विशाखापट्टनम के एसीए-वीडीसीए क्रिकेट स्टेडियम में रविवार, 12 अक्टूबर 2025 को एक ऐतिहासिक पल दर्ज हुआ। मिताली राज के नाम पर एक स्टैंड और रवि कल्पना के नाम पर एक गेट का अनावरण किया गया — भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी महिला खिलाड़ी के नाम पर स्टेडियम का स्टैंड नामित किया गया। यह अवसर महिला वनडे वर्ल्ड कप 2025विशाखापट्टनम के भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के मैच से ठीक पहले हुआ। लेकिन यह सिर्फ एक नामकरण नहीं था। यह एक संकल्प था। एक ऐसा संकल्प जिसने दशकों तक अनदेखा रहे महिला खिलाड़ियों के योगदान को अंतिम रूप से स्वीकार किया।
एक सुझाव जिसने इतिहास बदल दिया
यह ऐतिहासिक फैसला एक साधारण सुझाव से शुरू हुआ। अगस्त 2025 में, स्मृति मंधाना ने अपने टीवी कार्यक्रम 'ब्रेकिंग द बाउंड्रीज' में आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश को सीधे संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘हम महिलाओं के लिए एक जगह चाहते हैं — जहां हमारे नाम दीवारों पर लिखे जाएं।’ उनका तर्क साफ था: जब तक महिलाओं के योगदान को स्थायी रूप से सम्मानित नहीं किया जाएगा, तब तक नई पीढ़ी इसे ‘क्रिकेट’ नहीं, ‘प्रयोग’ समझेगी।
लोकेश ने उसी दिन इसे आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के साथ साझा किया। और एक सप्ताह में, एक फैसला हुआ — स्टैंड और गेट का नामकरण। बिना किसी बहस, बिना किसी ब्यूरोक्रेसी। बस एक सीधा, साहसी कदम।
मिताली राज: वह जिसने रनों से दीवारें बनाईं
मिताली राज ने 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया, जब महिला क्रिकेट के लिए बेसबॉल जैसी व्यवस्थाएं थीं। उन्होंने 23 साल तक खेला — बिना एयर कंडीशनिंग, बिना अच्छे ट्रेनिंग फैसिलिटीज, बिना उतनी चर्चा के। फिर भी, उन्होंने 10,868 रन बनाए — महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक। उनकी कप्तानी में भारत दो बार वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा। लेकिन उनके नाम का अनावरण नहीं, उनके खेल का अनावरण था।
एक बार उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था: ‘हमने खेला नहीं, बल्कि एक आवाज बनाई।’ आज, वह आवाज दीवारों पर लिखी गई है।
रवि कल्पना: जिसने बल्ले से नहीं, ग्लव्स से बदला इतिहास
दूसरी ओर, रवि कल्पना — जिनका नाम अब स्टेडियम के प्रवेश द्वार पर लिखा है — एक विकेटकीपर थीं जिन्होंने अपने ग्लव्स से इतिहास लिखा। उन्होंने 1990 के दशक में भारतीय महिला टीम के लिए एक नया मानक तैयार किया। उनकी तेज रफ्तार और निर्णायक बल्लेबाजी ने टीम को बाहरी दुनिया में भी पहचान दिलाई। लेकिन उनके बारे में आज भी कम लोग जानते हैं। आज, उनके नाम का गेट उनके योगदान का सबसे बड़ा अभिनंदन है।
सम्मान का असली मतलब
आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन ने बयान जारी करते हुए कहा: ‘यह सम्मान उन अग्रदूतों के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’ लेकिन असली मतलब यह है — अब कोई बच्ची जब स्टेडियम में जाएगी, तो वह नहीं सोचेगी कि ‘यहां कोई महिला के नाम पर कुछ है?’ वह देखेगी — और जानेगी कि यह जगह उसके लिए भी है।
मिथुन मन्हास, BCCI के अध्यक्ष, ने कहा: ‘यह बीसीसीआई की ओर से कोई नया नीति नहीं है। यह एक अनुभव है।’ और वही अनुभव जिसे आंध्र प्रदेश ने अपनाया।
अगला कदम क्या होगा?
अब सवाल यह है — क्या यह सिर्फ एक अनावरण है, या एक नई शुरुआत? अगर विशाखापट्टनम में मिताली का स्टैंड है, तो क्यों नहीं बेंगलुरु में पूर्व कप्तान हरमनप्रीत कौर का? क्यों नहीं मुंबई में दीपिका पादुकोणे के नाम पर एक ट्रेनिंग सेंटर?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक नए रुझान की शुरुआत है। जिस तरह 2000 के बाद बीसीसीआई ने पुरुष क्रिकेटरों के लिए स्टेडियम नामकरण शुरू किया, अब महिलाओं के लिए भी वही नियम लागू होना चाहिए।
इसके बाद क्या? शायद एक दिन, एक बच्ची जो मिताली राज के स्टैंड के नीचे बैठकर बल्ला घुमा रही हो, उसके मन में यह सवाल आएगा — ‘क्या मैं भी एक दिन यहां अपना नाम लिख सकती हूं?’
जो अभी नहीं हुआ, वह भी जानना जरूरी है
इस अवसर के बावजूद, भारतीय महिला क्रिकेट के लिए अभी भी बहुत कुछ बाकी है। विशाखापट्टनम में आज एक स्टैंड नामित हुआ, लेकिन क्या राज्यों में महिला क्रिकेट के लिए बेसबॉल जैसे ग्राउंड अभी भी हैं? क्या युवा खिलाड़ियों को अभी भी घर लौटने के लिए अपने खेल को छिपाना पड़ता है? इन सवालों के जवाब अभी भी अनुत्तरित हैं।
लेकिन आज, एक बात साफ है — जब एक बच्ची देखेगी कि उसकी बड़ी बहन का नाम स्टेडियम पर लिखा है, तो उसका दिल धड़केगा। और शायद, वही धड़कन आने वाली पीढ़ी के लिए एक नया इतिहास लिखेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या यह भारत में पहली बार है कि महिला क्रिकेटर के नाम पर स्टैंड बनाया गया?
हां, यह भारत में पहली बार है जब किसी महिला क्रिकेटर के नाम पर स्टेडियम का स्टैंड नामित किया गया है। भले ही कई पुरुष खिलाड़ियों के नाम पर स्टैंड हैं, लेकिन महिलाओं के लिए यह एक नया मील का पत्थर है।
मिताली राज के रन कितने हैं और वह कितने साल तक खेली?
मिताली राज ने 23 साल के अंतरराष्ट्रीय कैरियर में सभी प्रारूपों में मिलाकर 10,868 रन बनाए हैं — जो महिला क्रिकेट में सबसे अधिक है। उन्होंने 1999 में डेब्यू किया और 2022 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
स्मृति मंधाना ने यह सुझाव कैसे दिया और क्यों महत्वपूर्ण था?
स्मृति मंधाना ने अगस्त 2025 में अपने कार्यक्रम 'ब्रेकिंग द बाउंड्रीज' में आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश को सीधे संबोधित करते हुए इस सुझाव को रखा। उन्होंने तर्क दिया कि महिलाओं के योगदान का स्थायी सम्मान ही नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा — जिसका तुरंत अमल हुआ।
इस निर्णय का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रभाव होगा?
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के नेता इस अवसर पर उपस्थित थे, जो इसे एक वैश्विक मॉडल के रूप में देख रहे हैं। यह दर्शाता है कि भारत महिला क्रिकेट में लैंगिक समानता के लिए नेतृत्व कर रहा है — जिसे अन्य देश अपना सकते हैं।
क्या अब और महिला खिलाड़ियों के नाम पर स्टैंड बनाए जाएंगे?
हां, यह एक नए रुझान की शुरुआत है। अगर आंध्र प्रदेश ने मिताली और रवि कल्पना के लिए ऐसा किया, तो अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे। बीसीसीआई ने इसे एक प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया है।
रवि कल्पना के बारे में क्या जाना जाता है?
रवि कल्पना भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज थीं, जिन्होंने 1990 के दशक में टीम के लिए एक नया मानक तैयार किया। उनकी तेज रफ्तार और निर्णायक बल्लेबाजी ने टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, लेकिन उनके योगदान को लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।
नवंबर 5, 2025 AT 11:07
Sita De savona
ये स्टैंड नामकरण तो बहुत अच्छा हुआ पर अब बच्चियों को घर से बाहर निकलने दो वो भी अकेले रात को ट्रेनिंग के लिए
नवंबर 6, 2025 AT 14:07
Aarya Editz
इतिहास बन रहा है लेकिन ये सिर्फ नामकरण नहीं बल्कि उसके पीछे की व्यवस्था का बदलाव होना चाहिए। जब तक गाँव के कोच को सैलरी नहीं मिलेगी तब तक ये सब नाटक है।
नवंबर 6, 2025 AT 20:47
Nithya ramani
मैंने अपनी बहन को विशाखापट्टनम ले जाकर देखाया। उसकी आँखों में चमक आ गई। ये नाम उसके लिए एक आशा है।
नवंबर 7, 2025 AT 03:10
shubham jain
मिताली राज के 10868 रन सच हैं लेकिन उन्होंने 2022 में संन्यास ले लिया था और ये अनावरण 2025 में हुआ तो ये सम्मान देर से हुआ।
नवंबर 7, 2025 AT 08:07
Rahul Kumar
मैंने अपने भाई को बताया कि अब विशाखा में महिलाओं का स्टैंड है और वो बोला अच्छा हुआ अब तो बच्ची भी खेलेगी
नवंबर 8, 2025 AT 04:09
Prathamesh Potnis
यह निर्णय भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका सम्मान करना हम सभी की जिम्मेदारी है। महिला खिलाड़ियों के लिए यह एक प्रेरणा है।
नवंबर 8, 2025 AT 08:24
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक पुरुष खिलाड़ी के नाम पर स्टैंड बनता है तो कोई नहीं बोलता, लेकिन जब महिला के नाम पर बनता है तो सब बहस करने लगते हैं? यही समाज की वास्तविकता है।
नवंबर 10, 2025 AT 08:00
Dinesh Kumar
ये तो बहुत बड़ी बात है!! जीत नहीं, जीवन बदल रहा है!! मिताली राज ने जो किया, वो एक देश के दिल में आग लगा दी!!
नवंबर 10, 2025 AT 10:49
Sanjay Gandhi
रवि कल्पना के बारे में कितने लोग जानते हैं? मैंने पहली बार उनका नाम सुना... ये तो बहुत दुखद है कि इतने बड़े योगदान को इतने समय तक नजरअंदाज किया गया...
नवंबर 11, 2025 AT 20:13
Sita De savona
अब बस ये नहीं कि स्टैंड पर नाम लिख दिया गया बल्कि अगले महीने भी वहीं बच्ची को ट्रेनिंग के लिए बल्ला दिया जाए
नवंबर 12, 2025 AT 06:07
shivam sharma
ये सब नामकरण तो बहुत अच्छा है पर अब देखते हैं कि क्या बीसीसीआई भी ऐसा करेगा या फिर ये सिर्फ आंध्र का नाटक है
नवंबर 12, 2025 AT 07:08
fatima mohsen
अगर ये सम्मान है तो फिर महिलाओं को घर लौटने के लिए मजबूर क्यों किया जाता है? दोहरा मानक है ये।
नवंबर 12, 2025 AT 15:41
anil kumar
ये स्टैंड नामकरण सिर्फ लकड़ी और सीमेंट का नहीं है... ये एक अंतरराष्ट्रीय विरासत है। एक ऐसी विरासत जो उस बच्ची के लिए बन रही है जो अभी घर के पीछे टेनिस बॉल से खेल रही है।