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John David 1 टिप्पणि

जब Sanjay Malhotra, RBI के गवर्नर ने 1 अक्टूबर 2025 को Reserve Bank of India (RBI) के मौजूदा रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा, तो बाजार ने इसे एक जानबूझकर ‘पॉज़’ के रूप में पढ़ा। यह फैसला Monetary Policy Committee (MPC) Meeting October 2025मुंबई में सर्वसम्मति से लिया गया और लगभग सभी आर्थिक विश्लेषकों की उम्मीदों के मुताबिक था।

पिछले महीनों की मौद्रिक नीति का सारांश

2025 की शुरुआत में RBI ने तेजी से अपने ब्याज दर ढांचे को ढीला किया। फरवरी में पहली बार रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद, जून में अचानक 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती की गई – यह कटौती बाजार की 25 पॉइंट की अपेक्षा से दो गुना अधिक थी। इसके बाद सितंबर में दो और छोटे‑छोटे कटौतियों के साथ कुल 100 बेसिस पॉइंट की कमी आई, जिससे रेपो दर अगस्त 2022 के बाद अपने निचले स्तर 5.50 प्रतिशत पर पहुंच गई। इन कदमों ने मौद्रिक नीतियों को ‘आकर्षक’ (accommodative) से ‘तटस्थ’ (neutral) की दिशा में मोड़ दिया।

नया आर्थिक अनुमान और उनका महत्व

सत्र के दौरान, गवर्नर ने FY 2025‑26 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। यह उन्नति तीन‑त्रैमासिक प्रोजेक्शन में स्पष्ट है: Q2 (जुलाई‑सितंबर) में 7.0 प्रतिशत, Q3 (अक्टूबर‑दिसंबर) में 6.4 प्रतिशत और Q4 (जनवरी‑मार्च) में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

इसी दौरान मुद्रास्फीति पर भी बड़ी राहत मिली। RBI ने हेडलाइन महंगाई का अपना लक्ष्य 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया, जबकि कोर‑इन्फ्लेशन (भोजन‑ईंधन‑मुक्त) को 4.2 प्रतिशत पर स्थिर रखा। यह संकेत देता है कि महँगी वस्तुओं के मूल्य में गिरावट ने नीति‑निर्धारकों को थोड़ी साँस ली है, लेकिन यह लक्ष्य अभी भी 2‑6 प्रतिशत के व्यापक लक्ष्य रेंज के भीतर है।

बाजार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

बेंचमार्किंग फर्म के मुख्य अर्थशास्त्रियों में से एक Ashima Sinha ने कहा, “RBI ने तेज़ी से दर‑कट के बाद अब थोड़ा रुक कर देखने का विकल्प चुना है। अगर नकदी‑संकुल (liquidity) का असर बैंकों तक सही‑तरह से पहुँच रहा है, तो हम आगे की कटौती की संभावना को मध्यम मान सकते हैं।”

दूसरी ओर, मुंबई‑आधारित फिक्स्ड‑इन्कम एनालिस्ट Rohit Deshmukh ने चेतावनी दी, “अमेरिकी टैरिफ‑प्रभाव और वैश्विक सप्लाई‑चेन तनाव अभी भी बड़ा अंधेरा बादल बनाये हुए हैं। यदि इन जोखिमों में वृद्धि होती है, तो RBI को पुनः सख्ती की दिशा में कदम बढ़ाने पड़ सकते हैं।”

भविष्य की संभावनाएँ और जोखिम कारक

भविष्य की संभावनाएँ और जोखिम कारक

केंद्रीय बैंक ने कई संकेतक तय किए हैं जो अगले 4‑8 हफ़्तों में उसकी अगली कार्रवाई को आकार देंगे:

  1. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का मार्ग – विशेषकर खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतें।
  2. ब्याज‑दर का बैंक‑तो‑बैंक (policy transmission) प्रभाव – वो किस गति से जमाओं व ऋणों में परिलक्षित हो रहा है।
  3. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के प्रवाह और उसके साथ जुड़े मुद्रा‑विनिमय जोखिम।
  4. अमेरिकी फेडरल रिज़र्व का मौद्रिक पॉलिसी मार्ग – यदि Fed आगे भी दर‑कट जारी रखता है, तो RBI के पास मौद्रिक नीति को ‘सिंक्रोनाइज़’ करने की गुंजाइश बढ़ेगी।
  5. ग्लोबल टैरिफ‑डायनमिक्स, विशेषकर एशिया‑पैसिफिक शिपिंग और एंटी‑डम्पिंग प्रावधान।

इनमें सबसे प्रमुख जोखिम अभी भी यू.एस. के संभावित अतिरिक्त टैरिफ़ और भारत में जीएसटी‑संबंधी मूल्य‑विचलन हैं। यदि इनमें अस्थिरता बढ़ती है, तो RBI को फिर से ‘सावधानी’ (cautious) रुख अपनाना पड़ सकता है, जिससे दर‑कट की संभावना कम हो जाएगी।

मुख्य बिंदु

  • रेपो दर 5.50 % पर स्थिर – अगस्त 2022 से कमतम स्तर।
  • GDP वृद्धि 6.8 % की नई प्रक्षेपण, Q2 में 7.0 % तक पहुँचने की उम्मीद।
  • हेडलाइन महंगाई 2.6 % – लक्ष्य रेंज के मध्य में।
  • कोर‑इन्फ्लेशन 4.2 % पर स्थिर।
  • आगामी 4‑8 हफ़्तों में CPI, नीति‑परिवहन, वैश्विक टैरिफ़ और FPI पर करीबी निगरानी।

आगे क्या हो सकता है?

RBI ने कहा है कि वह “वास्तविक अर्थव्यवस्था में पहले की कटौतियों के प्रभाव को पूरी तरह समझने” के बाद ही अगली नीतिगत कदम उठाएगा। इस बात से यह संकेत मिलता है कि यदि मुद्रास्फीति और आय‑संतुलन स्थिर रहता है, तो वर्ष अंत के पहले या दूसरे तिमाही में हल्की दर‑कट की संभावना बनी रह सकती है। लेकिन ऊपर बताए गए बाहरी जोखिमों की तीव्रता इस परिदृश्य को हमेशा बदल सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या रेपो दर में आज की स्थिरता का मतलब अगले महीने ह्रास नहीं होगा?

बिलकुल नहीं। RBI ने कहा है कि वह पिछले कटौतियों के प्रभाव को देखने के बाद ही अगला कदम तय करेगी। अगर महँगी वस्तुओं की कीमतें और अधिक घटें, तो अगले बिचौलियों में दर‑कट की संभावना फिर भी बनी रह सकती है।

GDP वृद्धि के नए अनुमान का भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?

6.8 % की अनुमानित वृद्धि बाजार को सकारात्मक संकेत देती है। इससे इक्विटी बाजार में जोखिम‑भुगतान बढ़ सकता है, जबकि बंधक एवं बैंकों की लोन‑डिमांड भी प्रोत्साहित हो सकती है। लेकिन निवेशकों को अभी भी वैश्विक टैरिफ़ जोखिमों से सतर्क रहना होगा।

मुद्रास्फीति लक्ष्य 2.6 % तक गिरने से भारतीय गृहस्थियों को क्या लाभ मिलेगा?

यदि महँगी वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो रोज़मर्रा के सामान, विशेषकर अनाज और सब्ज़ियों की कीमतें उपभोक्ताओं की जेब पर हल्की पड़ेंगी। इससे वास्तविक आय में धीरे‑धीरे सुधार की उम्मीद है।

अमेरिकी टैरिफ़ जोखिम का RBI की नीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

यदि यू.एस. अतिरिक्त टैरिफ़ लागू करता है, तो निर्यात‑आधारित सेक्टर्स में लाभ मार्जिन कम हो जाएगा, जिससे कॉरपोरेट प्रॉफिट घटेगा और संभावित रूप से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा। ऐसी स्थिति में RBI को फिर से सख्ती की ओर झुकना पड़ सकता है।

RBI ने अगली बार कब बैठक रखी है और क्या नई दर‑कट की उम्मीद की जा सकती है?

अगली मौद्रिक नीति बैठक 5 जनवरी 2026 को निर्धारित है। यदि अगले दो तिमाहियों में महंगाई लक्ष्य से नीचे रहती है और आर्थिक विस्तार जारी रहता है, तो छोटे‑से‑छोटे कटौतियों की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

टिप्पणि

  • Vibhor Jain

    अक्तूबर 1, 2025 AT 21:44

    Vibhor Jain

    अरे वाह, RBI ने फिर से वही फ़ैसला कर लिया, जैसे हर बार यही होता है।

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