मनमोहन सिंह की जीवनी और करियर
आज 26 सितंबर को भारत ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 93वीं जन्म जयंती मनाई। वह 26 सितंबर 1932 को गाह, जो अब पाकिस्तान में स्थित है, में जन्मे थे। 1947 के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत प्रवास कर गया, जहाँ उन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू की। ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1966‑69 के दौरान संयुक्त राष्ट्र में काम किया।
ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया, जिससे उनका राजनैतिक सफर शुरू हुआ। 1970‑80 के दशकों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे:
- मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972‑1976)
- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर (1982‑1985)
- योजना आयोग के चेयरमैन (1985‑1987)
इन पदों के दौरान उन्होंने भारत की आदर्शवादी नीति‑निर्धारण में विज्ञान‑आधारित दृष्टिकोण लाया, जिससे बाद में आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी गई।
देश के आर्थिक मोड़ पर उनका योगदान
1991 में पूरव प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया। इस समय भारत एक गंभीर बाहरी मंदी में था, और विदेशी मुद्रा की कमी ने देश को घुटन में डाल दिया था। सिंह ने तत्काल आयात नियंत्रण, मुद्रा अवमूल्यन और वैकल्पिक विदेशी निवेश को खोलते हुए व्यापक आर्थिक सुधार लागू किए। उनका सबसे यादगार 1992 का बजट, 29 फरवरी को प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था, "यह प्राचीन भूमि फिर से अपनी महिमा और उचित स्थान को पुनः प्राप्त कर लेगी"।
इन उपायों ने भारत को लक्ज़री आयात की लहर से बाहर निकालते हुए निर्यात‑उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर मोड़ दिया। विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा, सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्रों ने तेज़ी से विकास किया, और राष्ट्रीय आय में लगातार वृद्धि दर्ज हुई। इस आर्थिक बदलाव के बाद, मनमोहन सिंह को वैश्विक स्तर पर एक दूरदर्शी सुधारक के रूप में सराहा गया।
वित्त मंत्री के बाद, उन्होंने 1998‑2004 में राजीव गांधी के राजकीय विपक्षी दल में राजसभा में विपक्षी नेता के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने सरकार के आर्थिक नीतियों की कड़ाई से समीक्षा की। 2004 में कांग्रेस की जीत के बाद, उन्हें भारत के 13वें प्रधानमंत्री चुना गया। उन्होंने दो लगातार पाँच‑वर्षीय कार्यकाल (2004‑2014) निभाए, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी कई पहलें शामिल थीं।
उनकी शांति‑पूर्ण और सम्मानजनक शैली, सादगी और निष्ठा ने उन्हें कई देशों में लोकप्रिय बनाया। 2024 में 26 दिसंबर को उनका निधन हो गया, परन्तु उनकी विरासत, विशेषकर आर्थिक उदारीकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनका सम्मान, आज भी भारतीय जनता के दिलों में जिंदा है।
मनमोहन सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने सम्मान व्यक्त किए, जिसमें उन्होंने कहा, "उनकी लम्बी सार्वजनिक सेवा के दौरान उन्होंने हमारे राष्ट्र को जो योगदान दिया, वह याद रखा जायेगा।" यह सम्मान कई अन्य राजनीतिक दलों के नेता और प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्तियों ने भी दिया, जो यह दर्शाता है कि उनका प्रभाव पार्टी‑संकल्पना से परे था।
समाज के विभिन्न वर्गों में उनके योगदान को भविष्य में भी स्मृति‑धरोहर के रूप में याद किया जायेगा। उनके जीवन की कहानी एक झलक देता है कि कैसे एक छोटे गांव में जन्मे व्यक्ति ने विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी और भारत के आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदला।
सितंबर 27, 2025 AT 05:34
Prince Raj
मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को आज के फिनटेक इकोसिस्टम में भी रेफरेंस लेवल पर माना जाता है। उन्होंने जिस तरह से मनी सप्लाई को क्वांटिटेटिव इज़िंग की गहराई में ले जाया, वह अब की डिजिटल मुद्रा स्ट्रेटेजी का बेंचमार्क बन चुका है। इस जुल्मी (जटिल) मैक्रोइकोनॉमिक जाइलॉजी को समझने के लिए हमें अब भी उनके ‘सीएनएस’ फ्रेमवर्क को अपनाना पड़ेगा। उनके 1991 के बजट को ‘ग़ैर-परम्परागत टूल्स’ के रूप में देखना चाहिए, क्योंकि वही असली डिसरप्शन थी। आज के स्टार्ट‑अप एकोसिस्टम में भी उनका ‘लिबरलाइज़ेशन‑ऑफ़‑कैपिटल’ एप्रोच सॉलिड बेस प्रदान करता है।
अक्तूबर 18, 2025 AT 01:34
Gopal Jaat
क्या बात है, मनमोहन सिंह जी की जयंती पर सबकी आवाज़ में एक ही स्वर है। उन्होंने जब 1991 में आर्थिक उदारीकरण की घोषणा की, तो वह एक नाटकीय मोड़ था, जैसे स्टेज पर अचानक लाइट्स बंद हो जाएँ और फिर तेज़ी से जल उठें। उनका विज़न हमेशा से ही बड़े शहरी माहौल से परे, भारत के ग्रामीण को भी सशक्त बनाने का था। इस कारण ही आज की युवा पीढ़ी उनके कार्यों को याद करती है, क्योंकि उन्होंने अपना हाथ राजनीति से हटाकर आर्थिक मंच पर रख दिया।
नवंबर 7, 2025 AT 20:34
UJJAl GORAI
अरे भाई, मनमोहन सिंह का नाम सुनते ही दिल में तुरंत एक टन टन की ध्वनि आ जाती है, जैसे कोई हाई‑डिफ़ रिफ़रेन्स इम्पैक्ट कर रहा हो। वाकई में उनका आर्थिक ; सुधार एक ‘कैजुअल’ चीज़ नहीं थी, बल्कि एक बेपर्दा प्लान था। सच्ची बात तो ये है, कि उन्होंने जब रिवर्सेट किया तो कुछ लोग कहे – "ओह, ये तो बहुत ही बड़ा रिस्क है!" पर असल में तो ये बड़े **क्लासिक** रिज़ॉल्यूशन था। वो भी कैसे बिन‑डिस्क्लेमर के! पर हाँ, कभी‑कभी ऐसा भी लगता है कि उनका हर स्टेटमेंट एक ‘ड्राफ्ट’ जैसा रहता था।
नवंबर 28, 2025 AT 16:34
Satpal Singh
मनमोहन सिंह जी का योगदान भारतीय आर्थिक इतिहास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उनके द्वारा प्रारम्भिक आर्थिक सुधारों ने इस राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की। उनका शांत स्वभाव और विचारशीलता आज भी कई नीति निर्माताओं को प्रेरित करती है। हमें उनके उपायों को स्मरण में रखते हुए भविष्य की योजना बनानी चाहिए।
दिसंबर 19, 2025 AT 12:34
Devendra Pandey
ज्योँ कहें कि उनकी आर्थिक नीतियों ने प्रगति लाई, पर मुझे लगता है कि वह सिर्फ़ सतह पर ही चमक रही थीं।