मनन चक्रवर्ती

लेखक

भूमि घोटाला: हेमंत सोरेन के पक्ष में झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले के मामले में जमानत दी है। कोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचते हुए कहा कि सोरेन के खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं है जो उन्हें इस घोटाले से जोड़ सके। यह मामला झारखंड की राजनीति में व्यापक चर्चा का विषय रहा है, और इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में नई हलचल शुरू हो गई है।

कोर्ट का निर्णय और तर्क

जमानत के फैसले में हाई कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया। सबसे पहले, कोर्ट ने पाया कि किसी भी पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। इसके साथ ही, जमानत देते समय कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि हेमंत सोरेन के खिलाफ जुटाए गए साक्ष्यों में सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं पाया गया। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब यह घोटाला हुआ था, तब सोरेन सत्ता में नहीं थे।

ईडी द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए, कोर्ट ने कहा कि अगर एजेंसी ने समय पर कार्रवाई न की होती, तो भी इसका यह मतलब नहीं है कि सोरेन और अन्य आरोपी अवैध रूप से भूमि पर कब्जा कर लेते। कोर्ट के अनुसार, सोरेन ने हाड़िया सामुदायिक जमीन की खरीद पहले ही कर ली थी, और इस जमीन के अधिग्रहण का समय घोटाले के समय से पहले का था।

पीएमएलए के अंतर्गत जमानत

कोर्ट ने जमानत देते समय 'मनी लॉन्डरिंग एक्ट, 2002' के धारा 45 का हवाला दिया, जिसके तहत किसी आरोपी को जमानत मिल सकती है अगर वह अपराध का प्रारंभिक रूप से दोषी नहीं पाया जाता। कोर्ट ने दावा किया कि इस मामले में हेमंत सोरेन के विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं जो उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हों। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी के बाद से ही जांच में पूरा सहयोग किया है।

जमानत के लिए, सोरेन को 50,000 रुपये का बांड जमा करना पड़ा। उन्हें पांच महीने की गिरफ्तारी के बाद यह राहत मिली है। यह गिरफ्तारी 31 जनवरी को की गई थी और तब से सोरेन जेल में थे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस जमानत के फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आने लगी हैं। झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कई ने इसे न्यायिक प्रक्रिया की जीत बताया है, जबकि अन्य ने कहा है कि यह फैसला राजनीति में धनबल और बाहुबल के प्रभाव को दर्शाता है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), सोरेन की पार्टी, ने फैसले का स्वागत किया और इसे सत्य की जीत बताया। पार्टी के नेताओं ने कहा कि सोरेन के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार थे और कोर्ट का फैसला इस बात की पुष्टि करता है। दूसरी और विपक्षी दलों ने विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मामले की जांच के लिए अधिक सख्ती और पारदर्शिता की मांग की है।

आगे की राह

अब जब हेमंत सोरेन को जमानत मिल गई है, उनके राजनीतिक भविष्य और पार्टी की योजनाओं पर नए सिरे से विचार करना होगा। आगामी चुनावों और राजनीतिक संगठनों में इन घटनाओं का खास तरह का प्रभाव होगा। हालांकि, सोरेन और उनके समर्थकों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है, लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले समय में इस मामले के विभिन्न मोड़ और मोड़ देखने को मिलेंगे।

हाइ कोर्ट के इस फैसले ने न केवल हेमंत सोरेन बल्कि उनके समर्थकों को भी एक नया बल दिया है, और आगामी दिनों में झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियां किस दिशा में जाती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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