रीय गर्व को और बढ़ाता है। आशा है सभी नई तकनीकें भारतीय धरती पर सफलतापूर्वक लागू होंगी।

  • Ketan Shah

    दिसंबर 19, 2024 AT 18:14

    Ketan Shah

    वडोदरा में इस संयंत्र के उद्घाटन से भारत के एयरोस्पेस इकोसिस्टम में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। यह सहयोगी मॉडल भविष्य में और अधिक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को प्रेरित कर सकता है।

  • Aryan Pawar

    जनवरी 1, 2025 AT 11:48

    Aryan Pawar

    सही कहा आपने, यह पहल कई लोगों के लिए रोजगार का स्रोत बन सकती है 😊। हम सबको मिलकर इसे सफल बनाना चाहिए।

  • Shritam Mohanty

    जनवरी 14, 2025 AT 05:21

    Shritam Mohanty

    सब कुछ ठीक दिख रहा है लेकिन अंत में कौन देख रहा है कि इस बड़े प्रोजेक्ट के पीछे किसका हाथ है? अक्सर बड़े विदेशी कंपनियों के साथ भागीदारी के पीछे छिपे आर्थिक हित होते हैं 😠। अगर नियंत्रण सही नहीं रहेगा तो भारत की रक्षा रणनीति जोखिम में पड़ सकती है। हमें इस बात पर गहरी निगरानी रखनी चाहिए।

  • Anuj Panchal

    जनवरी 26, 2025 AT 22:54

    Anuj Panchal

    वास्तव में, C295 प्लेटफ़ॉर्म पर मिड-रिक्वेस्ट फ़्रेमवर्क और मॉड्यूलर एवियोनिक्स आर्किटेक्चर को इंटिग्रेट करना काफी चुनौतीपूर्ण है, विशेषकर जब इंडियन डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के स्वदेशी WKIT को कॉन्फ़िगर किया जा रहा हो। इस सन्दर्भ में सिस्टम इंटीग्रेशन रेफरेंस मॉडल (SIRM) और डिफ़ॉल्ट कॉन्फ़िगरेशन मैट्रिक्स (DCM) का उपयोग अनिवार्य होगा।

  • Prakashchander Bhatt

    फ़रवरी 8, 2025 AT 16:28

    Prakashchander Bhatt

    यह विकास हम सभी को आशावादी बना रहा है, आशा है कि भविष्य में और भी अधिक स्वदेशी तकनीकें उभरेंगी। भारतीय विमानन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में यह कदम सहयोगी रहेगा।

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