मनन चक्रवर्ती

लेखक

भारत में 'एंजल टैक्स' की समाप्ति

भारत सरकार ने स्टार्टअप्स में निवेशकों द्वारा लगाए जाने वाले कुख्यात 'एंजल टैक्स' को समाप्त कर दिया है, जिससे निवेशक और उद्यमी उत्साहित हैं। यह कर उन निवेशकों पर लगाया गया था जो स्टार्टअप्स में पैसा लगाते थे, और इसकी समाप्ति से नवाचार और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

क्या है 'एंजल टैक्स'?

'एंजल टैक्स' वह कर था जो उन निवेशकों पर लगाया जाता था जिन्होंने स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया था। इस कर का उद्देश्य इन्वेस्टमेंट की जाँच करना और अवैध धन को रोकना था, लेकिन यह स्टार्टअप्स के विकास में एक बड़ी बाधा बन गया था।

यह कर 2012 में लागू किया गया था, जिसके बाद इसे अप्रूवल की कठिनाइयों और समय लगाने वाली प्रक्रियाओं के कारण नवाचार के खिलाफ काम करने वाली एक प्रमुख नीति माना गया। निवेशकों को उनके निवेश के अंश के रूप में 30 प्रतिशत तक का कर भुगतान करना पड़ा, जिससे वे उद्यमशीलता में निवेश करने से कतराने लगे।

परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याएं

'एंजल टैक्स' ने स्टार्टअप्स के लिए फंड जुटाने में और भारतीय नवाचार को समर्थन देने वाली आर्थिक नीतियों को कमजोर करने का काम किया। इसने पुराने निवेशकों को हतोत्साहित किया और नए निवेशकों को आकर्षित करना मुश्किल बना दिया। स्टार्टअप्स को पैसों की कमी के चलते अपने उत्पाद और सेवाओं को बाजार में लाने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा।

इसके अलावा, कर अधिकारियों द्वारा बार-बार की जाने वाली जाँच प्रक्रियाओं और दस्तावेजी समस्याओं ने निवेशकों के लिए समस्याएँ और बढ़ा दी। इससे न केवल समय और ऊर्जा की बर्बादी हुई, बल्कि निवेशकों और स्टार्टअप्स दोनों के बीच विश्वास की कमी भी बढ़ गई।

सरकार का निर्णय: एक स्वागत योग्य कदम

सरकार के इस निर्णय से स्टार्टअप्स के लिए बेहतर निवेश वातावरण बनने की संभावना है। यह कदम देश में नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के बड़े प्रयासों का हिस्सा है। 'एंजल टैक्स' की समाप्ति से न केवल निवेशक उत्साहित हैं, बल्कि स्टार्टअप्स के संस्थापक भी राहत की सांस ले रहे हैं।

यह निर्णय इस बात की गवाही है कि सरकार अब देश के युवाओं और उनके उद्यमशील प्रयासों के साथ खड़ी है। स्टार्टअप्स को अब निवेशकों से फंडिंग प्राप्त करने में ज्यादा सहजता होगी, जिससे वे अपने व्यावसायिक प्रयासों में तेजी ला सकते हैं।

उद्यमिता के लिए नई संभावनाएं

'एंजल टैक्स' की समाप्ति से स्टार्टअप्स के लिए नए निवेश के रास्ते खुल गए हैं। भविष्य में निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे अपने निवेश को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे, जिससे उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

इससे पहले, निवेशकों में अनिश्चितता और जोखिम की भावना थी, लेकिन अब सरकार के इस निर्णायक कदम से निवेशकों का विश्वास पुनः जागृत हुआ है। स्टार्टअप्स के लिए अब नए अवसर और संभावनाएं उभर रही हैं, जो कि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

निवेशकों और उद्यमियों के विचार

स्टार्टअप्स के क्षेत्र में काम करने वाले निवेशक और उद्यमी इस निर्णय से काफी खुश हैं। वे मानते हैं कि यह कदम न केवल भारत में नवाचार की गति बढ़ाएगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

एक प्रमुख स्टार्टअप निवेशक के अनुसार, 'एंजल टैक्स' की समाप्ति से उन्हें नई उम्मीदें मिली हैं और वे अब अपने निवेश को बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं। उद्यमियों का मानना ​​है कि इससे अब वे अपनी रचनात्मक योजनाओं को वास्तविकता में बदल सकेंगे, बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय बोझ के।

आने वाले समय में उम्मीदें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस निर्णय के साथ, सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वे 'मेक इन इंडिया' और 'स्टार्टअप इंडिया' जैसी योजनाओं को गंभीरता से लेना चाहती है।

भारत में अब स्टार्टअप्स का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है क्योंकि निवेशकों को अब अपना योगदान देने में अधिक सुविधा होगी। इसके चलते आगे चलकर भारतीय स्टार्टअप्स का वैश्विक मंच पर भी मजबूत प्रभाव देखा जा सकता है।

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