मनन चक्रवर्ती

लेखक

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए टैक्स ऑडिट की नियत तिथि 7 दिन बढ़ाई गई

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है जो लाखों करदाताओं के लिए राहत लाएगी। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न ऑडिट रिपोर्ट्स, जिसमें टैक्स ऑडिट भी शामिल है, दर्ज करने की अंतिम तिथि अब 7 दिन बढ़ा दी गई है। यह सूचना CBDT के सर्कुलर संख्या 10/2024 के माध्यम से दी गई है, जो 29 सितंबर 2024 को जारी किया गया था।

इस विस्तारण के बाद अब नई नियत तिथि 7 अक्टूबर 2024 होगी। यह बदलाव उन करदाताओं पर लागू होगा जिन्हें पहले 30 सितंबर 2024 तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट दर्ज करनी थी। यह निर्णय उन करदाताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जिन्हें अपने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना होता है।

आयकर अधिनियम की धारा 139 और धारा 44AB का प्रभाव

यह महत्वपूर्ण है कि करदाता आयकर अधिनियम की धारा 139 के उपखंड (1) के अनुसार अपनी आयकर रिटर्न दाखिल करें। इस नए निर्धारित तिथि की घोषणा के बाद टैक्स ऑडिट रिपोर्ट हेतु धारा 44AB के अनुसार अब एक माह पूर्व यह रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इसका मतलब अब टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 7 अक्टूबर 2024 है। पहले यह तिथि 30 सितंबर 2024 थी।

धारा 271B के तहत दंड का प्रावधान

यह जानना भी ज़रूरी है कि अगर कोई करदाता अपनी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट निर्धारित तिथि तक दाखिल करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 271B के अंतर्गत दंड का सामना करना पड़ सकता है। इस धारा के तहत दंड की राशि कूल बिक्री, कारोबार या सकल प्राप्तियों का 0.5% या रु.1.5 लाख, जो भी कम हो, हो सकती है। यह प्रावधान करदाताओं को समय पर अपना काम निपटाने के लिए प्रेरित करता है।

करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को इस नई तिथि का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सभी आवश्यक दस्तावेज और रिपोर्ट्स समय पर दाखिल करें, ताकि दंड से बचा जा सके।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के महत्वपूर्ण घटनाक्रम

इस वित्तीय वर्ष में करदाताओं के लिए कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम और बदलाव देखने को मिले हैं। सरकार ने कई नई नीतियों और योजनाओं की शुरुआत की है जो करदाताओं की सहूलियत के लिए हैं। इनमें से कुछ योजनाएं नई टैक्स स्लैब्स, डिजिटलीकरण और सरलता पर जोर देती हैं।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान कई बार आर्थिक संकटों और बदलावों का सामना करना पड़ा, लेकिन सरकार ने करदाताओं के लिए स्थिति को आसान और स्थिर रखने के प्रयास किए। टैक्स ऑडिट अंतिम तिथि का यह विस्तारण उन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है, जिसका मकसद करदाताओं को राहत और सुविधा उपलब्ध कराना है।

टैक्स सुधार और नई नियमावली

अक्टूबर 2024 में तय की गई नई तिथि के साथ, सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि करदाता नए नियमों और सुधारों का पालन सरलता से कर सकें। टैक्स सुधारों में नए स्लैब्स और कर कटौती के विकल्प शामिल हैं जो करदाताओं के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकते हैं।

नए नियमों के अनुसार, कई करदाताओं को अब डिजिटलीकरण के माध्यम से अपनी रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट्स दाखिल करने में आसानी होगी। सरकार ने करदाता सहायता केंद्रो और हेल्प डेस्क की भी स्थापना की है ताकि आवश्यक जानकारी और सहायता तत्पर उपलब्ध हो सके।

छोटे और माध्यम व्यवसायों के लिए राहत

इस विस्तार का सबसे बड़ा लाभ छोटे और माध्यम व्यवसायों को होगा, जिन्हें आमतौर पर अपने ऑडिट और रिटर्न तैयार करने में अधिक समय और संसाधनों की जरूरत होती है। नई तिथि से उन्हें यह समय मिल सकेगा और वे अपने वित्तीय दस्तावेज सम्पूर्णता से तैयार कर पाएंगे।

इसके साथ ही, व्यवसायिक संगठनों ने भी इस नए विस्तार का स्वागत किया है, क्योंकि यह उन्हें अपने लेखांकन प्रक्रियाओं को मजबूत और सटीक बनाने में सहायता करेगा। व्यापारिक संघों का मानना है कि यह कदम व्यवसायिक वातावरण में स्थिरता और विश्वसनीयता लाएगा।

लाभ और चुनौतियाँ

लाभ और चुनौतियाँ

हालांकि यह विस्तारण करदाताओं के लिए लाभकारी साबित होगा, परंतु साथ ही साथ यह उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समय पर पूरा करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए सभी दस्तावेज सत्य और सटीक हों।

जिम्मेदारियों के साथ-साथ सुविधाओं का यह तालमेल करदाताओं के लिए एक सकारात्मक संदेश है। सरकार का यह कदम करदाताओं के विश्वास को बढ़ाएगा और उन्हें समय पर अपनी सभी प्रक्रियाएँ पूरी करने के लिए प्रेरित करेगा।

करदाता सलाहकार और वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले का सकारात्मक प्रभाव दीर्घकालिक रूप में देखने को मिलेगा, जिससे कुल मिला कर देश की कराधान प्रणाली में स्थिरता और पारदर्शिता आएगी।

इस बार के वित्तीय वर्ष में न केवल करदाता बल्कि सरकार भी अपनी योजनाओं और नीतियों को मान्य और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह विस्तारण उसी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है जो करदाताओं को सहयोगी और समर्थन देने के लिए किया गया है।

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