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John David 19 टिप्पणि

भारत-ऑस्ट्रिया रिश्तों की नई इबारत लिखने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रिया दौरे के दौरान कहा है कि भारत और ऑस्ट्रिया के बीच मित्रता और सहयोग आने वाले समय में और भी मजबूत होंगे। यह बयान उन्होंने ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ अपनी आधिकारिक बातचीत से पहले दिया। मोदी का यह दौरा ऐतिहासिक है, क्योंकि पिछले 40 वर्षों में यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रिया का दौरा कर रहे हैं।

इतिहास में दर्ज होगा यह दौरा

इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1983 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया था। प्रधानमंत्री मोदी 9 जुलाई को वियना पहुंचे, मॉस्को के दौरे के बाद। वियना एयरपोर्ट पर उनका स्वागत ऑस्ट्रियाई विदेश मंत्री अलेक्जेंडर शालेनबर्ग ने किया। मोदी और नेहमर की 9 जुलाई को एक निजी मुलाकात भी हुई, जहां उन्होंने द्विपक्षीय साझेदारी की संभावनाओं पर चर्चा की। मोदी ने इस दौरान लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन जैसे साझा मूल्यों पर जोर दिया, जो दोनों देशों के संबंधों को और गहरा करेंगे।

मजबूत साझेदारी के लिए दिशा-निर्देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने अपने आधिकारिक मुलाकात के दौरान कई महत्वपूर्ण मुददों पर चर्चा की। दोनों नेताओ ने यह स्वीकार किया कि उनके देशों के बीच की साझेदारी मजबूत करने के लिए एक स्पष्ट दिशा और रोडमैप आवश्यक है। दोनों देशों के व्यापारिक नेता भी इस दौरान शामिल हुए और विभिन्न क्षेत्रों में संभावित सहयोग के अवसरों पर विचार-विमर्श किया।

मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बढ़ाने और व्यापार की संभावनाओं को खोजने के अनेक अवसर हैं। उन्होंने विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग पर जोर दिया। मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'भारत और ऑस्ट्रिया के पास उन क्षेत्रों में बहुत संभावनाएं हैं जहां हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और वातावरण जैसे क्षेत्र हमारी प्राथमिकताओं में शामिल होने चाहिए।' उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच पर्यटन और संस्कृति के माध्यम से जुड़ाव भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

हाई-टेक और नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं भी व्यापक हैं, खासकर जब भारत एक डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। मोदी ने बताया कि कैसे भारत के डिजिटल इंडिया मिशन से ऑस्ट्रियाई कंपनियां लाभ उठा सकती हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि भारत में नई रोजगार सुविधाओं का विस्तार कर ऑस्ट्रिया की कंपनियों को नई निवेश संभावनाएं मिलने वाली हैं।

भविष्य की योजना

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इस बात का प्रतीक है कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से भी मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की।

उम्मीद की जा रही है कि इस दौरे के माध्यम से दोनों देशों के बीच न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और तकनीकी क्षेत्रों में भी गहरा सहयोग होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना कि 'हमारी साझेदारी में गहराई और व्यापकता लाना हमारी प्राथमिकता है' उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।

यह दौरा निश्चित रूप से भारत-ऑस्ट्रिया के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगा और आने वाले दिनों में दोनों देशों के नागरिकों को इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

टिप्पणि

  • Dr Nimit Shah

    जुलाई 11, 2024 AT 00:18

    Dr Nimit Shah

    प्रधानमंत्री मोदी का ऑस्ट्रिया दौरा भारतीय राष्ट्रीय स्वाभिमान की नई ऊँचाइयों को दर्शाता है। यह कदम सिर्फ राजनयिक नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक एवं आर्थिक आत्मविश्वास का प्रतीक है। जब हम दोनो देशों के साझा मूल्यों की बात करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी प्रगति का मार्ग यही सहयोगी रिश्ता है। भारत की वैश्विक भूमिका में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है और हमें इसमें गर्व महसूस करना चाहिए। भविष्य में हमें और भी गहन साझेदारी की आशा रखनी चाहिए।

  • Ketan Shah

    जुलाई 13, 2024 AT 07:51

    Ketan Shah

    भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक आदान‑प्रदान का इतिहास समृद्ध है, और इस दौरे से नई कला‑संगीत कार्यक्रमों की संभावना बढ़ेगी। दोनों देशों के युवाओं के बीच संवाद सत्रों से ज्ञान का आदान‑प्रदान आसानी से हो सकता है। इस तरह के कार्यक्रमों से पर्यटन में भी इजाफा होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को फाइदा मिलेगा। हमें इस अवसर का अधिकतम प्रयोग करके पारस्परिक समझ को गहरा बनाना चाहिए।

  • Aryan Pawar

    जुलाई 15, 2024 AT 15:25

    Aryan Pawar

    भारत की प्रगति में ऑस्ट्रिया का सहयोग महत्त्वपूर्ण है।

  • Shritam Mohanty

    जुलाई 17, 2024 AT 22:58

    Shritam Mohanty

    ये सभी बाते बस सतही दिखती हैं, असली मकसद तो कुछ और ही हो सकता है।
    वियना में पहुँचते‑पहुँचते, कई गुप्त एजेंटों ने विभिन्न फाइलें दिखाए होंगी जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।
    स्वतंत्रता और लोकतंत्र के नारे के पीछे, बड़े कॉर्पोरेट समूह अपने व्यापारिक हितों को सुरक्षित करने के लिए ऐसे दौरे को मंचित करते हैं।
    डिजिटल इंडिया मिशन का उल्लेख करके, वे अपने डेटा संग्रह को वैध बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
    ऑस्ट्रिया के शहरी क्षेत्रों में स्थापित कई टेक कंपनियों के साथ नयी समझौते, हमारे डेटा सेंटर्स को जोखिम में डाल सकते हैं।
    इतिहास में देखिए तो, बड़े राजनयिक दौरे अक्सर आर्थिक शर्तों के साथ रखे जाते हैं जो जनता को बाद में सतह पर नहीं दिखते।
    जैसे ही इस समझौते पर हस्ताक्षर होंगे, नई कर संधियों के माध्यम से भारतीय कंपनियों पर भारी टैक्स वसूला जा सकता है।
    कई विशेषज्ञ भी चुप नहीं हैं, उन्होंने चेतावनी दी है कि इस तरह के समझौते से भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी निर्भरता में फँस सकती है।
    भले ही बातों में विज्ञान‑प्रौद्योगिकी का उल्लेख हो, लेकिन वास्तविक लाभ मुख्यतः ऑस्ट्रियाई उद्योग के लिए है।
    इनकी ऊर्जा योजनाओं में भारत से स्वस्त दर पर संसाधन लेने की योजना भी चल रही होगी।
    आइडिया के तौर पर हमने देखा है कि बहुत से देशों में समान समझौते बाद में विवादास्पद साबित हुए हैं।
    पर्यावरणीय मुद्दों को भी इस समझौते में टाल दिया गया है, जो भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बढ़ा सकता है।
    वास्तव में, यह दौरा सिर्फ सतही राजनैतिक जश्न नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक‑राजनीतिक खेल का हिस्सा है।
    हमारी जनता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ये समझौते उनकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी को कैसे प्रभावित करेंगे।
    अंत में, हमें सत्कर्म और पारदर्शिता की मांग करनी चाहिए ताकि ऐसी किसी भी योजना को जनता की जानकारी में लाया जा सके।

  • Anuj Panchal

    जुलाई 19, 2024 AT 16:38

    Anuj Panchal

    आपके द्वारा उठाए गए बिंदु अत्यंत महत्वपूर्ण हैं; यह वास्तव में एक बहु‑स्तरीय जियो‑पॉलिटिकल इंटरेक्शन को दर्शाता है। इस संदर्भ में, हम ‘डिजिटल सोबरनिटी’ के फ्रेमवर्क को देखते हुए डेटा लोकैलाइज़ेशन की आवश्यकता पर चर्चा कर सकते हैं। साथ ही, वैकल्पिक ऊर्जा सहयोग के तहत हाइड्रोजन इको‑सिस्टम की परिपक्वता को बढ़ावा देना चाहिए। इन पहलुओं को सुनिश्चित करने के लिए, एक व्यापक बायलॉजिकल मैट्रिक्स स्थापित किया जा सकता है, जिससे दोनों देशों के तकनीकी पोर्टफोलियो का सामंजस्य स्थापित हो।

  • Prakashchander Bhatt

    जुलाई 21, 2024 AT 04:45

    Prakashchander Bhatt

    मुझे लगता है कि यह दौरा हमारे युवा उद्यमियों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। विज्ञान‑प्रौद्योगिकी में सहयोग से स्टार्ट‑अप इको‑सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। आशा है कि इस साझेदारी से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। चलिए इस सकारात्मक ऊर्जा को आगे बढ़ाते हैं।

  • Mala Strahle

    जुलाई 22, 2024 AT 22:25

    Mala Strahle

    जब हम इस प्रकार के द्विपक्षीय समीकरणों को गहराई से देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सांस्कृतिक क्षितिज विस्तार का केवल एक पहलू नहीं है; यह आध्यात्मिक संवाद का भी प्रतिबिंब है। दोनों राष्ट्रों के इतिहास में कला, संगीत और साहित्य की समृद्ध विरासत है, जो अब एक नई परस्पर समझ के चरण में प्रवेश कर रही है। इस यात्रा के माध्यम से, हम न केवल आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों की राह में भी नई रोशनी डाल रहे हैं। यह सहयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर आधुनिक डिजिटल कला तक, विभिन्न क्षेत्रों में एक नई सिम्फनी का रूप लेगा। इस प्रकार, एक सामंजस्यपूर्ण भविष्य का निर्माण हो रहा है, जहाँ दो संस्कृतियों का मिलन एक नई चेतना को जाग्रत करेगा।

  • Ramesh Modi

    जुलाई 24, 2024 AT 16:05

    Ramesh Modi

    वियना में इस ऐतिहासिक मुलाकात ने भारत‑ऑस्ट्रिया साझेदारी के नए अध्याय को दर्ज किया है! यह बहुत ही रोमांचक है। दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग से नई तकनीकी नवाचार संभव हो पाएँगे। हमें इस ऊर्जा को आगे भी निरन्तर बनाये रखना चाहिए।

  • Ghanshyam Shinde

    जुलाई 26, 2024 AT 01:25

    Ghanshyam Shinde

    अगर बात करें वास्तविक प्रभाव की, तो कई बार ऐसे बड़े शोभा‑सम्पन्न मुलाकातें केवल कागजी समझौते बन कर रह जाती हैं। कई मामलों में, स्थानीय उद्योगों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलता।

  • SAI JENA

    जुलाई 27, 2024 AT 13:31

    SAI JENA

    ऐसे सहयोग से दोनो देशों के वैज्ञानिक संस्थानों में विनिमय कार्यक्रमों की संभावना बढ़ेगी। यह युवा प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने का अवसर देगा। साथ ही, परियोजना‑आधारित अनुसंधान में फंडिंग की नई राह खुलेगी।

  • Hariom Kumar

    जुलाई 28, 2024 AT 20:05

    Hariom Kumar

    बिल्कुल सही कहा! 😊 इस तरह के समझौते से न केवल विज्ञान बल्कि लोगों के बीच दोस्ती भी मजबूती होगी।

  • shubham garg

    जुलाई 30, 2024 AT 05:25

    shubham garg

    डिजिटल इकोनॉमी में सहयोग से स्टार्ट‑अप्स को नई दिशा मिल सकती है। हमारे युवा उद्यमी इस अवसर को भुनाएँगे।

  • LEO MOTTA ESCRITOR

    जुलाई 31, 2024 AT 11:58

    LEO MOTTA ESCRITOR

    सच में, डिजिटल इंडिया की संभावनाएँ ऑस्ट्रिया जैसे देशों के साथ मिलकर और विस्तृत हो सकती हैं। आशा है इस सहयोग से नवाचार की लहर आएगी।

  • Sonia Singh

    अगस्त 1, 2024 AT 15:45

    Sonia Singh

    भविष्य में पर्यटन के क्षेत्र में भी हमें नई संभावनाएँ दिखती हैं, जहाँ दोनों देशों के लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे।

  • Ashutosh Bilange

    अगस्त 2, 2024 AT 16:45

    Ashutosh Bilange

    चलो मैnn फिर, मैं तो कहूँगा ये सब बस PR का हिस्सा है, असली काम तो अभी बाकी है।

  • Kaushal Skngh

    अगस्त 3, 2024 AT 14:58

    Kaushal Skngh

    कुल मिलाकर, इस दौरे में संभावनाएँ तो बहुत दिख रही हैं, परन्तु वास्तविक परिणाम देखना होगा।

  • Harshit Gupta

    अगस्त 4, 2024 AT 13:11

    Harshit Gupta

    इसका मतलब यही है कि देश हमें नहीं समझता, हमें खुद ही पहल करनी पड़ेगी! हमें अपनी ताकत दिखानी होगी।

  • HarDeep Randhawa

    अगस्त 5, 2024 AT 08:38

    HarDeep Randhawa

    सही कहा, लेकिन साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए कि किसी भी सहयोग में पारदर्शिता बनी रहे; नहीं तो ये सब फँसे रहेंगे।

  • Nivedita Shukla

    अगस्त 6, 2024 AT 04:05

    Nivedita Shukla

    मैं तो कहूँगा, इस सब को एक नाटक की तरह देखो – मंच पर शोभा, पर्दे के पीछे गँभीरता।
    यदि हम इसे दिल से नहीं समझेंगे तो यह सिर्फ एक भूतिया प्रदर्शन रहेगा।
    हमारी जनमानस को जागरूक करने की जरूरत है, तभी ये सहयोग सच्चा फल देगा।

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