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ग्रोउ के शेयर ने शुक्रवार, 17 नवंबर 2025 को दोपहर 12:40 बजे भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार ₹169.87 तक की ऊंचाई छू ली, जिससे कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹1.04 लाख करोड़ के दरवाजे पर पहुंच गई — ये आईपीओ की कीमत से 65% ज्यादा है। ये उछाल सिर्फ एक शेयर की कहानी नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल इन्वेस्टमेंट इकोसिस्टम के एक नए युग की शुरुआत है। ग्रोउ ने अपनी लिस्टिंग के बाद सिर्फ पांच ट्रेडिंग दिनों में अपनी मार्केट वैल्यू में 28% की बढ़ोतरी की, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स सिर्फ 0.31% बढ़ा।

आईपीओ का अद्भुत सफर: एक ग्रामीण बेटे की कहानी

ग्रोउ के संस्थापक ललित केशरे, जो मध्य प्रदेश के एक किसान परिवार के बेटे हैं, आईपीओ के बाद अरबपति बन गए। उनकी कहानी सिर्फ एक सफल शुरुआत नहीं, बल्कि भारत के युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा है। ग्रोउ का आईपीओ, जिसकी कीमत ₹95-100 के बीच थी, अंततः ₹112 पर लिस्ट हुआ — और उसके बाद का उछाल तो बिल्कुल अनोखा रहा।

इस आईपीओ का कुल आकार ₹6,632.30 करोड़ था, जिसमें ₹1,060 करोड़ का नया निवेश और ₹5,572.30 करोड़ का ओएफएस (Offer for Sale) शामिल था। बिडिंग विंडो 4 से 7 नवंबर 2025 तक रही, और इसमें कुल 17.60 गुना सब्सक्रिप्शन आया। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने तो 22.02 गुना बिड किया, जबकि रिटेल निवेशकों ने भी 9.43 गुना भाग लिया। ये नंबर किसी अन्य टेक-स्टार्टअप के लिए अप्राप्त सपने थे।

कौन था पीछे? बुक-रनिंग लीड मैनेजर्स और रजिस्ट्रार

इस आईपीओ के लिए Kotak Mahindra Capital Company Limited, J.P. Morgan India Private Limited, Citigroup Global Markets India Private Limited, Axis Capital Limited और Motilal Oswal Investment Advisors Limited बुक-रनिंग लीड मैनेजर्स थे। रजिस्ट्रार के रूप में काम किया MUFG Intime India Private Limited, जिसका मुख्यालय मुंबई में है।

�िवेशकों ने अपनी आवंटन स्थिति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) या MUFG Intime की वेबसाइट पर चेक की। ये सभी विवरण नियामक द्वारा अनिवार्य रूप से प्रकाशित किए गए — लेकिन ध्यान रहे, ग्रोउ ने अपने दावों में स्पष्ट किया कि ये सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं, कोई सिफारिश नहीं।

विश्लेषकों का दृष्टिकोण: ‘मूल्यांकन पूरी तरह भरा हुआ’

अगर आप इस उछाल को देखकर सोच रहे हैं कि अब खरीदना बहुत देर हो गई, तो विश्लेषकों का कहना है — नहीं। Choice Equity Broking ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में स्पष्ट किया: ‘ग्रोउ की नवीनता और ग्राहक-केंद्रित रणनीति इसे लंबे समय तक बढ़ते रहने के लिए तैयार कर रही है।’ उन्होंने ‘Subscribe for Long Term’ रेटिंग दी, हालांकि एक सावधानी भी जताई: ‘मूल्यांकन अभी अपने सहपाठियों की तुलना में पूरी तरह भरा हुआ लगता है।’

पहले से ही Nuvama Institutional Equities ने आईपीओ से पहले ही बताया था कि ग्रोउ की सक्रिय ग्राहक दर 33% से ऊपर रही है — जिससे प्रति सक्रिय ग्राहक अधिग्रहण लागत कम हुई और EBITDA मार्जिन मजबूत रहा। ये नंबर आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि बिजनेस मॉडल की दक्षता की गवाही है।

क्या है ग्रोउ का भविष्य? सिर्फ शेयर नहीं, बल्कि सब कुछ

ग्रोउ सिर्फ एक शेयर ट्रेडिंग ऐप नहीं रहा। अब ये मार्जिन ट्रेडिंग, शेयर के खिलाफ ऋण, व्यक्तिगत ऋण, संपत्ति प्रबंधन और बीमा वितरण जैसे क्षेत्रों में भी घुस चुका है। ये सब अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन इनकी संभावनाएं असीमित हैं।

जून 2025 तक, ग्रोउ एनएसई पर सक्रिय उपयोगकर्ताओं के आधार पर भारत का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता निवेश प्लेटफॉर्म बन चुका है। इसके नए निधि ₹1,060 करोड़ का उपयोग इन्हीं नए सेवाओं को बढ़ावा देने और तकनीकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।

ये उछाल क्यों मायने रखता है?

ग्रोउ का ये उछाल सिर्फ एक कंपनी की सफलता नहीं, बल्कि भारतीय युवाओं के लिए निवेश के तरीके में बदलाव का प्रतीक है। जब एक ग्रामीण बेटा, जिसने कभी शेयर बाजार के बारे में सोचा भी नहीं था, वह एक ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बना देता है — तो ये देश के डिजिटल भविष्य की एक नई कहानी है।

अगर आप भारत के डिजिटल फाइनेंस सेक्टर को समझना चाहते हैं, तो ग्रोउ की ये यात्रा आपके लिए एक आदर्श उदाहरण है। ये नहीं कि शेयर अभी अतिरिक्त अच्छे हैं — बल्कि ये है कि ये प्लेटफॉर्म अब एक फाइनेंशियल एकोसिस्टम बन रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ग्रोउ का आईपीओ क्यों इतना सफल हुआ?

ग्रोउ का आईपीओ 17.60 गुना सब्सक्राइब हुआ, क्योंकि ये भारत का सबसे बड़ा डिजिटल निवेश प्लेटफॉर्म था, जिसकी ग्राहक एक्टिवेशन दर 33% से ऊपर थी। QIBs ने 22.02 गुना बिड की, जो उनके विश्वास का संकेत था। यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस, निम्न शुल्क और नए सेवाओं का विस्तार इसकी असली कामयाबी का कारण रहा।

ललित केशरे कौन हैं और वे कैसे अरबपति बने?

ललित केशरे मध्य प्रदेश के एक किसान परिवार के बेटे हैं, जिन्होंने ग्रोउ की स्थापना की। आईपीओ के बाद उनके शेयर्स का मूल्य ₹112 से बढ़कर ₹168 तक पहुंच गया, जिससे उनका नेट वर्थ ₹1,000 करोड़ से अधिक हो गया। उन्हें मनीकंट्रोल ने 12 नवंबर 2025 को अरबपति घोषित किया।

क्या ग्रोउ का शेयर अभी खरीदना सही है?

Choice Equity Broking ने ‘Subscribe for Long Term’ रेटिंग दी है, लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि वर्तमान मूल्यांकन पूरी तरह भरा हुआ है। अगर आप 3-5 साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो ग्रोउ की विस्तार योजनाएं और नए सेवाओं का विकास इसे एक मजबूत विकल्प बना सकता है।

ग्रोउ ने किन सेवाओं को शुरू किया है?

ग्रोउ ने शेयर ट्रेडिंग के अलावा मार्जिन ट्रेडिंग, शेयर के खिलाफ ऋण, व्यक्तिगत ऋण, एसेट मैनेजमेंट और बीमा वितरण जैसी सेवाएं शुरू की हैं। ये सभी अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन उनकी आय में वृद्धि के लिए बड़ी संभावनाएं हैं।

आईपीओ का रजिस्ट्रार कौन था और आवंटन कैसे चेक करें?

आईपीओ का रजिस्ट्रार MUFG Intime India Private Limited था। निवेशक अपने आवंटन की जानकारी NSE, BSE या MUFG Intime की आधिकारिक वेबसाइट पर 10 नवंबर 2025 के बाद से चेक कर सकते हैं।

ग्रोउ की मार्केट कैपिटलाइजेशन क्यों इतनी तेजी से बढ़ी?

इसका कारण उच्च ग्राहक एक्टिवेशन दर, निम्न लागत का बिजनेस मॉडल और नए फाइनेंशियल सेवाओं का विस्तार है। बाजार ने इसे सिर्फ एक ऐप नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल फाइनेंस का नेता मान लिया। निफ्टी की तुलना में इसका 13.3% बढ़ना भी इसकी शक्ति को दर्शाता है।

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