NEET UG 2025: परीक्षा के दिन से बवाल
NEET UG 2025 का आयोजन इस बार बड़े विवादों से घिरा रहा। 20.8 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने इसमें हिस्सा लिया लेकिन बहुतों को परीक्षा केंद्रों पर समस्याओं का सामना करना पड़ा। जब एक छात्र जिंदगी का सबसे बड़ा टेस्ट देने जाए और वहां बायोमेट्रिक मशीन ही काम न करे, तो परेशान होना तय है। चेन्नई, कलबुर्गी जैसे शहरों में स्थिति और गंभीर रही। चेन्नई में बिजली घंटों गुल रही, जिससे छात्रों ने परीक्षा का वक्त नोट करने में मुसीबत झेली। जबकि कर्नाटक के कलबुर्गी में उम्मीदवारों को धार्मिक प्रतीकों, जैसे जनेऊ, उतारने के लिए मजबूर किया गया। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
अभिभावकों का गुस्सा भी तब फूटा, जब उन्होंने बच्चों को एग्जाम हॉल के बाहर अपने धार्मिक धागे निकालते और फेंकते देखा। सुधीर पाटिल जैसे पैरंट्स ने इस कदम को धर्म और आस्था के अधिकार का उल्लंघन बताया। (ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बड़े एग्जाम्स में ड्रेस कोड विवाद पहले भी सामने आ चुके हैं। मगर धार्मिक भावनाओं की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जा रही।)
तकनीकी फेलियर और कोर्ट की दखल
दिल्ली के जहांगीरपुरी सेंटर सहित कई जगह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन सिस्टम ने धोखा दिया। उंगलियों के निशान मैच न होने पर बच्चों को भीतर जाने से रोक दिया गया और समय बर्बाद हुआ। कुछ छात्रों का तनाव इतना बढ़ गया कि वे शिकायत लेकर NTA दफ्तर पहुंचे। उधर, मंत्रालय की तीन स्तर की सुरक्षा और केंद्रीय कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्थाएँ भी जमीनी हालात संभालने में कमजोर नजर आईं।
मद्रास हाईकोर्ट का फैसला सबसे अहम रहा। चेन्नई के कई छात्रों ने बिजली कटौती के चलते री-एग्जाम की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करके NTA को परिणाम जारी करने की छूट दे दी। कोर्ट के इस रूख ने उन हजारों छात्रों को निराश कर दिया जो दोबारा परीक्षा का मौका पाना चाहते थे। अब छात्रों को सिर्फ परिणाम का इंतजार करना है।
विवाद यहीं नहीं थमे। कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा गड़बड़ी रिपोर्ट हुई—कई छात्रों-शिक्षकों की मानें तो केमिस्ट्री और बायोलॉजी के कुछ सवाल अस्पष्ट या कन्फ्यूजन वाले थे। इससे छात्र बुरी तरह हताश हुए। शिक्षाविद् भी मानते हैं कि प्रश्न-पत्र की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं तो NTA की निष्पक्षता और साख दोनों संकट में आ जाती है।
5,400 से ज्यादा सेंटरों में परीक्षा कराने का दावा था लेकिन हर स्तर पर रिपोर्ट्स आईं कि व्यवस्थाएँ सुचारू नहीं थीं। 14 इंटरनेशनल लोकेशंस पर भी परीक्षा हुई, लेकिन भारत के भीतर ही इतने बवाल के बाद NTA के कामकाज की पारदर्शिता और तैयारी पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सवाल साफ है—क्या इतने बड़े परीक्षा आयोजन में छात्रों की गरिमा और प्रक्रिया की निष्पक्षता सचमुच सुरक्षित है?