जब इंडिया मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 2 अक्टूबर 2025 को एक विशेष भारी बारिश चेतावनी जारी की, तो पूरे राज्य में घबराहट का माहौल बन गया। इस अलर्ट में बताया गया कि 3 और 4 अक्टूबर को बिहार के कई क्षेत्रों में 21 सेमी से अधिक बरसात हो सकती है, जो रिकॉर्ड स्तर के करीब है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि यह विस्फोटक बारिश ‘पश्चिमी डिस्टर्बेंस’ और अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से आने वाले ओशनिक नमी के मिलन से उत्पन्न होगी।
स्थिति का परिचय
आईएमडी की 2 अक्टूबर 2025 को जारी बुलेटिन में कहा गया है कि इस पश्चिमी डिस्टर्बेंस के कारण उत्तर‑पश्चिमी भारत में 4 अक्टूबर से शुरू होकर 6‑7 अक्टूबर तक तेज़ बर्फ़बारी, ओले और भारी वर्षा का खतरा मौजूद है। बिहार के मामलों में, बुलेटिन ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि 3‑4 अक्टूबर को पटना समेत कई जिलों में अलग‑अलग स्थानों पर 21 सेमी से अधिक बारिश हो सकती है। साथ ही, 2‑5 अक्टूबर के बीच हल्की‑मध्यम बूँदाबाँदी के साथ कभी‑कभी प्रचंड बूँदाबाँदी की संभावना भी बताई गई है।
वैकल्पिक मौसम तंत्र का विवरण
पश्चिमी डिस्टर्बेंस मूलतः मध्य‑उत्तरी भारत में ठंडे वायुओं का प्रावाह है, जो ऑरलैंडो के पास ऊपरी‑वायुमंडलीय साइक्लोन के साथ मिलकर अस्थिरता पैदा करता है। इस बार, अरब सागर और बंगाल समुद्र दोनों से नमी के उच्च स्तर ने क्षैतिज रूप से बीता, जिससे निचले ट्रोपोस्फेयर में जलवाष्प की आपूर्ति बढ़ी। आईएमडी के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक डॉ. रमेश कुमार ने कहा, “यह संयोजन हमारी हिसाब‑किताब में नहीं आया था; आज का सत्र बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।”
उच्च स्तर पर, अरुणाचल प्रदेश के ऊपर लगा सायक्लॉनिक सर्कुलेशन नीचे के वायुमंडल में ऊपर‑नीचे की धारा को प्रेरित कर रहा है, जिससे बारिश के लहरें बिहार में तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। इस दौरान 5‑6 अक्टूबर को उत्तर‑पश्चिमी भारत में अल्पावधि ओले की भी आशंका जताई गई है, जिसका मुख्य कारण तेज़ ठंडी हवाएँ और नमी के मिलन का बिंदु है।
प्रभावित क्षेत्र और संभावित खतरें
- बिहार के प्रमुख शहरों में पटना, भोपाल, भागलपुर और गयादुर्ग में खतरनाक जलभराव की संभावना।
- गया हवाई अड्डा (गया हवाई अड्डा) में 6 अक्टूबर को 79°F तापमान, शून्य गति वाली हवाएँ और 1,800 फ़ीट पर हल्की बादल छटा देखी गई।
- पूरा महीना औसतन 24°C‑33°C के बीच रहेगा, जिससे हाई‑ह्युमिडिटी के साथ असहजता बढ़ेगी।
- अक्टूबर में कुल 3‑8 बारिश वाले दिन, कुल 97 mm वर्षा का अनुमान; लेकिन 3‑4 अक्टूबर में 21 सेमी की प्रेसेंस अत्यधिक विचलन दर्शाती है।
स्थानीय प्रशासन ने झेलते हुए कहा कि एरिया के जल निकासी व्यवस्था अभी भी विकास चरण में है, इसलिए अचानक तेज़ बाढ़ के मामले में जोखिम बढ़ सकता है।
स्थानीय प्रतिक्रिया और सिफारिशें
बिहार सरकार ने तुरंत रीस्क्यू टीमों को तैयार किया और प्रमुख जलमार्गों पर बाढ़ चेतावनी संकेत लगाए। पटना के महापालिका अध्यक्ष सुश्री सीमा सिंह ने कहा, “हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे घर के बाहर निकलते समय जल-रक्षात्मक उपकरण रखें, और यदि संभव हो तो उच्च जमीन वाले क्षेत्रों में रात बिताएँ।”
आईएमडी ने भी कुछ व्यावहारिक टिप्स जारी किए:
- पानी की बोतल हमेशा साथ रखें – तापमान 30 °C‑35 °C के बीच रहने से डिहाइड्रेशन आसान हो सकता है।
- छाता या वाटरप्रूफ जैकेट रखें; तेज़ बारिश में अचानक बूँदाबाँदी में फँसना आम बात है।
- किसी भी जल निकासी नाली में फँसी वस्तु हटाने की कोशिश न करें; इससे बचाव कर्मियों को परेशानी हो सकती है।
- यदि आप बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में हैं, तो स्थानीय आपदा प्रबंधन केंद्र के निर्देशों का पालन करें।
ऑनलाइन मौसम ऐप AccuWeather ने भी इस अवधि के लिए रीयल‑टाइम अपडेट का वादा किया है। उनका डेटा दर्शाता है कि 4 अक्टूबर को पटना में अधिकतम तापमान 82°F और न्यूनतम 74°F होगा, जबकि 5 अक्टूबर को 85°F तक बढ़ने की संभावना है।

भविष्य की संभावनाएँ
ऐसे मौसमी पैटर्न के बाद, विशेषज्ञों का मानना है कि इस पश्चिमी डिस्टर्बेंस का प्रभाव 7‑8 अक्टूबर तक धीरे‑धीरे कम हो जाएगा। फिर भी, आईएमडी ने चेतावनी जारी रखी है कि उत्तर‑पश्चिमी भारत में 6 अक्टूबर तक “बहुत ही तीव्र वर्षा और संभावित ओले” फिर भी बन सकता है। इस कारण, अगले दो हफ्तों में भी सतर्कता आवश्यक रहेगी।
विपरीत मौसम विज्ञान के अनुसार, इस प्रकार की भारी वर्षा मानसूनी समाप्ति की दिशा में एक संकेत भी हो सकती है, जिससे शेष गर्मियों में तापमान थोड़ा घट सकता है। लेकिन, जलस्रोतों की भरपूर पुनर्भरण के साथ बाढ़‑जीवन जोखिम भी साथ ही रहेगा।
पृष्ठभूमि
बिहार में पिछले वर्षों में सात‑आठ अक्टूबर के बीच भारी बारिश हुई है, पर 21 सेमी जैसी मात्रा दुर्लभ है। सितंबर 2024 में भी समान प्रकार की स्थिति देखने को मिली थी, जहाँ 25‑28 सितंबर को तीव्र बवंडर‑से‑जैसी बारिश हुई थी। इतिहास से सीखते हुए, कई बार कृषि फ़सलें और सड़कें जलमग्न हो गई हैं, विशेषकर पश्चिमी बिहार के हिस्सों में।
विज्ञान समुदाय इस बात पर झुका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी डिस्टर्बेंस का पैटर्न बदल रहा है, जिससे अधिक बार और अधिक तीव्र मौसम घटनाएँ सामने आ रही हैं। इस दिशा में अब अधिक सटीक भविष्यवाणी मॉडल विकसित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बिहार में इस बारिश से कौन‑कौन प्रभावित होगा?
मुख्यतः पटना, गयादुर्ग, भागलपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़, जलभराव और यातायात जाम की आशंका है। किसान प्रभावित होंगे क्योंकि जल‑स्रोतों में अचानक भरपूर पानी से फसलें बाढ़‑कृष्ण बन सकती हैं।
क्या इस मौसम में कोई ओले या बर्फ़बारी की संभावना है?
हाँ, आईएमडी ने 5‑6 अक्टूबर के बीच उत्तर‑पश्चिमी भारत में ओले और हल्की बर्फ़बारी की चेतावनी दी है, विशेषकर परवतीय क्षेत्रों में। बिहार में ओले की संभावना कम है, पर मोटी बूँदाबाँदी के साथ कभी‑कभी ठंडी हवाएँ चल सकती हैं।
स्थानीय प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं?
बिहार सरकार ने रेस्क्यू टिमों को तैनात किया, प्रमुख जलनालियों की सफ़ाई बढ़ाई और आपदा प्रबंधन केंद्रों को सक्रिय किया है। साथ ही, हेल्पलाइन नंबर और ऑनलाइन अपडेट सेवा भी प्रदान की गई है।
किसे इस मौसम में किन सावधानियों की जरूरत है?
नागरिकों को जलवायु से बचाव के लिए छाता, वाटर‑प्रूफ जैकेट और पर्याप्त पानी रखना चाहिए। कम-उच्च जलस्तर वाले क्षेत्रों से दूर रहना, तथा स्थानीय आपातकालीन सूचना पर ध्यान देना जरूरी है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?
विज्ञानियों का मानना है कि उन्नत मौसम मॉडल, बेहतर जल‑निकासी ढाँचा और समय पर चेतावनी प्रणाली स्थापित करने से नुकसान कम किया जा सकता है। सरकार को दीर्घकालिक जल‑प्रबंधन और बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में नियोजन पर ध्यान देना चाहिए।
अक्तूबर 6, 2025 AT 20:34
Mohammed Azharuddin Sayed
बाढ़ की संभावना को देखते हुए, घर के नीचे की अलमारियों को खाली कर देना चाहिए। ढलान वाली गली में पानी जमा न हो, इसके लिये रेत या कंकड़ भरे जाने चाहिए। अगर आप निकासी नाली में कुछ फँस जाए तो तुरंत खुद न छेड़ें, बचाव टीम को बुलाएँ। बाढ़ आने से पहले आपातकालीन किट तैयार रखें - पानी की बोतल, टॉर्च, और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री। छोटे बच्चों को सुरक्षित जगह पर ले जाना याद रखें।