चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया का महत्व
चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया का उद्देश्य विभिन्न चक्रवाती प्रणालियों के बीच पहचान और चेतावनी के संचार में सुधार करना है। इस प्रक्रिया की देखरेख भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा की जाती है, जो विश्व के छह विशेषीकृत मौसम विज्ञान केंद्रों (RSMCs) में से एक है। ताकि जब भी एक से अधिक चक्रवात विकसित हों, तब लोगों को भ्रमित न करें। इसी के माध्यम से समुदाय की तैयारियों को बढ़ावा देने और नुकसान को कम करने में सहायता मिलती है।
नाम चयन के दिशा-निर्देश और शर्तें
चक्रवात नामकरण की प्रक्रिया के लिए कुछ सख्त दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। जिनमें सबसे प्रमुख है कि ये नाम राजनीति, धर्म, संस्कृति और लिंग से जुड़े न हों, और कोई भी समूह की भावनाओं को ठेस न पहुँचाएँ। यह नाम छोटे, उच्चारण में आसान और आठ अक्षरों से अधिक लंबे न हों। एक बार नाम का उपयोग होने के बाद, उसे दोबारा नहीं दोहराया जाता। इस प्रकार की सावधानी सुनिश्चित करती है कि नाम ठीक प्रकार से कार्य करें और चक्रवात की खबरों में कोई उलझन न हो।
नामों की सूची और सुझाव
यह सूची 13 देशों द्वारा सुझाए गए नामों से गठित की गई है, जो हैं: बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, क़तर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन। प्रत्येक देश 13 नाम सुझाता है, और इसका उपयोग क्रमिक रूप से, कॉलम-वाइज किया जाता है। यह प्रक्रिया एक लिखित सूची से शुरू होकर, नामों का चयन पहले कॉलम की पहली पंक्ति से शुरू होता है, और फिर क्रमशः आगे चलता है।
नाम परिवर्तन: उपयोग और प्रभाव
उदाहरण के लिए, हाल ही में हुए चक्रवात 'बिपरजॉय' का नाम बांग्लादेश ने प्रस्तावित किया था, जिसका अर्थ बंगाली में 'आपदा' या 'विपत्ति' होता है। इसका अगला नाम 'तेज' होगा, जो भारत द्वारा सुझाया गया है। यह प्रक्रिया न केवल संचार बल्कि अत्यधिक मौसम घटनाओं के दौरान चेतावनी प्रणालियों के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भविष्य की चिंता और तैयारी
जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवातों की संख्या और तीव्रता में वृद्धि की संभावना है। इसलिए, चक्रवात नामकरण की प्रभावशीलता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। सही समय पर सही सूचना प्रदान करना, नामकरण प्रक्रिया को निर्णायक बनाता है।