मार्च 2025: बिक्री का मिश्रित नतीजा
भारतीय पैसेंजर व्हीकल बाजार ने वित्त वर्ष के आखिरी महीने में हल्की बढ़त दर्ज की। मार्च 2025 में थोक बिक्री (डिस्पैच) 3.7% बढ़कर 3,29,742 यूनिट पहुंची। तस्वीर मगर एक-सी नहीं रही—कुछ कंपनियां दहाई अंक की वृद्धि लेकर निकलीं, तो बाजार की सबसे बड़ी कंपनियों की रफ्तार सुस्त दिखी। एसयूवी सेगमेंट का दबदबा और मजबूत हुआ और एंट्री-लेवल हैचबैक की मांग कमजोर पड़ी।
कंपनीवार नतीजों में सबसे चमकदार प्रदर्शन महिंद्रा का रहा, जिसने एसयूवी लाइनअप के दम पर मजबूत ग्रोथ दिखाई। किआ और टोयोटा भी महीने भर ग्राहकों की पसंद बनी रहीं। दूसरी तरफ मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और ह्यूंदै के लिए मार्च दबावभरा रहा।
- महिंद्रा: 70,536 यूनिट, साल-दर-साल 17.5% की वृद्धि
- किआ: 25,525 यूनिट, 19.3% की वृद्धि
- टोयोटा: 28,373 यूनिट, 13.0% की वृद्धि
- होंडा: 7,228 यूनिट, 2.2% की वृद्धि
- मारुति सुजुकी: 1,53,134 यूनिट, 2.0% की गिरावट
- टाटा मोटर्स: 90,500 यूनिट, 0.4% की गिरावट
- ह्यूंदै: 51,820 यूनिट, 2.2% की गिरावट
मारुति ने गिरावट के बावजूद वॉल्यूम के हिसाब से नंबर-1 की कुर्सी बरकरार रखी। टाटा का महीना लगभग स्थिर रहा, मामूली गिरावट के साथ, जबकि ह्यूंदै ने कुछ मॉडलों पर धीमी मांग का असर झेला।
मॉडल-लेवल पर प्रतिस्पर्धा और दिलचस्प रही। ह्यूंदै क्रेटा ने मार्च में 18,059 यूनिट डिस्पैच के साथ देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार का तमगा अपने नाम किया। यह उपलब्धि इसलिए खास रही क्योंकि इसने स्विफ्ट, पंच और वैगन आर जैसी लंबे समय से लोकप्रिय कारों को पीछे छोड़ा। किसी भी मॉडल ने 20,000 यूनिट का आंकड़ा नहीं पार किया, जो बताता है कि मांग फैली हुई है, लेकिन एक-दो मॉडलों में अत्यधिक केंद्रित नहीं।
सेगमेंट की बात करें तो टॉप-10 बेस्टसेलर में छह एसयूवी रहीं—यही आज की उपभोक्ता पसंद की सच्ची तस्वीर है। ऊंचा ग्राउंड क्लीयरेंस, बेहतर फीचर्स और सड़क पर मौजूदगी—इन कारणों ने एसयूवी को परिवारों और पहली बार कार खरीदने वालों, दोनों के लिए आकर्षक विकल्प बना दिया है। इसके उलट एंट्री-लेवल हैचबैक का दबदबा लगातार घट रहा है; ऑल्टो जैसे मॉडल अब अक्सर टॉप-10 से बाहर हैं। मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल (MUV) में मारुति सुजुकी अर्टिगा ने मार्च में सेगमेंट की नंबर-1 पोजिशन ली और ओवरऑल टॉप-5 में जगह बनाई—यह पारिवारिक और फ्लीट खरीद, दोनों में इसकी स्वीकार्यता को दिखाता है।
मांग का महीना भी समान नहीं था। महीने के पहले तीन हफ्ते खरमास की वजह से कमजोर रहे। आखिरी हफ्ते में नवरात्रि, गुड़ी पड़वा और ईद जैसे त्योहारों के साथ सालाखिरी खरीद (डेप्रिसिएशन बेनिफिट की वजह से) ने रफ्तार बढ़ाई। डीलरों ने बताया कि इस अंतिम हफ्ते में फुटफॉल और बुकिंग में तेज उछाल दिखा, जिससे महीने का कुल स्कोर बचा।
रिटेल तस्वीर भी इसी मिश्रण को दिखाती है—साल-दर-साल कुल रिटेल 0.7% नीचे रहा, लेकिन महीने-दर-महीना 12% की छलांग दिखी। भूगोल के हिसाब से ग्रामीण इलाकों ने शहरों को पीछे छोड़ा: पैसेंजर व्हीकल रिटेल ग्रोथ ग्रामीण में 7.93% रही, जबकि शहरी बाजार 3.07% पर सिमटे। यही रुझान टू-व्हीलर में भी दिखा—ग्रामीण 8.39% बनाम शहरी 6.77%। कमर्शियल व्हीकल्स में मिडियम कमर्शियल व्हीकल (MCV) 6.05% बढ़े, जबकि हेवी कमर्शियल व्हीकल (HCV) 4.07% घटे—इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स की गतिविधियां जहां चल रही हैं, वहां मध्यम टन भार वाले वाहनों की मांग टिकाऊ दिख रही है, पर लंबी दूरी के भारी ट्रकों में सतर्कता बनी हुई है।
मूल सवाल—यह सब क्या कहता है? सबसे पहले, मार्च 2025 कार बिक्री दिखाती है कि एसयूवी की ओर उपभोक्ताओं का झुकाव एक चक्रीय नहीं, संरचनात्मक बदलाव बन चुका है। कंपनियां भी इसे समझकर फीचर-लंबी सूचियां, सेफ्टी पैकेज और ऑटोमैटिक विकल्पों के साथ एसयूवी लॉन्च और अपडेट पर फोकस बढ़ा रही हैं। दूसरी ओर, एंट्री-लेवल हैचबैक को बजट दबाव, कड़े सुरक्षा/उत्सर्जन मानकों से बढ़ी लागत और आसान फाइनेंस की कमी ने दबाया है।
कंपनी-विशेष तस्वीरें भी इसी कथा से मेल खाती हैं। महिंद्रा के लिए स्कॉर्पियो-N, थार और XUV700 जैसे मॉडलों की ठोस मांग और सप्लाई में सुधर ने डिलिवरी तेज की। किआ ने सेल्टोस और सोनेट की अपडेटेड लाइन से संख्या बढ़ाई। टोयोटा के लिए अर्बन एसयूवी और एमपीवी पोर्टफोलियो—हाइब्रिड विकल्पों सहित—ने खिंचाव बनाए रखा। दूसरी तरफ मारुति के एंट्री-हैचबैक पोर्टफोलियो पर दबाव दिखा, हालांकि ब्रेज़ा, ग्रैंड विटारा और फ्रॉन्क्स जैसे मॉडलों ने गिरावट को सीमित रखने में मदद की। टाटा के लिए ईवी पोर्टफोलियो (जैसे नेक्सॉन EV, पंच EV) अच्छी पहचान बना रहा है, पर ओवरऑल वॉल्यूम में मार्च का महीना लगभग फ्लैट रहा। ह्यूंदै के लिए क्रेटा का स्टार परफॉर्मेंस साफ दिखा, लेकिन कुछ अन्य मॉडलों में मांग नरम रहने से कुल ग्रोथ पर असर पड़ा।
डीलरशिप स्तर पर फोकस अब इन्वेंटरी के हेल्दी लेवल, त्वरित डिलिवरी और वैरिएंट-मिश्रण पर है। कुछ शहरों में स्टॉक सामान्य से ऊपर बताता है कि कंपनियां अप्रैल में उत्पादन की गति को मांग के अनुरूप रखने की कोशिश करेंगी। सेगमेंट-मिश्रण में एसयूवी का हिस्सा ऊंचा होने से औसत रियलाइजेशन बेहतर रहता है, लेकिन डिस्काउंटिंग भी मॉडल-टू-मॉडल अलग दिख रही है—हैचबैक पर ज्यादा, हॉट-सेलिंग एसयूवी पर कम।
फाइनेंसिंग फिलहाल सबसे निर्णायक फैक्टरों में है। टिकट साइज बढ़ने, उधारी लागत और डाउन पेमेंट की शर्तों ने एंट्री और लोअर-मिड सेगमेंट में कन्वर्जन रेट को प्रभावित किया है। ग्रामीण बाजारों में रबी की खरीद, नकदी प्रवाह, और स्थानीय त्योहारों ने बिक्री को सहारा दिया—यही वजह है कि गांव-कस्बों में ग्रोथ शहरों की तुलना में तेज रही। मौसम की अनिश्चितता और फसल-उत्पादन के अनुमान यहां अगली तिमाही के लिए अहम रहेंगे।
तकनीकी मोर्चे पर सेमीकंडक्टर सप्लाई पहले की तुलना में स्थिर है, इसलिए लोकप्रिय वेरिएंट्स की वेटिंग घट रही है, हालांकि टॉप-ट्रिम और कुछ ऑटोमैटिक विकल्पों में इंतजार अब भी बना है। सेफ्टी और कनेक्टेड-फीचर्स की मांग तेज है—एडेप्टिव क्रूज़, 6-एयरबैग, 360° कैमरा, ADAS—यह सब अब मिड-सेगमेंट तक उतर चुका है, जिसने कीमतें बढ़ाई हैं, पर ग्राहक मूल्य भी वहीं तलाश रहे हैं।
कमर्शियल व्हीकल्स में मिश्रित संकेत हैं। रूट-पर्मिट, फ्रेट रेट और टोल-लागत जैसे कारक HCV डिमांड को प्रभावित कर रहे हैं। MCV और ICV (इंटरमीडिएट CV) में ई-कॉमर्स, क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स और शॉर्ट-हॉल माल ढुलाई से मांग ठीकठाक बनी हुई है। फाइनेंसरों का रुख यहां भी सतर्क है, लेकिन अच्छे CIBIL स्कोर और स्थिर कैशफ्लो वाले ग्राहकों को तुरंत स्वीकृति मिल रही है।
मार्च के आखिरी हफ्ते की मांग ने यह साफ कर दिया कि सही ट्रिगर—त्योहार, ऑफर, और सालाखिरी लाभ—हो तो ग्राहक निर्णय तेजी से लेते हैं। अप्रैल-जून तिमाही में आमतौर पर नए मॉडल साल-परिवर्तन, बीमा/आरटीओ शुल्क और फ्लीट खरीद के चक्र से मांग प्रभावित होती है। कंपनियां अब लॉन्च-कैलेंडर को एसयूवी और MUV की ओर झुकाकर रखे हुए हैं; सेडान और एंट्री-हैचबैक में अपील बढ़ाने के लिए कंपनियां अब वैल्यू-एडेड एडिशंस, बेहतर वारंटी और किफायती ऑटोमैटिक विकल्पों पर जोर दे सकती हैं।
आगे क्या? जोखिम साफ हैं—मौसम, फाइनेंस की उपलब्धता, ईंधन और कमोडिटी कीमतें। मौके भी उतने ही साफ—ग्रामीण आय में सहारा, फीचर-समृद्ध एसयूवी की मांग, और फ्लीट/शेयर-मोबिलिटी से स्थिर वॉल्यूम। मार्च 2025 का संदेश यही है: बाजार बढ़ रहा है, पर स्मार्ट प्राइसिंग, फाइनेंसिंग और सही प्रोडक्ट-मिक्स के बिना बढ़त टिकाऊ नहीं। कंपनियां जिनके पास प्रतिस्पर्धी एसयूवी, भरोसेमंद आफ्टर-सेल्स और मजबूत डीलर नेटवर्क है, वे 2025-26 में बढ़त बनाए रखने की बेहतर स्थिति में दिखती हैं।

क्या देखना चाहिए: अगले कुछ महीनों के संकेत
एक, ग्रामीण-शहरी मांग का फासला—यदि ग्रामीण बढ़त बनी रहती है तो कॉम्पैक्ट एसयूवी और MUV को फायदा होगा। दो, एंट्री-सेगमेंट में डिस्काउंटिंग—यदि वित्त पोषण ढीला पड़ता है तो छोटी कारों को राहत मिल सकती है। तीन, वैल्यू-फॉर-मनी ऑटोमैटिक—AMT/IVT की किफायती उपलब्धता कन्वर्जन बढ़ा सकती है। चार, कमर्शियल व्हीकल्स में फ्रेट रेट और ईंधन कीमत—यहीं से HCV की रिकवरी का संकेत निकलेगा। और पांच, नई लॉन्चेस—मिड-साइज़ एसयूवी और तीन-रो मॉडलों की कतार से प्रतिस्पर्धा और तेज होगी।