मनन चक्रवर्ती

लेखक

मां कात्यायनी का पूजन और महत्व

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित होता है। मां कात्यायनी देवी दुर्गा के छठे अवतार और एक अद्भुत शक्ति स्वरूपा हैं। इन्हें भगवान ब्रह्मा द्वारा ऋषि कात्यायन के घर वरदान स्वरूप जन्म दिया गया था, जिससे इनका नाम कात्यायनी पड़ा। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं। धार्मिक ग्रंथों में उनके पूजन से मनवांछित फल की प्राप्ति का विशेष महत्व बताया गया है।

पूजा विधि

मां कात्यायनी की पूजा विधि काफी सरल होने के बावजूद अति प्रभावशाली मानी जाती है। यह धार्मिक विधि प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त से आरंभ होती है, जो विशेष मुहूर्त में की जाती है। इस दिन भक्त नव वस्त्र धारण करके, विशेष रूप से लाल रंग के, पूजा स्थल को सजाकर मां की प्रतिमा या चित्र को स्थल में स्थापित करते हैं। उन्हें फूल, विशेषकर कमल, अर्पित किए जाते हैं। मां को शस्त्र के रूप में तलवार और सुगंधित पुष्प प्रदत्त करने की परंपरा होती है।

मंत्र और प्रार्थना

पूजन के दौरान विशेष मंत्र जैसे "ॐ देवी कात्यायन्यै नम:" का उच्चारण किया जाता है। इससे मन की शांति और भक्ति की दृढ़ता में वृद्धि होती है। स्तुति में "या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता" का उच्चारण किया जाता है। यह विशेष प्रार्थना भी की जाती है: "चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी।" यह मंत्र स्तुति हमारी जीवन की बाधाओं को दूर करने में सहायक होती है।

अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष दिन

अविवाहित लड़कियों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो एक उपयुक्त जीवन साथी की तलाश में हैं। यह माना जाता है कि इस दिन व्रत और मां की पूजा करने से वे एक अच्छे जीवन साथी के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगी। इस दिन उनका उपवास अटूट विश्वास का प्रतीक होता है और यह उनके मन की सच्ची इच्छा को पूरा करने में सहयोग देता है।

पवित्रता और शुभता का प्रतीक

छठे दिन का शुभ रंग लाल होता है, जो प्रेम और आदान-प्रदान की भावना का प्रतीक है। इस दिन भोग और प्रसाद में शहद का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि माँ कात्यायनी की उपासना हमारे जीवन के हर बुरे तत्व को नष्ट करने में सहायक होती है और यह हमारे जीवन को शुद्ध करती है। उनके पूजन से भय और बुराई दूर होते हैं, और यह साहस और प्रेम को बढ़ावा देती है।

महिषासुर वध और शक्ति का उदहारण

महिषासुर वध और शक्ति का उदहारण

मां कात्यायनी का महिषासुर के वध की कहानी प्राचीन काल की सबसे शक्तिशाली कहानियों में से एक है। यह कथा दानवों के आतंक को समाप्त करने का उदाहरण प्रस्तुत करती है और यह बता देती है कि किसी भी चुनौतीपूर्ण समय में शक्ति और साहस की क्या मुख्यता होती है। मां का यह स्वरूप हमें यह सिखाता है कि जैसे भी हालात हों, हमें अपने भीतर की शक्ति को जाग्रत करके बुराई का सामना करना चाहिए।

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