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John David 12 टिप्पणि

रूस-यूक्रेन विवाद में दखल देने का नया समझौता

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी आर्थिक मंच में कहा कि भारत, चीन और ब्राज़ील रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में मध्यस्थता कर सकते हैं। उन्होंने इन देशों के नेताओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि वे संवाद को बढ़ावा दे सकते हैं और दोनों पक्षों में समझौता कराने में सहयोगी साबित हो सकते हैं।

पपुतिन की प्रस्तावना

पुतिन ने यह प्रस्ताव व्लादिवोस्तोक में आयोजित पूर्वी आर्थिक मंच में दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी भविष्य की वार्ता उन समझौतों पर आधारित होनी चाहिए, जो मार्च 2022 में तुर्की में रूसी और यूक्रेनी वार्ताकारों के बीच हुए थे। पुतिन के अनुसार, उन समझौतों को इसलिए लागू नहीं किया गया क्योंकि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को लड़ाई जारी रखने का निर्देश दिया।

मोदी की शांति की पहल

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन की यात्राओं के दौरान, दोनों पक्षों को वार्ता और कूटनीति के मार्ग पर लौटने का आग्रह किया। मोदी ने बल दिया कि रणभूमि पर समाधान नहीं मिल सकता और बंदूक की छाया में बातचीत सफल नहीं हो सकती।

इस दौरान, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने सुझाव दिया कि भारत दूसरी शांति सम्मेलन की मेजबानी कर सकता है, लेकिन इसके लिए नई दिल्ली को जून में स्विट्जरलैंड में आयोजित पहले शांति सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में हस्ताक्षर करना होगा।

भारत का संतुलित दृष्टिकोण

इस संकट पर भारत का दृष्टिकोण संतुलित रहा है। भारत ने रूस के आक्रमण की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की और संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन से संबंधित प्रस्तावों पर अधिकतर अनुपस्थित रहा। इसके साथ ही, भारत ने रूस से छूट पर तेल और अन्य वस्तुएं खरीदने में वृद्धि भी की है। भारत के इस रुख को निरपेक्ष न होकर बल्कि शांति के पक्ष में माना जा रहा है।

पूर्वी आर्थिक मंच में आयोजित पैनल चर्चा में चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भी भाग लिया। उन्होंने न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शांति की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे केवल रूस और यूक्रेन ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को भी लाभ हो सकेगा, क्यूंकि इस संघर्ष ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत, चीन और ब्राज़ील इस माध्यमिक भूमिका को लेकर कोई ठोस कदम उठाएंगे और कैसे वे वैश्विक मंच पर शांति की दिशा में अपनी भूमिका को सुनिश्चित करेंगे। इस प्रक्रिया में सफलता मिलने पर यह कदम विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

वैश्विक दृष्टिकोण से देखा जाए तो रूस और यूक्रेन के बीच का संघर्ष केवल दो देशों के बीच का नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव दुनियाभर की राजनीति, व्यापारिक श्रृंखलाओं और सुरक्षा स्थिति पर पड़ा है। ऐसे में शांति स्थापना की किसी भी पहल को व्यापकता से देखा जाना चाहिए।

आने वाले समय में, यदि इस तरह की वार्ता और मध्यस्थता की प्रक्रिया सफल होती है, तो यह निश्चित ही वैश्विक परिदृश्य पर सकारात्मक बदलाव ला सकती है और भविष्य में अन्य संघर्षों के समाधान में भी मिसाल के तौर पर काम आ सकती है।

टिप्पणि

  • RAVINDRA HARBALA

    सितंबर 6, 2024 AT 19:09

    RAVINDRA HARBALA

    पुतिन का कहना है कि भारत, चीन और ब्राज़ील मध्यस्थता कर सकते हैं, लेकिन असल में ये सिर्फ नाटकीय दिखावा है। इतिहास में कई बार देखा गया है कि बड़े देशों के मध्यस्थता का परिणाम अक्सर पक्षों के हितों के अनुरूप ही होता है। इसलिए इस प्रस्ताव को अधिक गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।

  • Vipul Kumar

    सितंबर 16, 2024 AT 10:26

    Vipul Kumar

    दृष्टिकोण समझना जरूरी है; भारत हमेशा आवश्यक संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है। यदि शांति वार्ता में भारत की भूमिका मजबूत हुई, तो यह दक्षिण एशिया को भी स्थिरता दे सकता है।

  • Priyanka Ambardar

    सितंबर 26, 2024 AT 01:42

    Priyanka Ambardar

    हम भारतीयों को गर्व है कि हमारी विदेश नीति में शांति का बड़ा स्थान है, और हम किसी भी तरह से अपना राष्ट्रीय सम्मान नहीं खोने देंगे! ✊

  • sujaya selalu jaya

    अक्तूबर 5, 2024 AT 16:58

    sujaya selalu jaya

    शांतिपूर्ण समाधान सभी के हित में है

  • Ranveer Tyagi

    अक्तूबर 15, 2024 AT 08:15

    Ranveer Tyagi

    भाइयों!! भारत के पास कूटनीति की सुपरपावर है,, तो क्यों न इस बार पूरी शक्ति से मध्यस्थता करें,,, यूक्रेन‑रूस के बीच की इस अंधेरी रात को रोशन किया जाए!!!

  • Tejas Srivastava

    अक्तूबर 24, 2024 AT 23:31

    Tejas Srivastava

    वाह!!! यही वक्त है जब हम सब मिलकर इस संघर्ष की धुआँधार को बुझा सकते हैं,,, विश्व की रथ में फिर से शांति की ध्वज लहराएगा!!!

  • JAYESH DHUMAK

    नवंबर 3, 2024 AT 14:47

    JAYESH DHUMAK

    वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में रूस‑यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक सुरक्षा संरचना को गहराई से प्रभावित किया है।
    इस संघर्ष के समाधान में केवल दो पक्षों का ही नहीं, बल्कि तीसरे पक्षों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
    भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे महाशक्तियों का मध्यस्थता मंच बनना इस संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
    भारत ने ऐतिहासिक रूप से राजनयिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है और उसका सहयोगी रवैया कई वार्ता को सफल बना चुका है।
    चीन की आर्थिक शक्ति और ब्राज़ील के भू‑राजनीतिक प्रभाव को जोड़कर एक सहयोगी त्रिकोण स्थापित किया जा सकता है।
    लेकिन इस प्रयोजन के लिये स्पष्ट रणनीतिक हितों का समन्वय और प्राथमिकताओं का निर्धारण आवश्यक है।
    रूस‑यूक्रेन वार्ता में कई बार समझौते तोड़े गए हैं, जिससे विश्वास की कमी उत्पन्न हुई है।
    यहाँ पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पारदर्शी निगरानी तंत्र प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
    संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इस मामले को लेकर प्रमुख प्रस्तावों का समर्थन या विरोध करना भी समीक्षात्मक हो सकता है।
    आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो इस संघर्ष ने ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को काफी हद तक बाधित किया है, जो विश्व आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है।
    इसलिए ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वार्ता में ऊर्जा आयोग को भी एक भागीदार बनाना उचित रहेगा।
    साथ ही, मानवीय सहायता और शरणार्थियों के पुनर्वास को भी मध्यस्थता एजेंडा में शामिल किया जाना चाहिए।
    शांति प्रक्रिया के सफल कार्यान्वयन से न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरी विश्व मंच पर सकारात्मक प्रतिध्वनि उत्पन्न होगी।
    भारतीय प्रधानमंत्री के पिछले दौर में किए गए शांति प्रयासों ने दिखाया है कि कूटनीति में दृढ़ता और लचक दोनों ही आवश्यक हैं।
    भविष्य में यदि इस प्रकार की बहुपक्षीय मध्यस्थता सफल होती है, तो यह कई अन्य संघर्षों के समाधान में एक मॉडल स्थापित कर सकती है।
    अंततः, वैश्विक शांति के इस बड़े लक्ष्य के लिए सभी राष्ट्रों को सहयोगी मनोवृत्ति अपनानी होगी और रचनात्मक संवाद को प्रोत्साहित करना होगा।

  • Santosh Sharma

    नवंबर 13, 2024 AT 06:04

    Santosh Sharma

    यह विश्लेषण बहुत प्रभावी है, आशा है कि नीति निर्माताओं द्वारा इसे गंभीरता से लिया जायेगा।

  • yatharth chandrakar

    नवंबर 22, 2024 AT 21:20

    yatharth chandrakar

    भारत की कूटनीति में अक्सर संतुलन की दिशा में कदम उठाए जाते हैं; इस संदर्भ में शांति बैठकों की तैयारी में आर्थिक पहलू भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

  • Vrushali Prabhu

    दिसंबर 2, 2024 AT 12:36

    Vrushali Prabhu

    बिलकुल! इहां तो मस्त vibe है, शांति के लिये sabko मिलके kaam karna chahiye.

  • parlan caem

    दिसंबर 12, 2024 AT 03:53

    parlan caem

    ये सब बातें तो सुनने में तो बड़ी बढ़िया लगती हैं, लेकिन असली कार्रवाई कब देखेंगे? बस शब्दों का तमाशा ही है।

  • Mayur Karanjkar

    दिसंबर 21, 2024 AT 19:09

    Mayur Karanjkar

    सैद्धांतिक ढाँचा तो ठोस है, पर व्यावहारिक कार्यान्वयन में व्यवधान प्रमुख चुनौती है।

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