मनन चक्रवर्ती

लेखक

नेटफ्लिक्स की 'महानाटक' में जुनैद खान की अभिनय पारी

नेटफ्लिक्स ने हाल ही में 'महानाटक' नामक एक फिल्म को रिलीज किया है, जिसमें मशहूर अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान ने अभिनेता के रूप में अपनी नई पारी शुरू की है। यह फिल्म 1860 के दशक के बम्बई में आधारित है और बहुत सारी विवादास्पद विषयों को छूती है। जुनैद खान ने इस फिल्म में कार्सानदास मुल्जी की भूमिका निभाई है, जो एक युवा लड़का है और आगे चलकर एक पत्रकार बनता है।

हालत और परिस्थितियों पर आधारित कहानी

फिल्म की कहानी कार्सानदास मुल्जी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक पत्रकार बनने के लिए संघर्ष करता है। हालांकि, फिल्म में कार्सान का चरित्र अपने तथाकथित नारीवादी विचारों के विपरीत दिखाई देता है। कार्सान के माध्यम से फिल्म ने कुछ ऐसे मुद्दों को उजागर किया है जो आज भी प्रासंगिक हैं। कार्सान की प्रेमिका किशोरी का किरदार शालिनी पांडे द्वारा निभाया गया है। फिल्म की कहानी तब गंभीर मोड़ लेती है जब फिल्म का लोकल पुजारी महाराज, जो कि जयदीप अहलावत द्वारा निभाया गया है, किशोरी के साथ दुर्व्यवहार करता है।

इस घटना के बाद जब कार्सान को इस बारे में पता चलता है, तो वह किशोरी को ही शर्मिंदा करने लगता है, बजाय इसके कि वह महाराज को कसूरवार ठहराए। इस नैरेटिव की वजह से फिल्म पर प्रगतिशील मूल्यों की कमी का आरोप लगा है और कार्सान का चरित्र हाल ही की हिंदी फिल्मों के सबसे बड़े 'रेड फ्लैग' चरित्रों में से एक माना गया है।

फिल्म की आलोचना और विवाद

फिल्म 'महानाटक' की आलोचना कई पक्षों से हुई है। कई आलोचकों ने यह आवाज उठाई है कि फिल्म में एक स्पष्ट सुधार या क्षमा के तत्व की कमी है। कार्सान का चरित्र, जो दिखने में प्रगतिशील और नारीवादी होने का दावा करता है, अपने कार्यों में पूरी तरह विपरीत दिखाई देता है। इस वजह से, दर्शक और समीक्षक दोनों ही फिल्म की नैतिकता को लेकर निराश हैं।

फिल्म के माध्यम से निर्देशक ने समाज के कई मुद्दों को उजागर करने की कोशिश की है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह फिल्म अपने उद्देश्य में असफल रही है। कार्सान का किरदार, जो एक नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, अपने विचारों और अपने कार्यों में कहीं पहुंच नहीं पाता है। इस वजह से, दर्शक फिल्म के अंत में एक अधूरेपन का अनुभव करते हैं।

जुनैद खान की पहली फिल्म

फिल्म 'महानाटक' जुनैद खान की अभिनय करियर की पहली फिल्म है। उनका प्रदर्शन मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर रहा है। कुछ आलोचकों ने उनकी प्रतिभा की सराहना की है, जबकि अन्य को उनका प्रदर्शन उत्तेजक नहीं लगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि जुनैद खान आगे चलकर बॉलीवुड में अपने करियर को कैसे संवारते हैं।

फिल्म 'महानाटक' के विवादास्पद विषय और पात्रों के बावजूद, यह देखने लायक है कि दर्शक और आलोचक फिल्म को किस नजरिए से देखते हैं। चाहे जैसा भी हो, यह फिल्म समाज के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करती है और इस पर गंभीर विचार करने की जरूरत है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

फिल्म 'महानाटक' ने जुनाैी विवादस्पद मुद्दों को सामने लाकर दर्शकों को एक समृद्ध वैचारिक भोजन दिया है। जुनैद खान की इस पहली फिल्म में उनका प्रदर्शन बेशक आलोचना के निशाने पर रहा, लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने अपने अभिनय का दम दिखाया है। फिल्म के नायक के चरित्र को लेकर विवाद होना लाजमी है और उसी ने इस फिल्म को चर्चा का केंद्र बिंदु बना दिया है। इस फिल्म का उद्देश्य समाज के उन अंधीरो सचों को दिखाना है जिन्हें नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं है।

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