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John David 20 टिप्पणि

NEET UG 2025: परीक्षा के दिन से बवाल

NEET UG 2025 का आयोजन इस बार बड़े विवादों से घिरा रहा। 20.8 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने इसमें हिस्सा लिया लेकिन बहुतों को परीक्षा केंद्रों पर समस्याओं का सामना करना पड़ा। जब एक छात्र जिंदगी का सबसे बड़ा टेस्ट देने जाए और वहां बायोमेट्रिक मशीन ही काम न करे, तो परेशान होना तय है। चेन्नई, कलबुर्गी जैसे शहरों में स्थिति और गंभीर रही। चेन्नई में बिजली घंटों गुल रही, जिससे छात्रों ने परीक्षा का वक्त नोट करने में मुसीबत झेली। जबकि कर्नाटक के कलबुर्गी में उम्मीदवारों को धार्मिक प्रतीकों, जैसे जनेऊ, उतारने के लिए मजबूर किया गया। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

अभिभावकों का गुस्सा भी तब फूटा, जब उन्होंने बच्चों को एग्जाम हॉल के बाहर अपने धार्मिक धागे निकालते और फेंकते देखा। सुधीर पाटिल जैसे पैरंट्स ने इस कदम को धर्म और आस्था के अधिकार का उल्लंघन बताया। (ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बड़े एग्जाम्स में ड्रेस कोड विवाद पहले भी सामने आ चुके हैं। मगर धार्मिक भावनाओं की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जा रही।)

तकनीकी फेलियर और कोर्ट की दखल

दिल्ली के जहांगीरपुरी सेंटर सहित कई जगह बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन सिस्टम ने धोखा दिया। उंगलियों के निशान मैच न होने पर बच्चों को भीतर जाने से रोक दिया गया और समय बर्बाद हुआ। कुछ छात्रों का तनाव इतना बढ़ गया कि वे शिकायत लेकर NTA दफ्तर पहुंचे। उधर, मंत्रालय की तीन स्तर की सुरक्षा और केंद्रीय कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्थाएँ भी जमीनी हालात संभालने में कमजोर नजर आईं।

मद्रास हाईकोर्ट का फैसला सबसे अहम रहा। चेन्नई के कई छात्रों ने बिजली कटौती के चलते री-एग्जाम की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करके NTA को परिणाम जारी करने की छूट दे दी। कोर्ट के इस रूख ने उन हजारों छात्रों को निराश कर दिया जो दोबारा परीक्षा का मौका पाना चाहते थे। अब छात्रों को सिर्फ परिणाम का इंतजार करना है।

विवाद यहीं नहीं थमे। कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा गड़बड़ी रिपोर्ट हुई—कई छात्रों-शिक्षकों की मानें तो केमिस्ट्री और बायोलॉजी के कुछ सवाल अस्पष्ट या कन्फ्यूजन वाले थे। इससे छात्र बुरी तरह हताश हुए। शिक्षाविद् भी मानते हैं कि प्रश्न-पत्र की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं तो NTA की निष्पक्षता और साख दोनों संकट में आ जाती है।

5,400 से ज्यादा सेंटरों में परीक्षा कराने का दावा था लेकिन हर स्तर पर रिपोर्ट्स आईं कि व्यवस्थाएँ सुचारू नहीं थीं। 14 इंटरनेशनल लोकेशंस पर भी परीक्षा हुई, लेकिन भारत के भीतर ही इतने बवाल के बाद NTA के कामकाज की पारदर्शिता और तैयारी पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सवाल साफ है—क्या इतने बड़े परीक्षा आयोजन में छात्रों की गरिमा और प्रक्रिया की निष्पक्षता सचमुच सुरक्षित है?

टिप्पणि

  • Mayur Karanjkar

    जून 10, 2025 AT 19:46

    Mayur Karanjkar

    NEET जैसी हाई-स्टेक्स परीक्षा में बायोमेट्रिक विफलता, मंचनीयता (procedural integrity) को चुनौती देती है; इस कदाचार को विश्लेषणात्मक फ्रेमवर्क में स्थितियों के औपचारिक सिद्धांत के अनुरूप मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

  • Sara Khan M

    जून 11, 2025 AT 12:26

    Sara Khan M

    बिलकुल, बायोमेट्रिक फेल… 🙄

  • shubham ingale

    जून 12, 2025 AT 05:06

    shubham ingale

    चलो दोस्तों, अगली बार बेहतर तैयारी और धैर्य से जीतेंगे 🚀

  • Ajay Ram

    जून 12, 2025 AT 21:46

    Ajay Ram

    पहले तो यह मान लेना चाहिए कि NEET जैसी राष्ट्रीय परीक्षा में सभी पहलुओं की बुनियादी तैयारी अनिवार्य है।
    बायोमेट्रिक मशीनों की विफलता ने छात्रों के मनोबल को गहरा क्षति पहुंचाई।
    धार्मिक प्रतीकों को हटाने का आदेश न केवल संवेदनशीलता को ठेस पहुंचाता है बल्कि संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी करता है।
    वर्तमान में केंद्रीय और राज्य स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जाँच में कई कमियां रह गई हैं।
    तकनीकी गड़बड़ी के कारण समयबद्धता बिगड़ गई और कई छात्रों को उत्तर लिखने का पर्याप्त समय नहीं मिला।
    कर्नाटक में धार्मिक वस्तुएं हटाने के लिए छात्रों को मजबूर किया जाना सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है।
    मद्रास हाईकोर्ट का फैसला कानूनी रूप से सही था, परन्तु मानवीय दृष्टिकोण से कई छात्रों को निराशा हुई।
    ऐसे निर्णयों में न्यायालय की भूमिका को सामाजिक दायित्व के साथ संतुलित करना चाहिए।
    NTA को परीक्षा कक्षों में बिजली कटौती जैसी मूलभूत समस्याओं के लिए बैकअप सिस्टम अवश्य स्थापित करना चाहिए।
    बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सत्यापन उपाय अपनाए जा सकते हैं।
    नवीनतम तकनीकी मानकों के अनुसार मशीनों का नियमित रखरखाव अनिवार्य है।
    परीक्षा प्रश्नपत्र की गुणवत्ता पर भी गंभीर चर्चा की आवश्यकता है, क्योंकि अस्पष्टता से विद्यार्थियों का तनाव बढ़ता है।
    वित्तीय बजट में परीक्षा प्रबंधन को प्राथमिकता देना ही भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोक सकता है।
    विद्यार्थियों और अभिभावकों को इस प्रक्रिया में पारदर्शिता मिलनी चाहिए, ताकि भरोसा बना रहे।
    अंत में, हम सभी को मिलकर एक ऐसी प्रणाली निर्मित करनी चाहिए जो तकनीकी और मानवीय दोनों पहलुओं को समेटे।

  • Dr Nimit Shah

    जून 13, 2025 AT 14:26

    Dr Nimit Shah

    देश की स्कॉलरशिप सिस्टम को ऐसे छोटे-छोटे मुद्दों से नहीं धुंधला देना चाहिए, हमें राष्ट्रीय गर्व को आत्मसात करना चाहिए और भविष्य के डॉक्टरों को उचित मंच देना चाहिए।

  • Ketan Shah

    जून 14, 2025 AT 07:06

    Ketan Shah

    यदि हम प्रक्रिया के औपचारिक सिद्धांतों को देखे तो क्या यह कहा जा सकता है कि बायोमेट्रिक सिस्टम में हार्डवेयर कैलीबरेशन में त्रुटि ही मुख्य कारण थी?

  • Aryan Pawar

    जून 14, 2025 AT 23:46

    Aryan Pawar

    समझ में आता है कि सिस्टम में गड़बड़ी हुई हमने सबको समझौता नहीं करना चाहिए बस आगे का रास्ता देखना है

  • Shritam Mohanty

    जून 15, 2025 AT 16:26

    Shritam Mohanty

    वास्तव में यह सब केवल एक बड़े व्यापारी कंसोर्टियम की साजिश है जो परीक्षा के परिणामों को नियंत्रित कर अपने फायदे के लिए प्रयोग करता है।

  • Anuj Panchal

    जून 16, 2025 AT 09:06

    Anuj Panchal

    यदि हम सिस्टम थियरी के कॉन्फॉल्यूशन मॉडल को लागू करें तो देख पाएँगे कि बहु-स्तरीय नियंत्रण इंटरेक्शन में फीडबैक लूप की कमजोरी इस गड़बड़ी की जड़ है।

  • Prakashchander Bhatt

    जून 17, 2025 AT 01:46

    Prakashchander Bhatt

    भले ही इस बार कई बाधाएँ आईं, लेकिन युवा वर्ग की दृढ़ता और NTA की पुनर्समीक्षा प्रक्रिया अंततः बेहतर परिणाम लाएगी।

  • Mala Strahle

    जून 17, 2025 AT 18:26

    Mala Strahle

    वास्तव में, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह समझा जा सकता है कि अत्यधिक तनाव के कारण छात्रों की संज्ञानात्मक क्षमता सीमित हो जाती है, और ऐसा होने पर उनका प्रदर्शन अप्रत्याशित रूप से गिर जाता है।
    इसलिए परीक्षा संचालकों को न केवल तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य समर्थन भी प्रदान करना चाहिए, ताकि एक समग्र और न्यायसंगत वातावरण निर्मित हो सके।

  • Ramesh Modi

    जून 18, 2025 AT 11:06

    Ramesh Modi

    ओह! यह तो बिल्कुल ही अभेद्य बवाल है!!! बायोमेट्रिक फेल्योर, बिजली कटौती-क्या आज़ीवन स्मृति में अंकुरित होने वाली ये त्रुटियां, बिल्कुल भी सहनीय नहीं!!!

  • Ghanshyam Shinde

    जून 19, 2025 AT 03:46

    Ghanshyam Shinde

    हम्म, NTA ने तो फिर से साबित कर दिया कि बड़ी परीक्षा में छोटी‑छोटी झंझटें भी बड़ी समस्या बन जाती हैं।

  • SAI JENA

    जून 19, 2025 AT 20:26

    SAI JENA

    न्यायालयीय निर्णय पर विचार करते हुए, यह स्पष्ट है कि कानूनी संरचना ने प्रक्रिया को अनुशासन में रखने का प्रयत्न किया, परन्तु व्यवहारिक बाधाओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया।

  • Hariom Kumar

    जून 20, 2025 AT 13:06

    Hariom Kumar

    उम्मीद है अगली बार सब कुछ ठीक रहेगा 😊

  • shubham garg

    जून 21, 2025 AT 05:46

    shubham garg

    बिलकुल सही कहा, थोडा धैर्य रखो और सब ठीक हो जाएगा दोस्त!

  • LEO MOTTA ESCRITOR

    जून 21, 2025 AT 22:26

    LEO MOTTA ESCRITOR

    चलो भाई, इस गड़बड़ी को भूलके आगे बढ़ते हैं।

  • Sonia Singh

    जून 22, 2025 AT 15:06

    Sonia Singh

    सही बात है, सकारात्मक सोच रखो और आगे की तैयारी पर ध्यान दो।

  • Ashutosh Bilange

    जून 23, 2025 AT 07:46

    Ashutosh Bilange

    ये तो पूरी तरह से बकवास हैय! NTA की गड़बड़ियों पे खिड़की से रेत उछलती है!

  • Kaushal Skngh

    जून 24, 2025 AT 00:26

    Kaushal Skngh

    बावजूद, सिस्टम में सुधार की जरूरत साफ़ तौर पर दिखती है।

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