पोप फ्रांसिस द्वारा 21 नए कार्डिनल्स की नियुक्ति: कैथोलिक चर्च के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
पोप फ्रांसिस ने रविवार को विशेष तौर पर 21 नए कार्डिनल्स नियुक्त कर दिए, जो भविष्य में उनके उत्तराधिकारी के चुनाव के अधिकार के साथ-साथ कैथोलिक चर्च के मार्गदर्शन में अहम भूमिका निभाएंगे। नए कार्डिनल्स का समावेश उन वरिष्ठ धर्मगुरुओं में होता है जो दांव पर लगे हैं और जिनके पास धर्म के उच्चतम मापदंडों के अनुरूप काम करने का अधिकार होगा। चर्च के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, यह कदम पोप का उनके धर्माधिकारीयों पर प्रभाव को और मजबूत करने वाला है।
दक्षिण अमेरिका के प्रमुख विश्वविद्यालयों और धर्मप्रांतों के नेता
इन 21 नए कार्डिनल्स में दक्षिण अमेरिका की विभिन्न प्राचीन और प्रतिष्ठित धर्मप्रांतियों के नेता हैं, जो इस क्षेत्र में कैथोलिक चर्च की बोलबाला को मजबूती से रखते हैं। इनमें सैंटियागो डेल एस्तेरो, अर्जेंटीना के कैथोलिक चर्च के प्रमुख; पोर्तो एलेग्रे, ब्राज़ील के धर्माध्यक्ष; सैंटियागो, चिले के आर्कबिशप; गुआयाकिल, इक्वाडोर के कलीसिया प्रमुख और लीमा, पेरू के कैथोलिक चर्च के प्रमुख शामिल हैं। इन कार्डिनल्स को दिसंबर 8 के दिन एक विशेष समारोह में लाल टोपी पहनाई जाएगी।
कैथोलिक चर्च के विविधीकरण की रणनीति
यह आयोजन पोप फ्रांसिस की उस रणनीति को दर्शाता है जिसके माध्यम से वे कैथोलिक चर्च के सभी हिस्सों से लोगों को सम्मिलित कर रहे हैं और चर्च के विस्तार को वैश्विक रुप दे रहे हैं। उन्होंने कार्डिनल्स के नामांकन की सूची में न केवल दक्षिण अमेरिकी बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों के नेताओं को भी शामिल किया है। इस प्रकार के कार्यक्रम से चर्च का विकास और प्रचार प्रसार होना सुनिश्चित है।
वेटिकन के अधिकारियों और विशेषज्ञों की गहन भागीदारी
न उत्थानशील आयोजनों के तहत कई वेटिकन अधिकारियों को भी कार्डिनल्स के समूह में सम्मिलित किया गया है, जिसमें विशेष रूप से रेवरेंड फाबियो बग्जे हैं, जो वाटिकन के विकास-कार्यालय में प्रवासी विभाजन का प्रबंधन करते हैं, और रेवरेंड जॉर्ज जैकब कुवकाड, जो पोप के अंतर्राष्ट्रीय दौरों का आयोजन करते हैं। इनके अलावा, ब्रिटिश धर्मशास्त्री टिमॉठी क्लिफ भी शामिल हैं, जो वेटिकन में चल रहे धर्माध्यन के एक आध्यात्मिक सलाहकार के रूप में सेवा दे रहे हैं।
कैथोलिक चर्च के लिए एक नया चेहरा
यह स्पष्ट है कि पोप फ्रांसिस की इस नई पहल का प्रभाव उनके कैथोलिक चर्च की पहचान और उसके भविष्य की योजनाओं पर होगा। यह निश्चित रूप से चर्च की पुनर्नवीनाता में कमी लाएगा और भविष्य के चुनावों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा। चर्च के अधिकार और उनकी योजनाओं के माध्यम से ये नव नियुक्त कार्डिनल्स न केवल चर्च को मजबूत बनायेंगे बल्कि हर स्तर पर चर्च की सेवाओं को विस्तारित भी करेंगे।