मनन चक्रवर्ती

लेखक

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025: भारत की अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति

भारत की आर्थिक स्थिति के विस्तृत आकलन के रूप में प्रस्तुत किया गया आर्थिक सर्वेक्षण 2024-2025, संसद में 31 जनवरी 2025 को प्रस्तुत किया गया। यह सर्वेक्षण विभिन्न आर्थिक संकेतकों की व्याख्या करते हुए आने वाले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की दिशा को निर्धारित करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें यह कहा गया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच रहने की संभावना है, जो देश की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था की ओर इशारा करती है।

गौर करने योग्य प्रमुख बिंदु

गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण न केवल आर्थिक स्वास्थ्य का विश्लेषण करता है बल्कि भविष्य के लिए विस्तार से प्रक्षेपण भी करता है। वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.4% लगाया गया है, जो अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की स्थिर और सकारात्मक वृद्धि को दर्शाता है। इसके साथ ही शहरी रोजगार दर में भी सुधार देखने को मिला है। पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए शहरी रोजगार दर 6.6% से घटकर 6.4% हो गई है, जो रोजगार बाजार में सकारात्मकता का संकेत देती है।

मुद्रास्फीति और विदेशी निवेश पर चर्चा

सर्वेक्षण द्वारा यह संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति में भी हल्की राहत मिली है। अप्रैल से दिसंबर 2024 तक की अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4% से घटकर 4.9% पर आ गई। इस अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति, विशेष रूप से सब्जियों के मौसमी सप्लाई और कीमतों में गिरावट से राहत मिलती दिखी। इसकी वजह से आरबीआई लक्ष्य के अनुकूल मुद्रास्फीति दर का अनुमान FY25 में 4.8% और FY26 में 4.2% रखा गया है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) में 17.9% की वृद्धि देखी गई है, जो भारत में विदेशी निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। यह न केवल भारतीय बाजार में आस्था को पुनर्स्थापित करता है बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए देश के बढ़ते अवसरों का परिचायक भी है।

रुपये का अवमूल्यन और बैंकिंग प्रणाली का स्वास्थ्य

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में रुपये के अवमूल्यन का मुख्य कारण अमेरिकी डॉलर की शक्ति और जियोपॉलिटिकल तनाव रहे। हालांकि, अगले पांच वर्षों में प्रति वर्ष केवल 5% की वार्षिक अवमूल्यन परियोजित की गई है। बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादनीय संपत्तियों के प्रतिशत में कमी आई है, जो वित्तीय व्यवस्था के सुधार को इंगित करता है। 12 साल के निचले स्तर 2.6% पर यह अपरंपरागत रूप से सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

शेयर बाजार और उपभोक्ता क्रेडिट पर प्रभाव

शेयर बाजार और उपभोक्ता क्रेडिट पर प्रभाव

बीएसई-सूचीबद्ध स्टॉक्स का कुल बाजार पूंजीकरण 23 मई 2024 को $5 ट्रिलियन के पार चला गया, जिससे समझ में आता है कि भारतीय वित्तीय बाजारों में तेजी आई है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024 में कुल बैंक क्रेडिट में उपभोक्ता क्रेडिट की हिस्सेदारी 18.3% से बढ़कर 32.4% हो गई है। यह उपभोक्ता खर्चों में वृद्धि को दर्शाता है, जिससे घरेलू मांग में स्थायित्व आता दिखाई देता है।

सर्वेक्षण में यह सुझाव दिया गया है कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को एक स्थिर 8% वृद्धि दर बनाए रखनी होगी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 21.4% जीडीपी के स्तर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा देते हुए सरकार ने वित्तीय विवेक का प्रदर्शन किया है, जो अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बहुगुणक प्रभाव डाल सकता है।

निष्कर्ष नहीं, बल्कि आगे की राह

यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था की संक्षिप्त तस्वीर पेश करती है। यह अर्थव्यों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं और चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक समृद्धि और दीर्घकालिक वृद्धि के लक्ष्यों को साकार करने के लिए सुधार और रणनीति का कार्यान्वयन आवश्यक होगा। मुद्रास्फीति नियंत्रण, रोजगार सृजन और विदेशी निवेश बढ़ाना उच्च प्राथमिकता वाले मुद्दे हैं।

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