संवेदनशील समय पर बढ़ता हुआ तनाव
चीन द्वारा ताइवान के चारों ओर सैन्य अभ्यास शुरू करने का कदम ताईवान के लिए एक गंभीर संदेश है। यह अभ्यास ताईवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-टे के शपथ ग्रहण के ठीक एक सप्ताह बाद शुरू हुआ। यह स्पष्ट संकेत है कि चीन ताइवान की ओर से कोई भी स्वतंत्रता की पहल को स्वीकार नहीं करेगा। इस अभ्यास में चीन की वायुसेना, नौसेना, और पैदल सेना ने भाग लिया, जिसे शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
ताईवान की प्रतिक्रिया
ताईवान ने चीन के इस कदम को उकसाने वाला और अयथार्थवादी करार दिया है। ताईवान ने भी अपनी वायु और नौसेना की सेनाओं को इन सैन्य अभ्यासों की निगरानी के लिए तैनात कर दिया है। ताईवान की सरकार ने इसे चीन की धौंसपट्टी का उदाहरण कहा। ताईवान की जनता में भी इस घटनाक्रम ने चिंता पैदा कर दी है।
64.8% जनता चिंतित
एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, ताईवान की 64.8% जनता को चीन और ताईवान के बीच युद्ध की संभावना को लेकर गहरी चिंता है। ताईवान सरकार, जो कि लाई के डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी द्वारा संचालित है, ने चीन की सैन्य आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए सैन्य सुधार और सैन्य खर्च में वृद्धि की है। इसके जरिए ताईवान का उद्देश्य है कि चीन को किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से रोकने के लिए युद्ध की लागत को बढ़ाना।
लाई चिंग-टे की शपथ और चीन की प्रतिक्रिया
लाई चिंग-टे के शपथ ग्रहण के बाद से ही चीन की नजर ताईवान के हर कदम पर है। लाई का ताईवान की संप्रभुता के प्रति रुख बीजिंग द्वारा बारीकी से देखा जा रहा है। यह घटनाक्रम दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाने की संभावना है। चीनी सेना का यह अभ्यास एक ऐसे वक्त पर आया है जब ताईवान पहले से ही चीन की सैन्य गतिविधियों से घिरा हुआ है।
इतिहास की पुनरावृत्ति
यह पहली बार नहीं है कि चीन और ताईवान के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है। हाल के वर्षों में चीन ने ताईवान के आसपास लगभग दैनंदिन हवाई और समुद्री गश्ती बढ़ा दी हैं। यह परिस्थिति ताईवान की सरकार और जनता दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद, ताईवान निरंतर अपने सैन्य सशक्तिकरण पर जोर दे रहा है ताकि चीन की किसी भी प्रकार की आक्रामकता का प्रत्युत्तर दिया जा सके।
ताइवान की रणनीति
ताईवान की सैन्य सुधार रणनीति में न केवल सैन्य उपकरणों की आधुनिकता, बल्कि सेनाओं के प्रशिक्षण और उच्च प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर भी ध्यान दिया जा रहा है। यह कदम इस बात को दर्शाता है कि ताईवान किसी भी प्रकार से पीछे हटने का इरादा नहीं रखता। इसके साथ ही, ताईवान ने अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से भी सहयोग की अपेक्षा की है ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
भविष्य की दिशा
आने वाले समय में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चीन और ताईवान के बीच यह तनाव किस दिशा में बढ़ता है। हालांकि, स्पष्ट रूप से इस तरह की घटनाओं से ताईवान के लोगों में चिंता की लहर दौड़ गई है और सरकार को भी अपना सशक्तिकरण तेजी से बढ़ाना पड़ रहा है। ताईवान की जनता का यह विश्वास है कि उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता का संरक्षण करना सरकार का प्राथमिक उत्तरदायित्व है।