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John David 0 टिप्पणि

4 जून 2025 को बेंगलुरु के एम. चिनास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की आईपीएल जीत के जश्न में भीड़भारी स्थितियों ने एक भयावह बेंगलुरु स्टैम्पिडे को जन्म दिया। आधे घंटे में ही भीड़ का दबाव बढ़ा, जिससे दहलीज टूट गई और कई लोग फँस गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 11 लोगों की मौत और 40 से अधिक घायल हो गए।

वीआईपी उपचार के आरोप और शुरुआती प्रतिक्रियाएँ

स्टैम्पिडे के बाद मीडिया रिपोर्टों में सामने आया कि एक प्रमुख राज्य मंत्री का बेटा, जो उस कार्यक्रम में मौजूद था, उसे घटनास्थल पर ही विशेष मेडिकल टीम द्वारा प्राथमिक उपचार दिया गया। यह बात फॉलो‑अप रिपोर्टों में उभरी कि सामान्य जनता के लिए उपलब्ध इमरजेंसी सुविधाओं की तुलना में उसे अलग तरह की देखभाल मिली।

विपक्षी दलों ने इस तथ्य को लेकर सरकार पर कठोर कड़ी आवाज़ उठाई। बहुचर्चित प्रश्न "पहले किनकी जान बचाई गई?" के साथ कई दलों ने इस घटना को "सत्ता के लोगों के लिए विशेष सुरक्षा" का उदाहरण बताया। प्रमुख विपक्षी नेता ने विधानसभा में प्रश्न पूछते हुए कहा कि यदि मंत्री के बेटे को तुरंत प्राथमिक उपचार मिला, तो आम जनता की सुरक्षा को लेकर क्या योजना है?

सरकार का जवाब और जांच प्रक्रिया

सरकार का जवाब और जांच प्रक्रिया

राज्य सरकार ने इस आरोप को नकारते हुए कहा कि स्टेडियम में मौजूद सभी मेडिकल टिम, चाहे वेडिएशन या वीआईपी कोई भी हो, एक समान प्रोटोकॉल का पालन करती है। इसके अलावा, सरकार ने एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया, जिसमें पुलिस, फायर ब्रिगेड और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। समिति को पाँच दिन के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया।

जांच के प्रारम्भिक चरणों में साक्षी बयानों को एकत्र किया गया, मेडिकल रिकॉर्ड की जाँच की गई, और CCTV फुटेज का विश्लेषण किया गया। इसे लेकर कई NGOs ने भी अपनी भागीदारी जताई, कहती हुईं कि जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता होनी चाहिए।

वहीं, रॉडन फ्रीडम एनजीओ ने सामाजिक मीडिया पर एक जनमत संग्रह चलाया, जिसमें 78% लोग वीआईपी उपचार को अनुचित मानते हुए सरकार से त्वरित कार्रवाई चाहते हैं। इस बीच, स्टैम्पिडे के पीड़ित परिवारों ने न्यायालय में याचिका दायर कर, नुकसान भरपाई और दायित्व तय करने की माँग की है।

सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस घटना को बड़े पैमाने पर आयोजित सार्वजनिक समारोहों में भीड़ नियंत्रण की कमी का स्पष्ट संकेत बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए, स्थल पर अधिक सुरक्षा द्वार, प्रेक्षित निकास मार्ग, और वास्तविक‑समय में भीड़ प्रवाह के लिए डिजिटल निगरानी आवश्यक होगी।

इस मामले में आगे के विकास पर सभी संकेत देते हैं कि राजनैतिक दबाव और जनता की प्रतिक्रिया दोनों ही जांच के निष्कर्षों को प्रभावित करेंगे। जब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इस घटना के सामाजिक‑राजनीतिक असर को समझना मुश्किल है।

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