John David

लेखक

खासी हिल्स आर्चरी स्पोर्ट्स एसोसिएशन (KHASA) ने शिलॉन्ग तीर लॉटरी के ताज़ा नतीजे घोषित कर दिए हैं। 4 मार्च 2025 के इस नतीजों में शिलॉन्ग, जुवाई, और खानापारा के विभिन्न राउंड शामिल हैं। ये तीरंदाजी पर आधारित एक अनोखी लॉटरी है, जो हील्स के इस क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय है।

नतीजों की विस्तार में जानकारी

शिलॉन्ग सुबह तीर

  • पहला राउंड: 71
  • दूसरा राउंड: 95

जुवाई सुबह तीर

  • पहला राउंड: 32
  • दूसरा राउंड: 47

जुवाई तीर

  • पहला राउंड: 69
  • दूसरा राउंड: 40

शिलॉन्ग दोपहर तीर

  • पहला राउंड: 3:44 PM पर घोषित
  • दूसरा राउंड: 4:37 PM पर घोषित

खानापारा तीर

  • पहला राउंड: 4:00 PM पर घोषित
  • दूसरा राउंड: 4:40 PM पर घोषित

शिलॉन्ग रात तीर

  • पहला राउंड: 7:15 PM पर घोषित
  • दूसरा राउंड: 8:00 PM पर घोषित

जुवाई रात तीर

  • पहला राउंड: 8:15 PM पर घोषित
  • दूसरा राउंड: 9:00 PM पर घोषित

कैसे काम करती है यह लॉटरी?

शिलॉन्ग तीर की खासियत यह है कि यह तीरंदाजी पर आधारित होती है। यहां पर खिलाड़ियों द्वारा तीर चलाने के आधार पर नंबर्स का निर्धारण होता है। जिनका अनुमान सटीक होता है उन्हें इनाम दिया जाता है।

लॉटरी के नियम कुछ इस प्रकार होते हैं:

  • प्रतिभागियों को 00 से 99 के बीच का नंबर चुनना होता है।
  • पहले राउंड में सही अनुमान पर ₹80 प्रति ₹1 और दूसरे में ₹60 प्रति ₹1 मिलता है।
  • दोनों राउंड सही होने पर ₹4,000 प्रति ₹1 तक का इनाम मिलता है।

टिकेट्स की कीमत ₹1 से ₹50 के बीच होती है, और इन्हें मेघालय के 5,000 से ज्यादा अधिकृत विक्रेताओं द्वारा बेचा जाता है। टिकट खरीदने का समय सुबह 10:30 बजे से शुरू होता है।

यह लॉटरी महज एक जुनून नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति का हिस्सा है, जो लोकल थेलंट को मौका देती है। टिकट से होने वाली आय युवा तीरंदाजी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगाई जाती है।

टिप्पणि

  • अप्रैल 15, 2025 AT 19:05

    Dr Nimit Shah

    शिलॉन्ग तीर की लॉटरी हमारे देश में लोकल स्पोर्ट्स को बढ़ावा देती है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुदृढ़ करती है। इस प्रकार की पहल से युवा वर्ग में तीरंदाजी के प्रति उत्साह जगा रहता है। सरकार को ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक समर्थन देना चाहिए ताकि स्थानीय प्रतिभाओं को मंच मिल सके। साथ ही टिकट की कीमतें उचित रखी गई हैं, जिससे हर वर्ग के लोग भाग ले सकते हैं।

  • अप्रैल 18, 2025 AT 02:38

    Ketan Shah

    शिलॉन्ग, जुवाई और खानापारा में इस लॉट्री ने न केवल खेल को लोकप्रिय बनाया है बल्कि क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान को भी उजागर किया है। प्रत्येक राउंड के समय-सारणी को स्थानीय जीवन रिचुअल्स के साथ समन्वित किया गया है, जिससे लोगों को भाग लेने में आसानी होती है। सहभागिता बढ़ाने के लिये विभिन्न विक्रेताओं की नेटवर्किंग एक सराहनीय कदम है। इस पहल से आने वाले सालों में तीरंदाजी क्लबस को फंडिंग भी मिल पाएगी, जो दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

  • अप्रैल 20, 2025 AT 10:11

    Aryan Pawar

    शिलॉन्ग तीर रिजल्ट्स देख कर उत्साह बढ़ा।

  • अप्रैल 22, 2025 AT 17:45

    Shritam Mohanty

    इन लॉटरी नतीजों में कुछ गड़बड़ी है, सरकार के अंदरूनी लोगों ने खुद के हित में नंबर तय कर रखे हैं। हर साल वही नंबर निकालते हैं, यह कोई संयोग नहीं हो सकता। इस तरह की छिपी हुई षड्यंत्र जनता को धुंधला कर देती है। जनता को जागरूक होना चाहिए और पारदर्शी प्रणाली की मांग करनी चाहिए।

  • अप्रैल 25, 2025 AT 01:18

    Anuj Panchal

    शिलॉन्ग तीर लॉटरी की स्टैटिस्टिकल प्रोफ़ाइल को देखते हुए, प्रायिकता वितरण के अनुसार 00‑99 रेंज में समान संभावना रहती है, परन्तु दो राउंड के कॉम्बिनेशन में बोनस पेमेन्ट की संरचना ROI को न्यूनतम 4× तक बढ़ा सकती है। इस हेतु एंट्रियाँ चयन करते समय क्लस्टरिंग एल्गोरिद्म का उपयोग करके उच्चतम एंट्रॉपी वाले नंबर चुनना रणनीतिक होगा। साथ ही, टिकट प्राइसिंग मॉड्यूल को डिमांड‑साइड मैकेनिक्स के साथ इंटीग्रेट करके अधिकतम टर्नओवर हासिल किया जा सकता है। अंत में, फंड अलोकेशन फ्रेमवर्क को ट्रांसपेरेंट बैंकरॉबिटिक ट्रैकिंग के माध्यम से मॉनिटर किया जाना चाहिए।

  • अप्रैल 27, 2025 AT 08:51

    Prakashchander Bhatt

    भले ही कुछ अंधविश्वास और षड्यंत्र की बातें चल रही हों, इस लॉटरी के माध्यम से स्थानीय तीरंदाजी की विकसित होती बुनियाद को देखा जा सकता है। आशावादी दृष्टिकोण से, हमें इसे प्रोत्साहित करने वाले कदम उठाने चाहिए और भविष्य में अधिक पारदर्शी बनाना चाहिए।

  • अप्रैल 29, 2025 AT 16:25

    Mala Strahle

    शिलॉन्ग तीर रिजल्ट्स सिर्फ़ संख्यात्मक डेटा नहीं हैं; वे हमारे सामाजिक मनोविज्ञान की एक झलक पेश करते हैं। प्रत्येक नंबर का चयन, चाहे वह सुबह का हो या रात का, आत्म-परिचय की प्रक्रिया को दर्शाता है। इस लॉटरी के माध्यम से लोग अपनी नियति को संख्या के रूप में व्यक्त करते हैं, जो अस्तित्ववादी प्रश्नों को जन्म देता है। हम यह भी देख सकते हैं कि समुदायिक सहभागिता के माध्यम से सामुदायिक अखंडता को कैसे पुनः स्थापित किया जाता है। खेल का यह रूप न केवल आर्थिक पूँजी को पुनः वितरित करता है, बल्कि सांस्कृतिक पूँजी को भी समृद्ध बनाता है। स्थानीय तीरंदाज़ी क्लबों को मिलने वाला वित्तीय समर्थन भविष्य की पीढ़ी को विशेषज्ञता प्रदान करता है। इस प्रकार, लॉटरी एक सामाजिक स्व-सुधार का उपकरण बन जाता है। हालांकि, निरंतर ट्रांसपेरेंसी की मांग की जानी चाहिए, ताकि जनता का विश्वास किला बना रहे। यदि हम इस पहल को बिना प्रश्न पूछे अपनाते हैं, तो यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी को कमजोर कर सकता है। इसलिए, आलोचनात्मक सोच को बनाए रखना आवश्यक है। अंत में, यह स्पष्ट है कि शिलॉन्ग तीर लॉटरी हमारे सामाजिक ताने‑बाने में एक महत्वपूर्ण धागा बुन रही है, जो विविधताओं को जोड़ता है और सामूहिक चेतना को विस्तारित करता है।

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