भारत के पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह का निधन
भारत के राजनीतिक क्षितिज पर महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले के. नटवर सिंह का 12 अगस्त 2024 को 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। नटवर सिंह ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और भारतीय विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजनीतिक करियर का आरंभ
के. नटवर सिंह का राजनीतिक सफर भारतीय विदेश सेवा (IFS) में 1953 में प्रवेश से शुरू हुआ। उन्होंने अपनी कूटनीतिक प्रतिभा और कार्यकुशलता के बल पर कई महत्वपूर्ण राजनयिक मिशनों का नेतृत्व किया। 1989 से 1990 तक उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया, जो उनकी कूटनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
मंत्री पद और भारतीय विदेशी नीति
के. नटवर सिंह ने 2004 से 2005 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय विदेश नीति को नई दिशा प्रदान की और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की स्थिति को सुदृढ़ किया। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण विभागों जैसे इस्पात और खनन, वस्त्र, और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में भी कार्य किया।
राजनीतिक दल और अन्य योगदान
नटवर सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व और अनुभव ने पार्टी को कई मुश्किलों से पार पाने में मदद की। इसके अलावा, उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें उनकी कूटनीतिक और राजनीतिक जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं समाहित हैं। उनकी लेखनी ने भारतीय राजनीतिशास्त्र और कूटनीति के क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान दिया है।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
के. नटवर सिंह का शैक्षणिक जीवन भी उतना ही विशिष्ट रहा। उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनकी अकादमिक और व्यावसायिक उपलब्धियों ने उन्हें एक प्रसिद्ध व्यक्ति बना दिया, जिनका अनुसरण बहुत से युवा राजनयिक और राजनीतिज्ञ करते हैं।
श्रद्धांजलि और सम्मान
के. नटवर सिंह के निधन पर देशभर के राजनीतिक नेता और सार्वजनिक हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न दलों के नेताओं ने उनकी योगदानों की सराहना की और उन्हें एक महान नेता और कूटनीतिज्ञ बताया।
के. नटवर सिंह भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे, और उनकी अनुपस्थिति हमेशा महसूस की जाएगी। उनकी यादें और कार्य हमेशा भारतीय राजनीति के इतिहास में प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।