मनन चक्रवर्ती

लेखक

पेरिस 2024 ओलंपिक में भारतीय तैराकों का प्रदर्शन

पेरिस 2024 ओलंपिक में भारतीय तैराक श्रीहरि नटराज और धिनिधि देसिंगु ने प्रयास किया, लेकिन अपने-अपने इवेंट्स के हीट्स में क्वालीफाई करने में सफल नहीं हुए। इससे भारतीय तैराकी टीम का अभियान समाप्त हो गया। महिलाओं की 200 मीटर फ्रीस्टाइल और पुरुषों की 100 मीटर बैकस्ट्रोक में यह तैराकी प्रतिस्पर्धा देखने लायक रही। श्रीहरि नटराज, जिन्होंने पुरुषों की 100 मीटर बैकस्ट्रोक में भाग लिया, को 55.01 सेकंड का समय लगा और वे 46 तैराकों में से 33वें स्थान पर रहे। उनका सर्वश्रेष्ठ समय 53.77 सेकंड है जिसे उन्होंने 2021 के सेटे कोली ट्रॉफी में हासिल किया था।

श्रीहरि नटराज का प्रदर्शन

श्रीहरि नटराज ने पेरिस 2024 ओलंपिक में दूसरे हीट में 55.01 सेकंड का समय निकाला और कुल 46 तैराकों में से 33वें स्थान पर रहे। उनके सर्वश्रेष्ठ समय 53.77 सेकंड की तुलना में यह समय कुछ कम रहा, जो उन्होंने 2021 में सेटे कोली ट्रॉफी में हासिल किया था। इस इवेंट में केवल टॉप 16 तैराक ही सेमीफाइनल में स्थान बना पाए। हंगरी के तैराक ह्यूबर्ट कोस, जो 2023 के 200म बैकस्ट्रोक वर्ल्ड चैंपियन हैं, ने मेंस 100 मीटर बैकस्ट्रोक हीट्स में 52.78 सेकंड का समय निकाला और एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया। ग्रेट ब्रिटेन के जॉनी मार्शल 16 वें स्थान पर रहे और सेमीफाइनल में जगह बनाने वाले अंतिम तैराक बने।

धिनिधि देसिंगु का प्रयास

महिलाओं की 200 मीटर फ्रीस्टाइल के इवेंट में, 14 वर्षीय धिनिधि देसिंगु, जो भारतीय दल की सबसे युवा सदस्य हैं, ने 2:06.96 सेकंड का समय निकाला और 30 तैराकों में 23वें स्थान पर रहीं। उन्होंने इस इवेंट में अपने सर्वश्रेष्ठ समय 2:04.24 सेकंड से अच्छी तुलना की। इस इवेंट में ऑस्ट्रेलिया की मोल्ली ओ'कल्लाघन ने 1:55.79 सेकंड का समय निकालकर शीर्ष स्थान प्राप्त किया तथा रोमानिया की रिबेका-एमी डियाकोनेसकु 1:59.29 सेकंड के समय के साथ सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली अंतिम तैराक बनीं।

भारत का अभियान समाप्त

भारत ने पेरिस 2024 ओलंपिक में यूनिवर्सल प्लेस के माध्यम से केवल दो तैराकों को मैदान में उतारा था। दोनों तैराकों ने प्रतिस्पर्धा में भरपूर कोशिश की लेकिन वे अपनी हीट्स से सेमीफाइनल्स में जगह बनाने में असफल रहे। यह बात स्प्ष्ट है की भारतीय तैराकी को और समर्थन और संसाधनों की आवश्यकता है ताकि भविष्य में हमारे तैराक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकें। श्रीहरि नटराज के लिए यह दूसरा ओलंपिक था, इससे पहले उन्होंने समर गेम्स में अपना पदार्पण किया और 27 वें स्थान पर रहे।

इस उम्र में ही धिनिधि देसिंगु ने जिस प्रकार का साहस और हिम्मत दिखाया, वह सचमुच प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल नए तैराकों के लिए एक मिसाल कायम की है बल्कि यह भी दर्शाया है कि भारतीय तैराकी को विकसित करने के लिए कितनी संभावनाएं मौजूद हैं।

इस बार की नाकामयाबी से हमें हतोत्साहित नहीं होना चाहिए बल्कि इसे प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए ताकि हम आगामी प्रतिस्पर्धाओं के लिए और भी मजबूत बन सकें। भारतीय तैराकों को न केवल अधिक मेहनत करनी होगी बल्कि उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और संसाधनों की भी आवश्यकता होगी ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहरा सकें।

फेसबुक पर सांझा करें ट्विटर पर पोस्ट करें लिंक्डइन पर पोस्ट करें Reddit पर पोस्ट करें

एक टिप्पणी लिखें

समान पोस्ट