मनमोहन सिंह – आर्थिक सुधार, बजट और भारतीय राजनीति

जब बात मनमोहन सिंह, एक भारतीय अर्थशास्त्री, राजनेता और 2004‑2014 तक भारत के प्रधानमंत्री, के होते हैं, तो उनका नाम तुरंत सामने आता है। वे कभी भारत के वित्त मंत्री भी रहे, इसलिए डॉ. मनमोहन सिंह के रूप में भी पहचानें। उनका प्रमुख कार्य आर्थिक सुधार, 1990 के दशक में शुरू हुए उदारीकरण, निजीकरण और व्यापार Liberalization को तेज करने की प्रक्रिया था, जिसने देश को निर्यात‑उन्मुख मॉडेल की ओर मोड़ दिया। यह सुधार न केवल निवेशक भरोसा बना, बल्कि GDP की वृद्धि दर को भी स्थिर किया। आर्थिक सुधार के पीछे नीतिगत ढांचा, वित्तीय नीति और बजट की भूमिका गहरी थी, इसलिए अगली चर्चा में हम इन दो मुख्य घटकों को देखेंगे।

बजट और वित्तीय नीति का मिलन बिंदु

मनमोहन सिंह के शासनकाल में बजट, वार्षिक वित्तीय योजना जिसे वित्त मंत्री प्रस्तुत करते हैं और संसद में अनुमोदित होती है ने नया स्वरूप ले लिया। 2005 के बाद प्रत्येक बजट में “वित्तीय नीति” का शब्द ताकतवर रूप से दिखा, जिसका लक्ष्य सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित करना, कर‑सुधार और सामाजिक कल्याण को संतुलित करना था। इस नीति ने अनुपात में कोर डिफ़िसिट को घटाया और आय‑कर को सरल बनाया, जिससे मध्यम वर्ग को फायदा हुआ। वित्तीय नीति का यह संरेखण भारतीय अर्थव्यवस्था, विकासशील, विविधतापूर्ण और बड़े पैमाने पर औद्योगिक तथा कृषि उत्पादन वाला देश को स्थायी विकास के पथ पर ले गया। बजट में शामिल आर्थिक संकेतकों ने निवेशकों को स्पष्टता दी, जो आगे चलकर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और बुनियादी ढाँचा प्रोजेक्ट्स में बढ़ोतरी का कारण बना।

इन नीतियों का असर केवल आँकों में नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में दिखा। जब वित्तीय नीति में “व्यापार आसान बनाना” और “उद्योग को समर्थन” जैसे प्रावधान आए, तो छोटे‑मध्यम उद्यमों ने नई राहत महसूस की। साथ ही, सामाजिक सुरक्षा योजना जैसे “प्लान एंटी‑ड्रग” और “आयुष्मान भारत” को बजट में बड़े धन आवंटन मिला, जिससे स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार हुआ। इस प्रकार, आर्थिक सुधार, बजट और वित्तीय नीति आपस में जुड़कर एक सुदृढ़ विकास ढांचा तैयार करते हैं, और यह ढांचा आज भी भारतीय नीति‑निर्माताओं के लिये मानदंड बन चुका है।

जब हमने आर्थिक सुधार, बजट और वित्तीय नीति को आपस में जोड़ा, तो यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय राजनीति, विभिन्न पार्टी‑आधारित लोकतांत्रिक प्रणाली जहाँ चुनाव, गठबंधन और नीति‑निर्णय होते हैं के भीतर इनका क्या स्थान है। मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में गठबंधन राजनीति को भी संभाला, जिससे विभिन्न दलों के बीच नीति संवाद संभव हो सका। उनका ईंधन सिर्फ आर्थिक आंकड़े नहीं, बल्कि सामाजिक समता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी। आज की राजनीति में भी उनका मॉडल—साक्ष्य‑आधारित नीति, निरंतर बजट समीक्षा और व्यापक आर्थिक सुधार—एक लक्षित दिशा प्रदान करता है। आगे आप देखेंगे कि इन थीमों पर लिखे लेख कैसे मनमोहन सिंह की विविध पहल को उजागर करते हैं, तथा कौन‑से पहलू अभी भी चर्चा के योग्य हैं।

मनमोहन सिंह की 93वीं जयंती पर राष्ट्रीय नेताओं ने दी श्रद्धांजलि 27 सितंबर 2025

मनमोहन सिंह की 93वीं जयंती पर राष्ट्रीय नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

John David 1 टिप्पणि

93वीं जयंती पर सभी वर्गों के नेताओं ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी सहित कई नेता उनके आर्थिक सुधारों और सार्वजनिक सेवा को याद किए। यह लेख उनके जीवन‑संग्रह, प्रमुख पदों और 1991 के आर्थिक मोड़ पर उनके योगदान को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करता है।