जब हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा ने साथ मिलकर एक दीवाने की दीवानियत को 21 अक्टूबर, 2023 को रिलीज़भारत के कई सिनेमाघरों में पेश किया, तो बॉक्स‑ऑफ़ पर असर तुरंत दिखा। फिल्म ने पहले दिन 10.10 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि द्वितीय दिन तक कुल 13.83 करोड़ तक पहुंच गई। आइए जानते हैं कि इस मध्यम‑बजट रोमांटिक ड्रामा ने कैसे ‘थामा’ जैसी हाई‑बजट हॉरर‑कॉमेडी से टक्कर ले ली।
रिलीज़ की पृष्ठभूमि और निर्माण प्रक्रिया
फिल्म का निर्देशन मिलाप मिलन जावेरी ने किया है। जावेरी ने पहले भी कई छोटे‑बजट सफल फिल्में बनाई हैं, पर इस बार उनका लक्ष्य था एक ऐसा रोमांस पेश करना जो दिवाली की खरीदारी‑भारी माहौल में दर्शकों को जोड़ सके। बजट लगभग 30 करोड़ रुपये बताया गया है, जिससे ओपनिंग डे पर ही लगभग 30 % रिवेंऊ वसूल लेना काफी उल्लेखनीय है।
फिल्म की कहानी दो अलग‑अलग दुनिया‑के लोग—हर्षवर्धन का रोमांटिक दिल और सोनम का पंजाबी टच—को जोड़ती है। ट्रेलर में बड़े पैमाने पर खर्च नहीं किया गया, लेकिन टाइटल ट्रैक ने खुद को ही हाइलाइट किया। इस गाने को विशाल, कौशिक गुड्डू और कुणाल ने गाया है, और यह आधी रात की प्ले‑लिस्ट में हजारों बार बार-बार बजा।
बॉक्स ऑफिस पर क़दम‑कदम
पहले दिन 10.10 करोड़ की एक्रूजी ने इस फिल्म को छोटे‑बजट फिल्में में एक नया मानक स्थापित किया। खास बात यह है कि इस आंकड़े में टिकट‑क्लास का वितरण लगभग समान रहा—इकॉनमी से लेकर प्रीमियम तक, दर्शकों ने समान रूप से सराहा। दूसरे दिन की कुल कमाई 13.83 करोड़ के आंकड़े तक पहुँची, जिससे दर्शकों का वर्ड‑ऑफ़‑माउथ प्रभाव साफ़ दिखा।
- पहला दिन: 10.10 करोड़ रुपये
- दूसरा दिन (कुल): 13.83 करोड़ रुपये
- बजट का 30 % ओपनिंग में वसूल
- आयु‑सीमा: 12 से 55 वर्ष
- मुख्य दर्शक वर्ग: युवा और छोटा‑बजट फ़िल्म प्रेमी
‘थामा’ का ओपनिंग 12.75 करोड़ था, लेकिन ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने उसी दिन के बावजूद अपनी क्विक‑रिलिज़ रणनीति से कई शहरों में प्रतिस्पर्धी स्क्रीन पर जगह बनाई। ‘सन ऑफ सरदार 2’ और ‘केसरी 2’ जैसी बड़ी फ्रेंचाइजीज़ के साथ तुलना करने पर भी ‘दीवानियत’ ने बेहतर कलेक्शन दिया, जो इस बात का प्रमाण है कि कहानी और संगीत अभी भी बॉक्स‑ऑफ़ की धुरी हैं।
फ़िल्म की मुख्य बातें – कहानी, संगीत और केमिस्ट्री
फिल्म की कहानी ‘प्यार और जुनून’ की परम्परागत थीम को एक आधुनिक मोड़ देती है। हर्षवर्धन राणे ने अपने किरदार में सादगी और इमोशन का तालमेल बिठाया, जबकि सोनम बाजवा ने अपनी पंजाबी अन्दाज़ से दर्शकों को मीठी हँसी दी। उनकी ऑन‑स्क्रीन केमिस्ट्री को कई समीक्षक ‘सही आकार की ज्वाला’ कह कर सराहते हैं।
संगीत विभाग ने फिल्म को और रंगीन बना दिया। टाइटल ट्रैक ‘दीवानियत’ यूट्यूब पर रिलीज़ के पहले ही 2 मिलियन से अधिक व्यूज़ हासिल कर चुका है। गाने के बीट और लिरिक्स ने युवा वर्ग के दिलों को धड़कने पर मजबूर किया, जिससे थिएटर में टिकट बुकिंग में वृद्धि देखी गई।
प्रतिक्रिया और आलोचनात्मक मूल्यांकन
फिल्म की रिलीज़ के बाद कई मीडिया आउटलेट्स ने इसे ‘बजट‑फ्रेंडली लेकिन एंटरटेन्मेंट‑फुल’ बताया। एक प्रमुख फिल्म समीक्षक ने कहा, “‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने दर्शकों को वह सच्चा रोमांस दिया जो आज के हाई‑स्टेक ब्लॉकबस्टर में अक्सर खो जाता है।” इस टिप्पणी के साथ ही फिल्म के सोशल मीडिया ट्रेंडिंग हैशटैग #DeewaniyatLove ने भी वार्ता को तेज़ कर दिया।
दूसरी ओर, ‘थामा’ के समर्थक कहते हैं कि हॉरर‑कॉमेडी का कलेक्शन अभी भी अधिक है, पर यह तुलना केवल बॉक्स‑ऑफ़ के शुरुआती आंकड़ों पर आधारित है। जैसे-जैसे दोनों फिल्मों का रन‑टाइम बढ़ेगा, वास्तविक जीत किसकी होगी, यह समय बताएगा।
भविष्य की संभावनाएँ और आगे की राह
‘एक दीवाने की दीवानियत’ की सफलता ने छोटे‑बजट निर्माताओं के लिए एक नई लहर पैदा कर दी है। कई प्रोडक्शन हाउस अब इंट्रोवेंटिव प्री‑रिलीज़ कैंपेन और फ़ोकस्ड म्यूजिक मार्केटिंग पर ध्यान दे रहे हैं। मिलाप मिलन जावेरी ने फिल्म के बाद एक नई रोमांटिक कॉमेडी पर काम करने की पुष्टि की है, जिसमें संभवतः दोबारा हर्षवर्धन और सोनम का जुड़ाव देखा जा सकता है।
हालांकि ‘थामा’ ने बॉक्स‑ऑफ़ पर तेज़ गति दिखाई, लेकिन ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने साबित कर दिया कि कहानी‑केंद्रित फिल्में भी दर्शकों के दिलों को जीत सकती हैं। भविष्य में इस तरह की फिल्में किस हद तक प्रतिस्पर्धी बनेंगी, यह उद्योग के निवेश模式 और दर्शकों के बदलते स्वाद पर निर्भर करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने ‘थामा’ से टक्कर कैसे ली?
‘थामा’ एक बड़े बजट की हॉरर‑कॉमेडी है, जबकि ‘एक दीवाने की दीवानियत’ एक मध्यम‑बजट रोमांस है। दोनो की रिलीज़ एक ही दिन हुई, पर ‘दीवानियत’ ने टाइटल ट्रैक और जोड़ी की केमिस्ट्री से छोटे‑बजट दर्शकों को आकर्षित किया, जिससे पहले दिन 10.10 करोड़ जमा हुए।
फ़िल्म का कुल बजट कितना था और कितना कलेक्ट किया?
‘एक दीवाने की दीवानियत’ का अनुमानित बजट लगभग 30 करोड़ रुपये था। ओपनिंग डे में 10.10 करोड़ का कलेक्शन इसका लगभग 30 % था, और दूसरे दिन तक कुल 13.83 करोड़ तक बढ़ गया, जो बजट‑फ्रेंडली फ़िल्मों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
फिल्म में संगीत का क्या महत्व रहा?
टाइटल ट्रैक ‘दीवानियत’ को विशाल, कौशिक गुड्डू और कुणाल ने गाया है। यह गाना रिलीज़ से पहले यूट्यूब पर 2 मिलियन से अधिक व्यूज़ हासिल कर चुका है और दर्शकों को थिएटर में लुभाने में मुख्य भूमिका निभाई। संगीत ने फैंस के बीच वर्ड‑ऑफ़‑माउथ को तेज़ किया।
डायरेक्टर मिलाप मिलन जावेरी ने आगे कौन सी फ़िल्मों की योजना बनाई है?
जावेरी ने कहा है कि ‘एक दीवाने की दीवानियत’ के बाद वह एक नई रोमांटिक कॉमेडी पर काम कर रहे हैं, जिसमें संभवतः हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा दोबारा साथ हो सकते हैं। यह नई फ़िल्म भी बजट‑फ्रेंडली मॉडल अपनाने की संभावना रखती है।
क्या ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने अन्य बड़े फ़िल्मों की कमाई को प्रभावित किया?
‘थामा’ की ओपनिंग अभी भी ऊँची थी, पर ‘एक दीवाने की दीवानियत’ की मजबूत शुरुआती कमाई ने कई छोटे‑बजट सिनेमाघर में स्क्रीन शेयरिंग को बदला। इस वजह से दोनों फ़िल्मों का कुल रन‑टाइम राजस्व पर थोड़ा असर पड़ा, लेकिन दोनों ने अपने‑अपने लक्ष्य दर्शकों को भरपूर आकर्षित किया।
अक्तूबर 22, 2025 AT 19:30
Jubin Kizhakkayil Kumaran
ये फिल्म बताती है कि असली भारत की सच्ची भावना रोमांस में है बजट छोटा हो या बड़ा दिल की जीत वही होती है
अक्तूबर 22, 2025 AT 19:47
tej pratap singh
‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने दिखा दिया कि बकवास हाई बजट नहीं सच्ची कहानी ही राज है
अक्तूबर 22, 2025 AT 20:07
Chandra Deep
सिर्फ बॉक्सऑफ़ नहीं कहानी में सामाजिक जुड़ाव भी चाहिए वही तो दर्शक को खींचता है
अक्तूबर 22, 2025 AT 20:32
Aishwarya Raikar
ओह बधाई हो इस फिल्म को जैसे कि सस्ते दाल में मसाला मिला कर भी टॉप चार्ट में पहुँच गया मज़ेदार है न?
अक्तूबर 22, 2025 AT 20:54
Arun Sai
आइडियल रूप में स्केलेबिलिटी मैट्रिक्स और कंट्रैक्ट‑ड्रिवन डिस्पोजिशन को इंटीग्रेट करके ही ऐसी बक्सऑफ़ डाइनेमिक्स को एक्सप्लेन किया जा सकता है परंतु दर्शक वर्गीय विश्लेषण अक्सर इंसाइट्स को मैन्युअली ओवरराइड कर देता है
अक्तूबर 22, 2025 AT 21:12
Manish kumar
चलो दोस्तो इस फिल्म की ऊर्जा देखो युवा दिल को हिट कर रही है संगीत में जो धड़कन है वही तो कलेक्शन को फुर्ती से बढ़ा रही है! हर बार जब ट्रैक बजता है तो रेलिंग पर दिमाग एकदम फ्रेश हो जाता है यही है असली मोटिवेशन! वैसे भी बजट छोटा हो तो रचनात्मकिटी को साइड में नहीं रखना चाहिए यही मैंने हमेशा कहा है
अक्तूबर 22, 2025 AT 21:27
Divya Modi
भारतीय सिनेमा में इस तरह के मध्यम‑बजट प्रोजेक्ट्स का इतिहास काफी समृद्ध है 😊✨ संगीत ने यहाँ प्रमुख भूमिका निभाई है और दर्शकों का जुड़ाव भी इसी से बना है यदि आप फ़िल्म की प्री‑रिकॉर्डेड ट्रैकों को सुनेंगे तो समझेंगे कि कैसे धुनें बॉक्सऑफ़ को गति देती हैं
अक्तूबर 22, 2025 AT 21:40
ashish das
वास्तव में आपने जिस सांस्कृतिक संदर्भ को उजागर किया है वह गहन विश्लेषण योग्य है; संगीत के प्रभाव को मात्र व्यावसायिक तर्क के पार जाकर सामाजिक संदेश के रूप में देखा जा सकता है
अक्तूबर 22, 2025 AT 21:57
vishal jaiswal
फिर भी यह ध्यान देने योग्य है कि बॉक्सऑफ़ प्रदर्शन में कई कारक सम्मिलित होते हैं जैसे विपणन रणनीति स्क्रीन आवंटन और मौसमी दर्शक प्रवृत्ति जो सामूहिक रूप से कुल कलेक्शन को निर्धारित करते हैं
अक्तूबर 22, 2025 AT 22:22
Amit Bamzai
‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने सिर्फ एक रोमांस कहानी नहीं बल्कि भारतीय दर्शक मनोविज्ञान का व्यापक अध्ययन प्रस्तुत किया है। पहला वाक्य दर्शकों के भावनात्मक जुड़ाव को उजागर करता है। दूसरे में बताया गया है कि संगीत कैसे एक समान जनसांख्यिकीय को आकर्षित करता है। तीसरा वाक्य बजट प्रबंधन की कुशलता पर प्रकाश डालता है। चौथा वाक्य दर्शकों के विविध आयु वर्ग को कवर करने की रणनीति को विशद करता है। पाँचवाँ वाक्य स्क्रीनिंग समय और स्थान की महत्ता को रेखांकित करता है। छठा वाक्य विपणन अभियान की रचनात्मकता को दर्शाता है। सातवाँ वाक्य दर्शकों की शब्दात्मक प्रतिक्रिया को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। आठवाँ वाक्य फिल्म में उपयोग की गई तकनीकी प्रोडक्शन वैल्यू को उल्लेखित करता है। नौवाँ वाक्य तुलना में ‘थामा’ जैसी हाई‑बजट फिल्म के साथ डेटा पॉइंट्स को दिखाता है। दसवाँ वाक्य दर्शकों की अपेक्षा और वास्तविक अनुभव की दूरी को विश्लेषित करता है। ग्यारहवाँ वाक्य फिल्म के करैक्टर आर्क को विस्तार से चर्चा करता है। बारहवाँ वाक्य संगीतकारों की रचनात्मक प्रक्रिया को उजागर करता है। तेरहवाँ वाक्य बॉक्सऑफ़ पर पोस्ट‑रिलिज़ प्रभाव को देखता है। चौदहवाँ वाक्य भविष्य के प्रोजेक्ट्स के लिए सीख को सारांशित करता है। पंद्रहवाँ वाक्य यह निष्कर्ष निकालता है कि कहानी‑केंद्रित फिल्में अभी भी बाजार में जीवित हैं। अंत में यह कहा जा सकता है कि यह फिल्म भारतीय सिनेमा के पारिस्थितिकी तंत्र में एक सकारात्मक इंटरेक्शन बनाती है।
अक्तूबर 22, 2025 AT 22:30
ria hari
बॉक्सऑफ़ में छोटे बजट की ताकत साफ दिखती है
अक्तूबर 22, 2025 AT 22:42
Alok Kumar
इतनी सीधी बात भी नहीं समझते लोग असल में यही डेटा का गड़बड़ है जो आप नहीं देख पा रहे