पापांकुशा एकादशी का धार्मिक महत्व
भारतीय संस्कृति में एकादशी का अपना विशेष महत्व है। हर माह में दो एकादशी आती हैं, जिनमें से पापांकुशा एकादशी को मोक्षदायिनी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना का है। माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा, भक्तों को यमराज के कोप से बचाती है और मोक्ष प्रदान करती है। इस वर्ष, पापांकुशा एकादशी 13 अक्टूबर को पड़ रही है, जो प्रमुख रूप से हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है।
पंचांग की विशेष जानकारी
पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को सुबह 09:08 बजे होगा और इसका समापन 14 अक्टूबर की सुबह 06:14 बजे होगा। इस दिन प्रमुख नक्षत्र धनिष्ठा होगा, जो 13 अक्टूबर की रात 02:52 बजे तक रहेगा और उसके बाद शतभिषा नक्षत्र प्रभावी होगा। शूल योग का प्रभाव 13 अक्टूबर को रात 09:25 बजे तक है, इसके उपरांत गंड योग आरंभ होगा। रवि योग पूरे दिनभर विद्यमान रहेगा।
शुभ और अशुभ मुहूर्त
शुभ समयों में ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:37 से 05:26 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त 11:45 से 12:31 बजे के बीच है। गोधूलि मुहूर्त 05:53 से 06:18 बजे शाम तक है। विजय मुहूर्त 02:17 से 03:06 बजे तक रहेगा। अमृत काल 05:09 से 06:39 बजे तक है, और निशीथ काल रात्रि 11:44 से 12:33 बजे तक है।
अशुभ समयों में राहु काल 04:27 से 05:53 बजे शाम तक रहेगा, जबकि गुलिक काल 03:00 से 04:27 बजे तक है। यम गंड 12:07 से 01:34 बजे तक और दुर्मुहूर्त 04:21 से 05:07 बजे तक रहेगा। पंचक दोपहर 03:44 बजे से 14 अक्टूबर सुबह 06:21 बजे तक है, और भद्रा रात्रि 07:59 से 14 अक्टूबर सुबह 06:21 बजे तक है।
पूजा विधि और आराधना
पापांकुशा एकादशी के दिन भक्तों को भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इस दौरान उन्हें पंचामृत का अभिषेक करें और तुलसी पूजा का विशेष ध्यान रखें। इसके साथ ही भक्तों को भगवद गीता के 11वें अध्याय का पाठ करना चाहिए। इस अनुपालन से भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है तथा वे जीवन की बाधाओं को पार कर सकते हैं।
उपवास और दर्शन
उपवास नियमों के अनुसार यह व्रत निर्जल या फलाहार होकर किया जा सकता है। भक्तों को इस दिन पूरे श्रद्धा के साथ विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए अपना दिन बिताना चाहिए। यह दिन साधुजनों के लिए अत्यंत पुण्यफलदाई होता है। जो लोग निष्ठा से पापांकुशा एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें न केवल आध्यात्मिक उन्नति की अनुभूति होती है, बल्कि सांसारिक परेशानियों में भी राहत मिलती है।