चक्रवाती तूफान मोंथा अभी तक आंध्र प्रदेश के तट पर टकराने के लिए तैयार है, लेकिन उसकी छाया झारखंड के आसमान में पहले से ही घुस चुकी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 25 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में शुरू हुआ यह निम्न दबाव क्षेत्र, 27 अक्टूबर तक चक्रवाती तूफान मोंथा में बदल गया, और अब इसकी गति 90-100 किमी/घंटा है — कभी-कभी 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। लेकिन यहां का सवाल यह नहीं कि यह कहां टकराएगा... बल्कि यह है कि इसका असर झारखंड के गांवों, खेतों और घरों पर कैसे पड़ेगा।
झारखंड पर चक्रवात का असर: बारिश नहीं, बल्कि बाढ़ का खतरा
रांची स्थित रांची मौसम केंद्र ने 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2025 तक राज्य के 15 जिलों में भारी बारिश का पीला अलर्ट जारी किया है। इनमें धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर, रांची, गुम्ला, लोहरदगा और सिमडेगा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वरीय मौसम पूर्वानुमान वैज्ञानिक सतीश चंद्र मंडल ने बताया, "चक्रवात का केंद्र तो तट पर है, लेकिन उसके चक्रवाती चक्र का बाहरी हिस्सा हमारे राज्य के ऊपर घूम रहा है। यही कारण है कि अभी से ही बादल छाए हुए हैं, और अगले दिनों में बारिश का दायरा बढ़ेगा।"
मौसम केंद्र के अनुसार, 28 अक्टूबर को राज्य के कुछ हिस्सों में 70-100 मिमी बारिश हो सकती है — जो एक दिन में औसत महीने की बारिश के बराबर है। कुछ जगहों पर तो यह आंकड़ा 120 मिमी तक पहुंच सकता है। ये बारिश अकेली नहीं आएगी। इसके साथ 30-40 किमी/घंटा की तेज हवाएं, मेघगर्जन और वज्रपात का खतरा भी है। कुछ इलाकों में बिजली की कड़क और बारिश के साथ छतों के टूटने का खतरा है।
क्यों झारखंड भी इस तूफान का हिस्सा बन गया?
इस बार चक्रवात मोंथा असामान्य रूप से उत्तर की ओर बढ़ रहा है। आमतौर पर ऐसे तूफान ओडिशा या पश्चिम बंगाल तक ही जाते हैं, लेकिन इस बार उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की दिशा ने झारखंड और बिहार को भी अपने दायरे में ले लिया। IMD की विश्लेषण टीम के अनुसार, इसका कारण है उत्तरी भारत में एक असामान्य उच्च दबाव का क्षेत्र — जो चक्रवात को दक्षिण से उत्तर की ओर धकेल रहा है।
यही वजह है कि झारखंड में बारिश का अलर्ट तब जारी किया गया, जब तूफान अभी तक समुद्र के बीच में था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा पिछले 15 साल में पांच बार हुआ है — और हर बार इसका असर बिहार और झारखंड के खेतों और बाढ़ के खतरे वाले क्षेत्रों पर पड़ा।
तापमान में गिरावट और जनता की तैयारी
अगले तीन दिनों में झारखंड में अधिकतम तापमान 3-5 डिग्री सेल्सियस गिर सकता है। लेकिन यह गिरावट न सिर्फ आराम देगी, बल्कि बारिश के बाद बढ़ने वाली नमी और ठंड के संयोजन से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। राज्य सरकार ने अस्पतालों में डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
कई गांवों में लोग पहले से ही छतों को मजबूत कर रहे हैं, बारिश के लिए जमीन पर बर्तन रख रहे हैं, और बच्चों को स्कूलों से घर पर रख रहे हैं। रांची के एक रहने वाले अमरेश सिंह ने कहा, "हमने पिछले साल भी ऐसा देखा था — बारिश ने गांव का एक हिस्सा बहा लिया था। इस बार तो बचने के लिए घर के बाहर का बर्तन भी ऊपर रख दिया है।"
क्या होगा आगे?
चक्रवात मोंथा 28 अक्टूबर की शाम या रात को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के पास तट से टकराएगा। लेकिन इसके बाद भी उसका प्रभाव दिनों तक रहेगा। IMD के अनुसार, 30 अक्टूबर तक झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में बारिश जारी रहेगी। अगले 48 घंटों में राज्य सरकार को जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण टीमों को सक्रिय करना होगा।
कृषि विभाग ने अभी तक लगभग 2.3 लाख हेक्टेयर खेतों को चेतावनी दी है — जिनमें धान, गेहूं और आलू की फसलें अभी बढ़ रही हैं। यदि बारिश लगातार रही, तो इन फसलों को नुकसान हो सकता है।
क्या हुआ अब तक?
- 25 अक्टूबर, 2025: बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र बना
- 26 अक्टूबर, 2025: डीप डिप्रेशन में विकसित
- 27 अक्टूबर, 2025: चक्रवाती तूफान 'मोंथा' बना
- 28 अक्टूबर, 2025: गंभीर चक्रवाती तूफान, झारखंड में येलो अलर्ट जारी
- 28 अक्टूबर, 2025 शाम: आंध्र प्रदेश के तट पर टकराने की संभावना
- 30 अक्टूबर, 2025: तूफान के प्रभाव का अंतिम दिन (IMD का अनुमान)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चक्रवात मोंथा के कारण झारखंड में बाढ़ का खतरा कितना है?
झारखंड के 15 जिलों में बारिश की मात्रा 70-120 मिमी तक पहुंच सकती है, जो एक दिन में औसत महीने की बारिश के बराबर है। खासकर धनबाद, बोकारो और गुम्ला जैसे क्षेत्रों में नदियों का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। इन जिलों में पहले से ही निचले इलाके हैं, जहां पिछले वर्ष भी बाढ़ आई थी। बाढ़ का खतरा अभी तक उच्च है।
मौसम विभाग ने किन राज्यों को चेतावनी जारी की है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों को चेतावनी जारी की है। इन राज्यों में तेज हवाएं, भारी बारिश और ऊंची लहरें आने की संभावना है। मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की सलाह दी गई है।
चक्रवात के बाद तापमान कैसा रहेगा?
28 अक्टूबर के बाद झारखंड में अधिकतम तापमान 3-5 डिग्री सेल्सियस गिर सकता है। यह गिरावट बारिश के बाद नमी और ठंड के कारण हो रही है। न्यूनतम तापमान में बड़ा बदलाव नहीं होने की उम्मीद है, लेकिन बारिश के बाद ठंड और नमी के कारण सांस संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
क्या इस चक्रवात का असर फसलों पर पड़ेगा?
हां, लगभग 2.3 लाख हेक्टेयर खेतों में धान, गेहूं और आलू की फसलें बढ़ रही हैं। अगर बारिश लगातार 2-3 दिन रही, तो खेतों में पानी भर सकता है, जिससे फसलें बह जाएंगी। कृषि विभाग ने फार्मर्स को बारिश से पहले फसलों को सुरक्षित करने के लिए निर्देश दिए हैं।
चक्रवात का नाम 'मोंथा' क्यों रखा गया?
'मोंथा' थाईलैंड द्वारा दिया गया नाम है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों द्वारा चक्रवातों के लिए नाम रखने की एक साझा प्रणाली का हिस्सा है। यह नाम थाई भाषा में 'मोंथा' का अर्थ है — एक प्रकार का फूल, जो शांति और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है।
अगले कदम क्या हैं?
राज्य सरकार ने आपातकालीन टीमों को सक्रिय कर दिया है। जिला प्रशासन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी शिविर तैयार कर रहे हैं। IMD अगले 24 घंटों में अपडेट जारी करेगा। लोगों को अपने आसपास के स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।
अक्तूबर 29, 2025 AT 03:20
Ajay baindara
ये सब तो बस बातें हैं, IMD कभी सही नहीं बोलता! पिछले साल भी ऐसा ही अलर्ट दिया था, कहा था बाढ़ आएगी, फिर बस एक दिन बारिश हुई और फिर सब भूल गए। अब फिर से डरा रहे हैं। इनकी वजह से लोगों का दिमाग खराब हो रहा है।
अक्तूबर 30, 2025 AT 02:32
mohd Fidz09
अरे भाई! ये चक्रवात मोंथा नहीं, ये तो अमेरिका का एक डेटा वाला शासन है! जिन्होंने ये नाम रखा, वो जानता है कि हम भारतीय लोगों को फूलों का नाम सुनकर शांति का भाव आएगा, लेकिन ये तो बाढ़ लाएगा! ये नाम रखने वाले थाई लोगों को भी नहीं पता कि ये तूफान कितना खतरनाक है! हमारी जमीन पर ये आएगा, तो ये नाम भी बदल देना चाहिए - 'मोंथा' नहीं, 'भारत का बर्बर तूफान' होना चाहिए! 💥🌺
अक्तूबर 31, 2025 AT 08:01
suraj rangankar
अरे दोस्तों! ये बारिश तो आ रही है, लेकिन अब तैयारी करो! घर के बर्तन ऊपर उठाओ, बिजली के उपकरण बंद कर दो, और बच्चों को घर में रखो! ये तूफान नहीं, ये तो एक चेतावनी है - और चेतावनी का मतलब है: तैयार हो जाओ! जिन्होंने पिछले साल बाढ़ में घर खोया, वो जानते हैं कि इस बार कितना जरूरी है ये सब करना! हम सब एक साथ लड़ेंगे - बाढ़ के खिलाफ! 💪🌧️
नवंबर 2, 2025 AT 03:25
Nadeem Ahmad
बारिश तो होगी ही। इतना अलर्ट क्यों? पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था। अब लोग घबरा रहे हैं, लेकिन जब बारिश आएगी, तो फिर भी वही बातें होंगी। बस इतना ही।
नवंबर 3, 2025 AT 18:52
kunal Dutta
अगर आप इस चक्रवात के बाहरी चक्र को एनालाइज़ करें, तो ये स्पष्ट है कि उच्च दबाव क्षेत्र का ट्रैक्शन नॉर्थ-नॉर्थवेस्ट डायरेक्शन में बदल गया है - जो आमतौर पर बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों के लिए असामान्य है। IMD का डेटा देखें: 2010, 2014, 2017, 2020, और अब 2025 - ये पैटर्न एक ट्रेंड है। अगर आप इसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में इंग्रेड करें, तो बाढ़ रिस्क कम होगा। बस एक बार अलर्ट नहीं, बल्कि सिस्टमिक रेस्पॉन्स चाहिए। 😅
नवंबर 4, 2025 AT 03:08
Yogita Bhat
ये सब तो बस एक चक्रवात नहीं, ये तो पृथ्वी की सांस लेने की आवाज़ है! हम लोगों ने जितना नष्ट किया, उतना ही वो वापस ले रहा है। आज झारखंड, कल बिहार, पर अगले साल? दिल्ली में भी बाढ़ आएगी। ये बारिश नहीं, ये अपराध का बदला है। अब तक तो बारिश बारिश है, लेकिन अब ये तो एक बड़ा सवाल है - हम किस तरह रहना चाहते हैं? 🌍💧
नवंबर 5, 2025 AT 09:10
Tanya Srivastava
अरे ये तो बस बकवास है! IMD का अलर्ट? वो तो हमेशा ऐसा ही करते हैं! और ये 'मोंथा' नाम? थाईलैंड ने रखा? अरे भाई, ये तो किसी ने फेसबुक पर बनाया होगा! और ये बारिश का आंकड़ा? 120mm? अरे भाई, मैंने तो अपने बगीचे में 50mm भी नहीं देखा! ये सब लोगों को डराने के लिए है! 😜☔
नवंबर 5, 2025 AT 22:35
Ankur Mittal
बारिश आएगी। तैयार रहें। घर के बर्तन ऊपर उठाएं। बिजली बंद करें। बच्चों को घर पर रखें। ये सब जरूरी है।
नवंबर 6, 2025 AT 09:46
Diksha Sharma
ये चक्रवात तो सीधा CIA का गुप्त अभियान है! जानते हो क्यों? क्योंकि ये बारिश तो अभी तक कहीं नहीं हुई! लेकिन सभी मीडिया और IMD ने एक साथ अलर्ट दिया - ये तो संगठित फेक न्यूज़ है! असल में ये जमीन में गुप्त चिप्स लगाने के लिए है! अब तक तो बारिश नहीं हुई, लेकिन लोग घबरा रहे हैं - ये तो नियंत्रण का तरीका है! 🕵️♀️🌀
नवंबर 6, 2025 AT 10:03
Akshat goyal
सरकार की टीमें तैयार हैं। लोगों को निर्देशों का पालन करना चाहिए।