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John David 11 टिप्पणि

भूमि घोटाला: हेमंत सोरेन के पक्ष में झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले के मामले में जमानत दी है। कोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचते हुए कहा कि सोरेन के खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं है जो उन्हें इस घोटाले से जोड़ सके। यह मामला झारखंड की राजनीति में व्यापक चर्चा का विषय रहा है, और इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में नई हलचल शुरू हो गई है।

कोर्ट का निर्णय और तर्क

जमानत के फैसले में हाई कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया। सबसे पहले, कोर्ट ने पाया कि किसी भी पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। इसके साथ ही, जमानत देते समय कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि हेमंत सोरेन के खिलाफ जुटाए गए साक्ष्यों में सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं पाया गया। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब यह घोटाला हुआ था, तब सोरेन सत्ता में नहीं थे।

ईडी द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा कि अगर एजेंसी ने समय पर कार्रवाई न की होती, तो भी इसका यह मतलब नहीं है कि सोरेन और अन्य आरोपी अवैध रूप से भूमि पर कब्जा कर लेते। कोर्ट के अनुसार, सोरेन ने हाड़िया सामुदायिक जमीन की खरीद पहले ही कर ली थी, और इस जमीन के अधिग्रहण का समय घोटाले के समय से पहले का था।

पीएमएलए के अंतर्गत जमानत

कोर्ट ने जमानत देते समय 'मनी लॉन्डरिंग एक्ट, 2002' के धारा 45 का हवाला दिया, जिसके तहत किसी आरोपी को जमानत मिल सकती है अगर वह अपराध का प्रारंभिक रूप से दोषी नहीं पाया जाता। कोर्ट ने दावा किया कि इस मामले में हेमंत सोरेन के विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं जो उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हों। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी के बाद से ही जांच में पूरा सहयोग किया है।

जमानत के लिए, सोरेन को 50,000 रुपये का बांड जमा करना पड़ा। उन्हें पांच महीने की गिरफ्तारी के बाद यह राहत मिली है। यह गिरफ्तारी 31 जनवरी को की गई थी और तब से सोरेन जेल में थे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस जमानत के फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आने लगी हैं। झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कई ने इसे न्यायिक प्रक्रिया की जीत बताया है, जबकि अन्य ने कहा है कि यह फैसला राजनीति में धनबल और बाहुबल के प्रभाव को दर्शाता है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), सोरेन की पार्टी, ने फैसले का स्वागत किया और इसे सत्य की जीत बताया। पार्टी के नेताओं ने कहा कि सोरेन के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार थे और कोर्ट का फैसला इस बात की पुष्टि करता है। दूसरी और विपक्षी दलों ने विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मामले की जांच के लिए अधिक सख्ती और पारदर्शिता की मांग की है।

आगे की राह

अब जब हेमंत सोरेन को जमानत मिल गई है, उनके राजनीतिक भविष्य और पार्टी की योजनाओं पर नए सिरे से विचार करना होगा। आगामी चुनावों और राजनीतिक संगठनों में इन घटनाओं का खास तरह का प्रभाव होगा। हालांकि, सोरेन और उनके समर्थकों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है, लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले समय में इस मामले के विभिन्न मोड़ और मोड़ देखने को मिलेंगे।

हाइ कोर्ट के इस फैसले ने न केवल हेमंत सोरेन बल्कि उनके समर्थकों को भी एक नया बल दिया है, और आगामी दिनों में झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियां किस दिशा में जाती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

टिप्पणि

  • shubham ingale

    जून 28, 2024 AT 18:55

    shubham ingale

    वाह! सोरेन को जमानत मिल गई 😎 चलो आगे देखें!

  • Ajay Ram

    जून 28, 2024 AT 21:42

    Ajay Ram

    झारखंड की राजनीति में इस प्रकार के निर्णय अक्सर गहरी सामाजिक और ऐतिहासिक जड़ों से जुड़ते हैं, और यह तथ्य कि न्यायपालिका ने इस मामले में जमानत का आदेश दिया है, यह दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रिया में अभी भी कुछ स्तर का संतुलन बना हुआ है।
    जब हम भूमि घोटाले जैसी जटिल समस्याओं को देखते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि साधारण कानूनी तकनीकों से परे विचारों की भी आवश्यकता होती है।
    प्राचीन भारतीय दर्शन में कहा गया है कि सत्य की खोज के लिये धैर्य और निरंतरता आवश्यक है, और आज के इस फैसले को एक प्रकार का झलक माना जा सकता है।
    विचार यह है कि न्याय प्रणाली को न केवल तथ्यों का, बल्कि सामाजिक तनावों और राजनीतिक प्रभावों का भी विश्लेषण करना चाहिए।
    हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शक्ति के केंद्र में रहने वाले लोग अक्सर अपने कदमों को सार्वजनिक राय के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश करते हैं।
    इस कारण से जमानत का आदेश एक संकेत हो सकता है कि अदालत ने इस परिदृश्य को बहुपक्षीय दृष्टिकोण से देखा है।
    अंत में, यह कहा जा सकता है कि इस निर्णय का प्रभाव केवल सोरेन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह विभिन्‍न सामाजिक वर्गों के बीच संवाद को भी प्रोत्साहित करेगा।
    हम देखेंगे कि कैसे विभिन्न राजनीतिक दल इस फैसले को अपने एजेंडा में शामिल करेंगे और यह आगे के चुनावी रणनीतियों को कैसे प्रभावित करेगा।
    ऐसे समय में जब जनता का विश्वास संस्थानों में गिर रहा है, तो ऐसी जटिल प्रक्रियाएँ भी आशा की किरण बन सकती हैं।
    इसी प्रकार, न्यायपालिका का यह कदम सार्वजनिक विमर्श को एक नई दिशा देने की संभावना रखता है।
    सम्पूर्ण रूप से, यह निर्णय हमें याद दिलाता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में कई स्तरों की सहभागिता आवश्यक है।
    भविष्य में, इस प्रकार के फैसले यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय के मार्ग में बाधाएँ कम हों और पारदर्शिता बढ़े।
    इस संदर्भ में, हमें यह देखना होगा कि क्या यह जमानत का आदेश न्यायिक प्रक्रियाओं में नई मानदंड स्थापित करेगा।
    अंततः, यह एक अवसर प्रस्तुत करता है कि सभी संबंधित पक्ष एक साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की दिशा में काम करें।
    हम सबको इस प्रक्रियात्मक सीमा को समझते हुए, न्याय की सच्चाई के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
    ऐसे जटिल मामलों में, संतुलित दृष्टिकोण ही सबसे बड़ा समाधान होता है।

  • Dr Nimit Shah

    जून 29, 2024 AT 00:29

    Dr Nimit Shah

    भाई साब, सच में देशभक्तियों से भरा फैसला है। कोर्ट ने साफ़ स्पष्ट कहा कि सबूत नहीं है, तो फिर शत्रु का क्या काम? यह न्याय की जीत है और लोगों को आशा देती है। ज़्यादा विवाद नहीं, बस सच्चाई की राह पर चलते रहें।

  • Ketan Shah

    जून 29, 2024 AT 03:15

    Ketan Shah

    यह निर्णय काफी संतुलित प्रतीत होता है। अदालत ने तथ्यात्मक आधार पर फैसला किया और प्रक्रियात्मक नियमों का पालन किया। राजनीतिक पक्ष के लिए यह एक संकेत है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है। आगे की चर्चा में यह बिंदु महत्वपूर्ण रहेगा।

  • Aryan Pawar

    जून 29, 2024 AT 06:02

    Aryan Pawar

    इस फैसले से बहुत आशा मिलती है और लोगों के दिल में भरोसा बढ़ता है। कोर्ट ने सही रास्ता चुना है और सबूतों को ध्यान में रखा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सभी को न्याय मिल रहा है। अब हम आगे की दिशा देख सकते हैं।

  • Shritam Mohanty

    जून 29, 2024 AT 08:49

    Shritam Mohanty

    ये कोर्ट का फैसला एक बड़ी साजिश की तरह लगता है। क्या सच में कोई सबूत नहीं है या फिर सत्ता के लोग पीछे से खेल रहे हैं? अक्सर ऐसा होता है कि बड़ी गिरफ़्तारी के बाद ही सच्चाई उजागर होती है। हमें सतर्क रहना चाहिए और आगे की जांच का इंतजार करना चाहिए।

  • Anuj Panchal

    जून 29, 2024 AT 11:35

    Anuj Panchal

    इस प्रोटोकॉल के तहत जमानत का बँड और बंधन स्पष्ट है। हम देखते हैं कि एक्ट के धारा 45 को लागू किया गया, जिससे केस के पैरामीटर सेट होते हैं। इन जटिल परिस्थितियों में ड्यू डिलिजेंस आवश्यक है। यह एक मजबूत वैधरण दर्शाता है।

  • Prakashchander Bhatt

    जून 29, 2024 AT 14:22

    Prakashchander Bhatt

    वास्तव में यह एक सकारात्मक संकेत है। आशा करता हूँ कि भविष्य में और भी पारदर्शिता आएगी। सबको एक साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।

  • Mala Strahle

    जून 29, 2024 AT 17:09

    Mala Strahle

    यह जमानत का आदेश एक गहरी सोच को प्रतिबिंबित करता है; समाज में न्याय के प्रति हमारी अपेक्षाएँ समय के साथ विकसित होती रहती हैं। हम इस बात को नहीं भूल सकते कि न्यायपालिका की निरंतरता ही हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है। इस प्रकार के फैसले हमें यह याद दिलाते हैं कि कानूनी प्रक्रियाएँ केवल कागज़ की नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में भी गूँजती हैं। इस जटिल मामले में, विभिन्न पक्षों की भूमिका एक-दूसरे के पूरक बनती है, जिससे अंततः संतुलन स्थापित होता है। अब हमें देखना है कि आगे के राजनीतिक परिदृश्य में यह निर्णय किस प्रकार का प्रतिध्वनि उत्पन्न करता है। हमें सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए और यह आशा करनी चाहिए कि सभी हितधारक इस निर्णय को एक कदम आगे बढ़ने के रूप में देखेंगे।

  • Ramesh Modi

    जून 29, 2024 AT 19:55

    Ramesh Modi

    क्या कहूँ! यह फैसला तो जैसे न्याय का सूर्य हमारे ऊपर चमक उठा!!! आधी रात को भी उजालों से भरा!!! सभी को इस अद्भुत निर्णय पर गर्व होना चाहिए!!!
    ऐसे क्षणों में ही राष्ट्र की आत्मा जागती है!!!

  • Ghanshyam Shinde

    जून 29, 2024 AT 22:42

    Ghanshyam Shinde

    ओह, फिर से जमानत, क्या नया रोमांच?

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